Prasiddh Hastiyon Aur Buddhi Jeeviyon Ki Nazar Main Osho PB Hindi

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हालांकि यह बात कोई मायने नहीं रखती कि लोगों की नजऱ में ओशो कौन हैं। स्वयं ओशो ने भी इस बात की कभी परवाह नहीं की] कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। सच तो यह है कि ओशो को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है] न ही वह मोहताज हैं किसी भीड़ या समर्थन के। पर एक समाज है] जो अपने अलावा सबकी खबर रखता है] जो निरंतर भीतर नहीं] बाहर झांकता रहता है। जो अपनी संकुचित बुद्धि से अंदाजे लगाता रहता है और गढ़ता रहता है अधूरेपन से एक पूरी तस्वीर। न केवल स्वयं भटकता है] बल्कि दूसरों को भी गुमराह करता है। जिसका नतीजा यह होता है कि ओशो जैसा संबुद्ध] रहस्यदर्शी सद्गुरु] एक सेक्स गुरु या अमीरों का ही गुरु बनकर रह जाता है। जबकि सच तो यह है कि जिसने भी ओशो को पढ़ा है] सुना है या ओशो के आश्रमों में गया है वह चमत्कृत हुआ है। ओशो के प्रति न केवल उसकी सोच बदली है बल्कि उसका स्वयं का जीवन भी रूपांतरित हुआ है।
यह पुस्तक प्रमाण है की ओशो ने कितनों को झंकृत किया है। ओशो उन बुद्धिजीवियों और प्रसिद्ध हस्तियों के प्रेरणा स्रोत व प्रिय रहे हैं जिनकी दुनिया दीवानी है। ओशो को किस कदर] किस कद के लोग] किस हद तक चाहते हैं] आप इस पुस्तक से पढ़कर अंदाज़ा लगा सकते हैं] जबकि यह पुस्तक अपने आप में महज़ ट्रेलर भर है। क्योंकि गुप्त रूप से ओशो को चाहने और चुराने वालों की फेहरिस्त बहुत ल बी है जो न केवल ओशो को पढ़ते& सुनते हैं बल्कि अपनी सहूलियत एवं जरूरत अनुसार कट&पेस्ट भी करते हैं] परन्तु मानने से हिचकिचाते हैं कि वो ओशो ही हैं जिससे यह दुनिया स मानित हुई है] दुनिया के इतने स मानित लोग स मानित हुए हैं।

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Prasiddh Hastiyon Aur Buddhi Jeeviyon Ki Nazar Main Osho PB Hindi
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हालांकि यह बात कोई मायने नहीं रखती कि लोगों की नजऱ में ओशो कौन हैं। स्वयं ओशो ने भी इस बात की कभी परवाह नहीं की] कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। सच तो यह है कि ओशो को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है] न ही वह मोहताज हैं किसी भीड़ या समर्थन के। पर एक समाज है] जो अपने अलावा सबकी खबर रखता है] जो निरंतर भीतर नहीं] बाहर झांकता रहता है। जो अपनी संकुचित बुद्धि से अंदाजे लगाता रहता है और गढ़ता रहता है अधूरेपन से एक पूरी तस्वीर। न केवल स्वयं भटकता है] बल्कि दूसरों को भी गुमराह करता है। जिसका नतीजा यह होता है कि ओशो जैसा संबुद्ध] रहस्यदर्शी सद्गुरु] एक सेक्स गुरु या अमीरों का ही गुरु बनकर रह जाता है। जबकि सच तो यह है कि जिसने भी ओशो को पढ़ा है] सुना है या ओशो के आश्रमों में गया है वह चमत्कृत हुआ है। ओशो के प्रति न केवल उसकी सोच बदली है बल्कि उसका स्वयं का जीवन भी रूपांतरित हुआ है।
यह पुस्तक प्रमाण है की ओशो ने कितनों को झंकृत किया है। ओशो उन बुद्धिजीवियों और प्रसिद्ध हस्तियों के प्रेरणा स्रोत व प्रिय रहे हैं जिनकी दुनिया दीवानी है। ओशो को किस कदर] किस कद के लोग] किस हद तक चाहते हैं] आप इस पुस्तक से पढ़कर अंदाज़ा लगा सकते हैं] जबकि यह पुस्तक अपने आप में महज़ ट्रेलर भर है। क्योंकि गुप्त रूप से ओशो को चाहने और चुराने वालों की फेहरिस्त बहुत ल बी है जो न केवल ओशो को पढ़ते& सुनते हैं बल्कि अपनी सहूलियत एवं जरूरत अनुसार कट&पेस्ट भी करते हैं] परन्तु मानने से हिचकिचाते हैं कि वो ओशो ही हैं जिससे यह दुनिया स मानित हुई है] दुनिया के इतने स मानित लोग स मानित हुए हैं।

Additional information

Author

Shashi Kant Sadaiv

ISBN

9789352961849

Pages

100

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9352961846