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Aatam Pooja Upnishad Part-II (आत्‍म पूजा उपनिषद पार्ट-2)

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आत्म-पूजा उपनिषद (भाग-2)
Aatam Pooja Upnishad Part-Ii (आत्‍म पूजा उपनिषद पार्ट-2)
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Aatam Pooja Upnishad Part-Ii (आत्‍म पूजा उपनिषद पार्ट-2)

“पुस्तक के बारे में”

आत्म पूजा उपनिषद पार्ट-2 आत्मा की गहन व्याख्या और आंतरिक साधना की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। यह ग्रंथ आत्म-साक्षात्कार के मार्ग को विस्तार से समझाता है, जिससे व्यक्ति आत्मा की दिव्यता को पहचान सके और उसे जीवन में धारण कर सके। इसमें ध्यान, भक्ति, और आत्म-पूजा के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया है, जो आत्मा की मुक्ति और ब्रह्म से एकत्व की अनुभूति को प्रेरित करता है।

इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे आत्मा की पूजा द्वारा मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप को जान सकता है और जीवन में शांति, संतोष, और मुक्ति प्राप्त कर सकता है।

“लेखक के बारे में”

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

u003cstrongu003eउपनिषद का आत्मा के बारे में क्या दृष्टिकोण है?u003c/strongu003e

उपनिषद के अनुसार आत्मा अजर, अमर और शाश्वत है, जो जीवन की मूल सत्व है।

u003cstrongu003eआत्म पूजा उपनिषद में आत्मा की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?u003c/strongu003e

आत्मा की पूजा मनुष्य को आत्म-साक्षात्कार और ब्रह्म से एकत्व की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन करती है।

u003cstrongu003eआत्मा की पूजा कैसे की जाती है?u003c/strongu003e

ध्यान, भक्ति और आत्मनिरीक्षण द्वारा आत्मा की पूजा की जाती है, जो आंतरिक शांति और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाती है।

u003cstrongu003eआत्म पूजा उपनिषद का उद्देश्य क्या है?u003c/strongu003e

इसका उद्देश्य आत्मा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करना है।

u003cstrongu003eक्या आत्‍म पूजा उपनिषद भक्ति और ध्यान पर केंद्रित है?u003c/strongu003e

हां, आत्म पूजा उपनिषद ध्यान और भक्ति के माध्यम से आत्मा की दिव्यता को पहचानने की प्रक्रिया को समझाता है।

u003cstrongu003eक्या आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं?u003c/strongu003e

हां, उपनिषदों में आत्मा और ब्रह्म को एक ही सत्य का रूप बताया गया है।

u003cstrongu003eक्या आत्म पूजा उपनिषद ध्यान की विशेष विधियों को बताता है?u003c/strongu003e

हां, यह उपनिषद ध्यान की विभिन्न विधियों और उनकी महत्ता पर विस्तार से चर्चा करता है।

Additional information

Weight 480 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.25 cm
Author

Osho

ISBN

8171826121

Pages

204

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171826121

जागो, मन जागरण की बेला ! और जागरण की बेला हमेशा है। ऐसा कोई क्षण नहीं जब तुम जाग न सको। ऐसा कोई पल नहीं जब तुम पलक न खोल सको। आंख बंद किये हो, यह तुम्हारा निर्णय है। आंख खोलना चाहो, तो इसी क्षण क्रांति घट सकती है।

ISBN10- 8171826121

ISBN10-8171826121

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