Tumhare Shahar Mein Tatha Anya Kahaniyan (तुम्हारे शहर में तथा अन्य कहानियां)
₹200.00 Original price was: ₹200.00.₹199.00Current price is: ₹199.00.
- About the Book
- Book Details
हिमांशु जोशी ने पहाड़ी कर्मठ और जूझनेवाले व्यक्ति की तरह अपने मुश्किल दिनों को पूँजी बनाकर रखा तभी तो लिख पाये ‘सु-राज’ और उस पहाडी मासूमियत की अनमोल कहानी ‘अंततः ‘ को रचकर वह चितेरा अमर रहेगा।
मैं किस तरह श्रद्धांजलि दूँ उनको। बार-बार ‘अंततः’ कहानी को जीवंत करने कराने के यत्न जारी रहेंगे। ‘कगार की आग’ मंच पर दिखेगी । लेखक का अवसान कभी नहीं होता। हिमांशु जोशी पीढ़ी-दर-पीढ़ी पढ़े जाएंगे। हर पीढ़ी का युवा ‘छाया मत छूना मन’ से जुड़ना चाहेगा।
– मैत्रेयी पुष्पा सुप्रसिद्ध कथाकार
About the Author
जन्म :- 4 मई, 1935, उत्तराखंड।
कृतित्व :- यशस्वी कथाकार, उपन्यासकार। लगभग साठ वर्षों तक लेखन में सक्रिय रहे। उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं- ‘अंततः तथा अन्य कहानियाँ’, ‘मनुष्य चिह्न तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जलते हुए डेने तथा अन्य कहानियाँ’, ‘तीसरा किनारा तथा अन्य कहानियाँ’, ‘अंतिम सत्य तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सागर तट के शहर, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ आदि।
प्रमुख उपन्यास हैं :- ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘सुराज’। वैचारिक संस्मरणों में ‘उत्तर – पर्व’ एवं ‘आठवां सर्ग’ तथा कविता-संग्रह ‘नील नदी का वृक्ष’ उल्लेखनीय हैं। ‘यात्राएं’, ‘नार्वे : सूरज चमके आधी रात’ यात्रा-वृतांत भी विशेष चर्चा में रहे। उसी तरह काला-पानी की अनकही कहानी ‘यातना शिविर में’ भी। समस्त भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक रचनाएं अंग्रेजी, नार्वेजियन, इटालियन, चेक, जापानी, चीनी, बर्मी, नेपाली आदि भाषाओं में भी रूपांतरित होकर सराही गईं। आकाशवाणी, दूरदर्शन, रंगमंच तथा फिल्म के माध्यम से भी कुछ कृतियां सफलतापूर्वक प्रसारित एवं प्रदर्शित हुईं। बाल साहित्य की अनेक पठनीय कृतियां प्रकाशित हुईं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनेक सम्मानों से भी अलंकृत।
स्मृति शेष :- 23 नवम्बर, 2018 दिल्ली।
Additional information
Author | Himanshu Joshi |
---|---|
ISBN | 9789359642635 |
Pages | 176 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | |
ISBN 10 | 9359642630 |
हिमांशु जोशी ने पहाड़ी कर्मठ और जूझनेवाले व्यक्ति की तरह अपने मुश्किल दिनों को पूँजी बनाकर रखा तभी तो लिख पाये ‘सु-राज’ और उस पहाडी मासूमियत की अनमोल कहानी ‘अंततः ‘ को रचकर वह चितेरा अमर रहेगा।
मैं किस तरह श्रद्धांजलि दूँ उनको। बार-बार ‘अंततः’ कहानी को जीवंत करने कराने के यत्न जारी रहेंगे। ‘कगार की आग’ मंच पर दिखेगी । लेखक का अवसान कभी नहीं होता। हिमांशु जोशी पीढ़ी-दर-पीढ़ी पढ़े जाएंगे। हर पीढ़ी का युवा ‘छाया मत छूना मन’ से जुड़ना चाहेगा।
– मैत्रेयी पुष्पा सुप्रसिद्ध कथाकार
About the Author
जन्म :- 4 मई, 1935, उत्तराखंड।
कृतित्व :- यशस्वी कथाकार, उपन्यासकार। लगभग साठ वर्षों तक लेखन में सक्रिय रहे। उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं- ‘अंततः तथा अन्य कहानियाँ’, ‘मनुष्य चिह्न तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जलते हुए डेने तथा अन्य कहानियाँ’, ‘तीसरा किनारा तथा अन्य कहानियाँ’, ‘अंतिम सत्य तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सागर तट के शहर, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ आदि।
प्रमुख उपन्यास हैं :- ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘सुराज’। वैचारिक संस्मरणों में ‘उत्तर – पर्व’ एवं ‘आठवां सर्ग’ तथा कविता-संग्रह ‘नील नदी का वृक्ष’ उल्लेखनीय हैं। ‘यात्राएं’, ‘नार्वे : सूरज चमके आधी रात’ यात्रा-वृतांत भी विशेष चर्चा में रहे। उसी तरह काला-पानी की अनकही कहानी ‘यातना शिविर में’ भी। समस्त भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक रचनाएं अंग्रेजी, नार्वेजियन, इटालियन, चेक, जापानी, चीनी, बर्मी, नेपाली आदि भाषाओं में भी रूपांतरित होकर सराही गईं। आकाशवाणी, दूरदर्शन, रंगमंच तथा फिल्म के माध्यम से भी कुछ कृतियां सफलतापूर्वक प्रसारित एवं प्रदर्शित हुईं। बाल साहित्य की अनेक पठनीय कृतियां प्रकाशित हुईं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनेक सम्मानों से भी अलंकृत।
स्मृति शेष :- 23 नवम्बर, 2018 दिल्ली।
ISBN10-9359642630
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