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Panchayati Raj In India

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Glimpses of the views expressed by the luminaries of the contemporary era on the village Arbitration Board.
अगर हम वकीलों और अदालतों के जाल में न पंफसे होते और यदि हमारी नीचातिनीच भावनाओं को उभारने और हमें बहकाकर कचहरियों के कीच में पफंसाने वाले दलाल न होते तो आज हमारा जीवन कितना सुखी होता?

-महात्मा गांधी

अदालतों में न जाकर अपने झगड़े आपस में पंचायतों द्वारा निपटा लेने की रीति की उत्तमता के विषय किसी का मदभेद नहीं हो सकता। आप असहयोग के पक्ष में हों या न हों, आप गर्म हों या नर्म, चाहे आप राजनीति में बिलकुल ही भाग न लेते हों, आपको यह मानना पड़ेगा कि हमारी अध्कितर विपत्तियों का कारण मुकदमेबाजी है। अंग्रेजी कानून इसे बढ़ाता है और इन अदालतों से इनके प्रचार में उत्साह और सहायता मिलती है।

पंडित मोतीलाल नेहरू

Additional information

Author

Shriyut Babu Aditya Prasad Singh

ISBN

9789350838082

Pages

958

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Magazine

ISBN 10

9350838087

Glimpses of the views expressed by the luminaries of the contemporary era on the village Arbitration Board.
अगर हम वकीलों और अदालतों के जाल में न पंफसे होते और यदि हमारी नीचातिनीच भावनाओं को उभारने और हमें बहकाकर कचहरियों के कीच में पफंसाने वाले दलाल न होते तो आज हमारा जीवन कितना सुखी होता?

-महात्मा गांधी

अदालतों में न जाकर अपने झगड़े आपस में पंचायतों द्वारा निपटा लेने की रीति की उत्तमता के विषय किसी का मदभेद नहीं हो सकता। आप असहयोग के पक्ष में हों या न हों, आप गर्म हों या नर्म, चाहे आप राजनीति में बिलकुल ही भाग न लेते हों, आपको यह मानना पड़ेगा कि हमारी अध्कितर विपत्तियों का कारण मुकदमेबाजी है। अंग्रेजी कानून इसे बढ़ाता है और इन अदालतों से इनके प्रचार में उत्साह और सहायता मिलती है।

पंडित मोतीलाल नेहरू

ISBN10-9350838087