Shiv Sutra (शिव सूत्र)
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पुस्तक के बारे में
मशहूर दर्शनशास्त्री और आध्यात्मिक गुरु ओशो ने अपने प्रवचन में जीवन की हर मुश्किलों से निपटने का रास्ता बताया है। वो अक्सर कहा करते थे कि मनुष्य के जीवन में प्रेम से कीमती कोई वस्तु नहीं है। ओशो यह भी कहते थे कि जो मनुष्य पैसे कमाने के लिए यत्न नहीं करता, उसका जीवन निरर्थक है क्योंकि धन जीवन को चलाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। ओशो कहते थे कि जो कौम बिना कुछ किए बिना पैसे कमाना चाहती है, वो कौम खतरनाक है। ओशो कहा करते थे कि जो आदमी एक रुपए लगाकर बिना कुछ किए एक लाख पाने की चाहत रखता है वो एक अपराधी के समान है। ओशो का कहना था कि धन की चाह जरूर रखनी चाहिए लेकिन उसके लिए व्यक्ति का सृजनात्मक होना बेहद जरूरी है। ओशो के अनुसार, एक सभ्य समाज के लिए धन की बहुत ज़्यादा आश्यकता है। इससे सभ्यता को आगे बढ़ने का मौका मिलता है अन्यथा हम भी जंगलों में भटकते रहते। ओशो कहते हैं कि धन मनुष्य के जीवन में सब कुछ नहीं है लेकिन इसके माध्यम से हम जीवन में सब कुछ खरीद सकते हैं। धन कमाने के लिए सबसे अच्छा जरिया है कि हम एक लक्ष्य तय कर लें और सही तरीके से धन को कमाना अपना ध्येय बना लें। ओशो कहते हैं कि जो व्यक्ति धन को फिजूल बताता है और उसकी निन्दा करता है, उसके अंदर धन कमाने की आकांक्षा समाप्त हो जाती है और वो सफलता पाने से चुक जाता है।
लेखक के बारे में
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है। हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
शिव सूत्र में क्या सिखाया गया है?
शिव सूत्रों में आत्म-ज्ञान, ध्यान, और जागरूकता की विधियाँ सिखाई गई हैं। यह सूत्र हमें अपने भीतर की वास्तविकता को समझने और जीवन की गहरी सच्चाइयों को जानने का मार्ग दिखाते हैं।
ओशो ने शिव सूत्र पुस्तक में शिव के किस पहलू पर जोर दिया है?
ओशो ने विशेष रूप से शिव की ध्यान विधियों और आत्मज्ञान के रास्ते पर जोर दिया है। उन्होंने शिव को न केवल एक देवता के रूप में प्रस्तुत किया है, बल्कि एक ऐसे गुरु के रूप में भी जिनकी शिक्षाएँ हमें आत्मिक शांति की ओर ले जाती हैं।
शिव सूत्र” से हमें क्या सीखने को मिलता है?
शिव सूत्र” से हमें अपने भीतर की जागरूकता और शांति पाने का मार्ग मिलता है। यह पुस्तक हमें यह सिखाती है कि कैसे हम अपने मन को नियंत्रित कर आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में संतुलन ला सकते हैं।
शिव सूत्र” का प्रमुख संदेश क्या है?
शिव सूत्र” का प्रमुख संदेश आत्मज्ञान, ध्यान और जागरूकता के माध्यम से अपने भीतर की शांति और संतुलन प्राप्त करना है। शिव की शिक्षाएँ हमें जीवन की गहरी सच्चाइयों को समझने का मार्ग दिखाती हैं।
शिव सूत्र” का आधुनिक जीवन में क्या महत्व है?
आधुनिक जीवन में “शिव सूत्र” का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह हमें ध्यान और आत्मज्ञान के माध्यम से तनाव, असंतुलन और आंतरिक अशांति से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाता है।
Additional information
Weight | 420 g |
---|---|
Dimensions | 21.6 × 15.9 × 1.52 cm |
Author | Osho |
ISBN | 9788128834776 |
Pages | 220 |
Format | paper back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/shiv-sutra/p/itmdx9feuxakezp6?pid=9788128834776 |
ISBN 10 | 8128834770 |
इस पुस्तक से:
अपनी तरफ देखो न तो पीछे, न आगे। कोई तुम्हारा नहीं है। कोई बेटा तुम्हें नहीं भर सकेगा। कोई संबंध तुम्हारी आत्मा नहीं बन सकता। तुम्हारे अतिरिक्त तुम्हारा कोई मित्र नहीं है।
जैसे कि आग को तुम उकसाते हो राख जम जाती है, तुम उकसाते देते हो, राख झड़ जाती है, अंगारे झलने लगते हैं। ऐसी तुम्हें कोई प्रक्रिया चाहिए, जिससे राख झड़ जाए और अंगारा चमके; क्योंकि उसी चमक में तुम पहचानोगे कि तुम चेतना हो। और जितनी तुम चेतना हो, उतने ही तुम आत्मवान हो।
तुम्हारी महत्त यात्रा में, जीवन की खोज में, सत्य के मंदिर तक पहुंचने में ध्यान बीज है। ध्यान क्या है? जिसका इतना मूल्य है; जो कि खिल जाएगा तो तुम परमात्मा हो जाओगे; जो मुरझ जाएगा तो तुम नारकीय जीवन व्यतीत करोगे। ध्यान क्या है? ध्यान है निर्विकल्प चेतना की अवस्था, जहां होश तो पूरा हो और विचार बिल्कुल न हो।
ISBN10-8128834770
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