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Man Hi Pooja Man Hi Dhoop by osho-मन ही पूजा मन ही धुप

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Man Hi Pooja Man Hi Dhoop By Osho-मन ही पूजा मन ही धुप
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Man Hi Pooja Man Hi Dhoop By Osho-मन ही पूजा मन ही धुप

मन ही पूजा, मन ही धूप ओशो की एक अद्भुत पुस्तक है, जो आंतरिक ध्यान और पूजा के महत्व पर आधारित है। इस पुस्तक में ओशो बताते हैं कि पूजा और भक्ति बाहरी आडंबरों की बजाय मन से की जानी चाहिए। वे यह समझाते हैं कि सच्ची भक्ति और ध्यान हमारे भीतर ही होते हैं, और उन्हें किसी बाहरी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो आत्मिक शांति और जागरूकता की तलाश में हैं, और अपने भीतर की यात्रा को गहराई से समझना चाहते हैं।

एक दुर्घटना हुई है। और वह दुर्घटना है: मनुष्य की चेतना बहिर्मुखी हो गई है। सदियों से धीरे-धीरे यह हुआ, शनैः-शनैः, क्रमशः-क्रमशः। मनुष्य की आंखें बस बाहर थिर हो गई हैं, भीतर मुड़ना भूल गई हैं। तो कभी अगर धन से ऊब भी जाता है–और ऊबेगा ही कभी; कभी पद से भी आदमी ऊब जाता है–ऊबना ही पड़ेगा, सब थोथा है। कब तक भरमाओगे अपने को? भ्रम हैं तो टूटेंगे। छाया को कब तक सत्य मानोगे? माया का मोह कब तक धोखे देगा? सपनों में कब तक अटके रहोगे? एक न एक दिन पता चलता है सब व्यर्थ है। लेकिन तब भी एक मुसीबत खड़ी हो जाती है। वे जो आंखें बाहर ठहर गई हैं, वे आंखें अब भी बाहर ही खोजती हैं। धन नहीं खोजतीं, भगवान खोजती हैं–मगर बाहर ही। पद नहीं खोजतीं, मोक्ष खोजती हैं–लेकिन बाहर ही। विषय बदल जाता है, लेकिन तुम्हारी जीवन-दिशा नहीं बदलती। और परमात्मा भीतर है, यह अंतर्यात्रा है। जिसकी भक्ति उसे बाहर के भगवान से जोड़े हुए है, उसकी भक्ति भी धोखा है। मन ही पूजा मन ही धूप। चलना है भीतर! मन है मंदिर! उसी मन के अंतरगृह में छिपा हुआ बैठा है मालिक।

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

u003cstrongu003eमन ही पूजा, मन ही धूप’ पुस्तक का मुख्य संदेश क्या है?u003c/strongu003e

इस पुस्तक में ओशो यह संदेश देते हैं कि सच्ची पूजा और भक्ति हमारे मन से होती है। बाहरी क्रियाओं की अपेक्षा आंतरिक ध्यान और जागरूकता का महत्व अधिक है।

u003cstrongu003eक्या यह पुस्तक ध्यान और भक्ति के लिए उपयुक्त है?u003c/strongu003e

हाँ, यह पुस्तक ध्यान, भक्ति, और आत्मिक जागरूकता पर आधारित है। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो आंतरिक शांति और आत्म-जागरण की खोज में हैं।

u003cstrongu003eओशो इस पुस्तक में किन विषयों पर बात करते हैं?u003c/strongu003e

इस पुस्तक में ओशो ने आंतरिक ध्यान, भक्ति, और पूजा के महत्व पर बात की है। वे बताते हैं कि सच्ची भक्ति और पूजा मन के माध्यम से होती है और किसी बाहरी साधनों की आवश्यकता नहीं होती।

u003cstrongu003eक्या यह पुस्तक साधारण पाठकों के लिए भी है?u003c/strongu003e

हाँ, यह पुस्तक सरल भाषा में लिखी गई है और साधारण पाठक भी इसे आसानी से समझ सकते हैं। इसमें ओशो ने ध्यान और आत्मिक जागरूकता को सहज ढंग से प्रस्तुत किया है।

u003cstrongu003eमन ही पूजा, मन ही धूप’ में भक्ति को कैसे समझाया गया है?u003c/strongu003e

ओशो ने भक्ति को आंतरिक और व्यक्तिगत प्रक्रिया के रूप में समझाया है। वे कहते हैं कि सच्ची भक्ति मन से होती है, और बाहरी पूजा की जरूरत नहीं होती।

u003cstrongu003eक्या यह पुस्तक आत्मिक जागरूकता को बढ़ावा देती है?u003c/strongu003e

हाँ, यह पुस्तक आत्मिक जागरूकता और आंतरिक शांति की ओर प्रेरित करती है। ओशो ने इसमें आत्म-प्राप्ति के महत्व को बताया है।

u003cstrongu003eक्या यह पुस्तक जीवन की सच्चाई की खोज के लिए है?u003c/strongu003e

हाँ, इस पुस्तक का उद्देश्य जीवन की सच्चाई की आंतरिक खोज को प्रेरित करना है। ओशो ने इसमें सच्ची भक्ति और आत्म-जागृति के महत्व पर जोर दिया है।

Additional information

Weight 370 g
Dimensions 19.8 × 12.7 × 0.8 cm
Author

Osho

ISBN

9789350836248

Pages

188

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Jr Diamond

ISBN 10

9350836246

रैदास कहते हैं। मैंने तो एक ही प्रार्थना जानी-जिस दिन मैंने ‘मैं’ और ‘मेरा’ छोड़ दिया।वही बंदगी है। जिस दिन मैंने मैं और मेरा छोड़ दिया। क्योंकि मैं भी धोखा है और मेरा भी धोखा है। जब मैं भी नहीं रहता और कुछ मेरा भी नहीं रहता, तब जो शेष रह जाता है तुम्हारे भीतर, वही तुम हो, वही तुम्हारी ज्योति है-शाश्वत, अंनत, असीम। तत्वमसि! वही परमात्मा है। बंदगी की यह परिभाषा कि मैं और मेरा छूट जाए, तो सच्ची बंदगी। – ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: • प्रेम बहुत नाजुक है, फूल जैसा नाजुक है!• जीवन एक रहस्य है• मन है एक झूठ, क्योंकि मन है जाल-वासनाओं का• अप्प दीपो भव! अपने दीये खुद बनो•प्रेम और विवाह• साक्षीभाव और तल्लीनताओशो के होने ने ही हमारे पूरे युग को धन्य कर दिया है। ओशो ने अध्यात्म के चिरंतन दर्शन को यथार्थ की धरती दे दी है।गोपालदास ‘नीरज’

ISBN10-7893508361 ISBN10-9350836246

SKU 9789350836248 Categories , Tags ,