Bherav Upasana
भैरव उपासना
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भारतीय वाङ्मय में, भारतीय दर्शनएवं देवोपासना में हर एक उपासनाएं अपनी-अपनी विशेषताएं लिए हुए हैं, भिन्नता लिए हुए हैं तथापि उन सब का लक्ष्य दिशा एक ही है। हां, साधक की भावना विशेष से ही देवोपासना में भेद आ गया है। इसके अलावा कामना भेद, विचार देवभेद आदि भी हेतु होते रहे हैं। अनेक रूप-रुपाय का मूलभूत सिद्धांत उपासना भेद को अपने निहित रखता चला आ रहा है। इतने पर भी तथापि भगवान भैरव की उपासना साधक वास्ते कल्प वृक्ष है-
‘बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य हात्मन।
ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दि दयानिधे।।
अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों द्वारा वन्दित बटुक नाम से प्रसिद्ध यह भैरव देव की उपासनाकल्पव़क्ष के समान फलदाता है।
Additional information
Author | Dr. Radha Krishna Srimali |
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ISBN | 817182515X |
Pages | 88 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 817182515X |