मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र, सर पर कुमकुम का लाल टीका, हाथों में लाल चूड़ियां, पैरों में पायल पहन अग्नि को साक्षी मानकर, सात फेरे लेने का सपना हर एक लड़की देखती है। शादी हमारे समाज का सबसे बड़ा एवं पवित्र बंधन है। यह ना सिर्फ दो लोगों को जोड़ता है, बल्कि यह दो परिवारों के बीच एक नए संबंध की सेतु स्थापित करता है। देखें तो सिर्फ यही लगता है कि शादी के मंडप पर दूल्हे के साथ लाल जोड़े में सज संवर कर मात्र एक बेटी ही बैठी है। लेकिन गहराई से गौर करें तब आप यह समझ पाएंगे कि उस मंडप पर बैठी वह बेटी, सिर्फ बेटी नहीं, बल्कि अपने माता-पिता के बरसों की मेहनत का फल है। जिसके सृजन में उन्होंने वात्सल्य, शिक्षा और पैसों की कभी कोई कमी नहीं छोड़ी। हर मां-बाप का सपना होता है कि उनकी रानी बिटिया को सपनों का राजकुमार मिले। यहां भी एक पिता हैं, जिन्होंने अपनी रानी बिटिया के लिए सपनों के राजकुमार की कल्पना की है। इस पिता के सपनों का क्या होगा? यह आपको इस किताब में पढ़ने को मिलेगा।
जिंदगी में कुछ ऐसे मोड़ आए जिन्होंने कलम से दोस्ती करवा दी और फिर यह दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई। कलम के निश्चल प्यार ने मुझे अनेकों कहानियां, कविताएं एवं लेख भेंट में दिए। जो अखबारों पत्रिकाओं एवं रेडियो स्टेशनों द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हुई। लेखन का सफर चौथी कक्षा से शुरू हुआ और स्नातकोत्तर तक पहुंचते-पहुंचते एक उपन्यास का सृजन हो गया, जिसका नाम ‘शादी का सपना’ है। राजनीतिक विज्ञान से इस वर्ष स्नातक की डिग्री पूरी कर मास्टर्स में दाखिला लिया है और लिखने का सफर भी बदस्तूर जारी हैं
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