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Covid : Media Ka Bhramjaal Aur Shaitani Taakton Ka Shatranj (कोविड : मीडिया का भ्रमजाल और शैतानी ताकतों का शतरंज)

395.00

यह पुस्तक आपके सामने है क्योंकि आप कोरोना महामारी से बच निकलने वाले भाग्यशाली लोगों में से एक हैं। क्योंकि आप जीवित हैं। शायद इसीलिए आपके लिए और भी आवश्यक हो जाता है कि आप जानें और समझें कि 2020, 2021 में दुनिया भर में क्या और क्यों हुआ था। आपकी जागरुकता ही आपको व आपके परिवार को ऐसी किसी पुनरावृत्ति (ईश्वर न करे ऐसा कुछ कभी हो) से बचा सकती है।
पूरी प्रमाणिकता के साथ कोविड के पीछे की साजिश का व्यापक विश्लेषण कर उसे बेनकाब करती अनूठी पुस्तक।

‘……अधिक महत्वपूर्ण क्या है? क्या हमारी राजनीतिक संबद्धता, आस्थाएं, धर्म और धार्मिक कट्टरता, धन और प्रतिष्ठा, सरकारी कामकाज या नीतियों पर बहस, या अहंकार; या जीवन स्वयं अधिक महत्वपूर्ण है? क्या जीवन सामान्य और सबसे महत्वपूर्ण गुण नहीं है, और बाकी सब कुछ जीवन से ही नहीं निकलता है? सबसे पहले जीवित रहना होगा – भावनाओं के लिए; प्यार करना, आनंद लेना, सोचने में सक्षम होना, लिखना, अच्छा करना, चुटकुले सुनाना, उपदेश देना, लड़ना, बुद्धिमान होना आदि सब के लिए।…..
……अगर मैं जो हो रहा है, उसे समझने में सक्षम होने (भगवान की दया) के बावजूद भी चुप रहूं और दुनिया के साथ साझा न करूं, तो मैं शायद नरसंहार की निगरानी करने वालों या नरसंहार करवाने वालों द्वारा किए जा रहे पापों से भी बड़ा पाप करूँगा।….…’

Additional information

Author

Atul Kumar

ISBN

9789355993694

Pages

282

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9355993692

Flipkart

https://www.flipkart.com/covid-media-ka-bhramjaal-aur-shaitani-taakton-shatranj/p/itma26d8acd923f4?pid=9789355993694

ISBN 10

9355993692

यह पुस्तक आपके सामने है क्योंकि आप कोरोना महामारी से बच निकलने वाले भाग्यशाली लोगों में से एक हैं। क्योंकि आप जीवित हैं। शायद इसीलिए आपके लिए और भी आवश्यक हो जाता है कि आप जानें और समझें कि 2020, 2021 में दुनिया भर में क्या और क्यों हुआ था। आपकी जागरुकता ही आपको व आपके परिवार को ऐसी किसी पुनरावृत्ति (ईश्वर न करे ऐसा कुछ कभी हो) से बचा सकती है।
पूरी प्रमाणिकता के साथ कोविड के पीछे की साजिश का व्यापक विश्लेषण कर उसे बेनकाब करती अनूठी पुस्तक।

‘……अधिक महत्वपूर्ण क्या है? क्या हमारी राजनीतिक संबद्धता, आस्थाएं, धर्म और धार्मिक कट्टरता, धन और प्रतिष्ठा, सरकारी कामकाज या नीतियों पर बहस, या अहंकार; या जीवन स्वयं अधिक महत्वपूर्ण है? क्या जीवन सामान्य और सबसे महत्वपूर्ण गुण नहीं है, और बाकी सब कुछ जीवन से ही नहीं निकलता है? सबसे पहले जीवित रहना होगा – भावनाओं के लिए; प्यार करना, आनंद लेना, सोचने में सक्षम होना, लिखना, अच्छा करना, चुटकुले सुनाना, उपदेश देना, लड़ना, बुद्धिमान होना आदि सब के लिए।…..
……अगर मैं जो हो रहा है, उसे समझने में सक्षम होने (भगवान की दया) के बावजूद भी चुप रहूं और दुनिया के साथ साझा न करूं, तो मैं शायद नरसंहार की निगरानी करने वालों या नरसंहार करवाने वालों द्वारा किए जा रहे पापों से भी बड़ा पाप करूँगा।….…’