ओशो द्वारा लिखित “अथातो भक्ति जिज्ञासा भाग-2” भक्ति साधना और ध्यान पर गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है। इस पुस्तक में ओशो ने भक्ति के गूढ़ रहस्यों और आत्मा की मुक्ति के मार्ग पर गहन विचार व्यक्त किए हैं। यह उन लोगों के लिए है जो भक्ति के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं।
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ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
भक्ति जिज्ञासा भाग-2 किस विषय पर केंद्रित है?
यह भक्ति, ध्यान और आत्मज्ञान की यात्रा पर केंद्रित है।
क्या इसमें भगवान और भक्त के संबंध का वर्णन है?
हां, इसमें भक्त और भगवान के बीच के प्रेमपूर्ण संबंधों का गहराई से वर्णन किया गया है।
क्या इसमें भक्ति के सिद्धांतों का वर्णन है?
हां, ओशो ने भक्ति के सिद्धांतों और उनके अनुप्रयोगों पर गहराई से चर्चा की है
क्या ओशो की अन्य पुस्तकें भी भक्ति पर आधारित हैं?
हां, ओशो की कई अन्य पुस्तकें भक्ति, ध्यान और आत्मज्ञान पर आधारित हैं, जैसे “अष्टावक्र महागीता” और “संभोग से समाधि तक।
क्या यह पुस्तक आध्यात्मिक साधकों के लिए है?
हां, यह उन साधकों के लिए है जो भक्ति के माध्यम से अपने आत्मिक विकास की ओर बढ़ना चाहते हैं।