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राहु केतु एवं ग्रहण विचार

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राहु-केतु के बारे में भ्रमपूर्ण कथाएं, किंवदंतियां यत्र-तत्र-सर्वत्र व्‍याप्‍त हैं, जिसका सत्‍या सत्‍य अंवेषण, वैज्ञानिकी स्‍पष्‍टीकरण आज के युग की मांग है। प्रस्‍तुत पुस्‍तक इन्‍हीं सभी तथ्‍यों को स्‍पष्‍ट कर रही है। सूर्य-चंद्र ग्रहण के समय उत्‍पन्‍न जातक, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, प्राकृतिक उत्‍पाद, भूकंप, जल-प्रकोप, ज्‍वालामुखी, उल्‍कापात, दिग्‍दाह, मानवी त्रासदी एवं भारी मात्रा में हो रहे नरसंहार, ये सभी वैज्ञानिकों के अनुसंधान का विषय रहे है। जबकि ज्‍योतिष तथ्‍यों पर आधारित भारतीय ॠषि-मुनियों द्वारा यह अनुसंधान विश्‍व वैज्ञानिकों को पर्याप्‍त प्रभावोत्‍पादक और आश्‍चर्यदायक रहा है।
प्रस्‍तुत पुस्‍तक में सूर्य-चंद्र ग्रहण पर वृहद विचार किया गया है, जिससे जातक की कुंडली पर अनेकानेक प्रभावों को ज्‍योतिषियों द्वारा फल विचार करने में यह अनमोल ग्रंथ अग्रकण्‍य है।

डॉ. भोजराज द्विवेदी

Additional information

Author

Bhojraj Dwivedi

ISBN

812881088X

Pages

184

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

812881088X

राहु-केतु के बारे में भ्रमपूर्ण कथाएं, किंवदंतियां यत्र-तत्र-सर्वत्र व्‍याप्‍त हैं, जिसका सत्‍या सत्‍य अंवेषण, वैज्ञानिकी स्‍पष्‍टीकरण आज के युग की मांग है। प्रस्‍तुत पुस्‍तक इन्‍हीं सभी तथ्‍यों को स्‍पष्‍ट कर रही है। सूर्य-चंद्र ग्रहण के समय उत्‍पन्‍न जातक, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, प्राकृतिक उत्‍पाद, भूकंप, जल-प्रकोप, ज्‍वालामुखी, उल्‍कापात, दिग्‍दाह, मानवी त्रासदी एवं भारी मात्रा में हो रहे नरसंहार, ये सभी वैज्ञानिकों के अनुसंधान का विषय रहे है। जबकि ज्‍योतिष तथ्‍यों पर आधारित भारतीय ॠषि-मुनियों द्वारा यह अनुसंधान विश्‍व वैज्ञानिकों को पर्याप्‍त प्रभावोत्‍पादक और आश्‍चर्यदायक रहा है।
प्रस्‍तुत पुस्‍तक में सूर्य-चंद्र ग्रहण पर वृहद विचार किया गया है, जिससे जातक की कुंडली पर अनेकानेक प्रभावों को ज्‍योतिषियों द्वारा फल विचार करने में यह अनमोल ग्रंथ अग्रकण्‍य है।

डॉ. भोजराज द्विवेदी

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