Dhyan Aur Prem (ध्यान और प्रेम)
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“पुस्तक के बारे में”
ध्यान और प्रेम” ओशो द्वारा लिखी गई एक गहन आध्यात्मिक पुस्तक है, जिसमें ध्यान और प्रेम के गहरे संबंध को समझाया गया है। ओशो के अनुसार, प्रेम और ध्यान एक ही अनुभव के दो पहलू हैं, दोनों ही निर्विचार अवस्था में लाते हैं। वे कहते हैं, “जैसे ध्यान निर्विचार है, वैसे ही प्रेम भी निर्विचार है।” प्रेम केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि गहन आध्यात्मिक अनुभव है, और इसका संबंध सीधे परमात्मा से है।
प्रेम और ध्यान का सार: इस पुस्तक में ओशो प्रेम को भक्ति और परमात्मा की खोज से जोड़ते हैं। उनका मानना है कि ध्यान की गहराई से प्रेम उत्पन्न होता है, और प्रेम के माध्यम से व्यक्ति आत्म-ज्ञान प्राप्त करता है। उनके अनुसार, जो व्यक्ति प्रेमपूर्ण होता है, वह ध्यान में गहराई से उतर सकता है और यही सच्ची भक्ति का आधार है।
“लेखक के बारे में“
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है। हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
ओशो ने ध्यान और प्रेम को कैसे जोड़ा है?
ओशो के अनुसार, ध्यान और प्रेम एक ही अनुभव के दो पहलू हैं। ध्यान से प्रेम उत्पन्न होता है और प्रेम से व्यक्ति ध्यान की गहराई में जाता है।
प्रेम का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
ओशो के अनुसार, प्रेम का महत्व भक्ति में निहित है। यह व्यक्ति को परमात्मा के करीब लाता है और भक्ति का सच्चा स्वरूप है।
ध्यान का क्या महत्व है?
ध्यान के माध्यम से व्यक्ति आत्म-ज्ञान प्राप्त करता है, और यह उसे प्रेम और भक्ति के मार्ग पर चलने में मदद करता है।
ओशो का प्रेम पर क्या दृष्टिकोण है?
ओशो का मानना है कि प्रेम कोई विचार या भावनात्मक संबंध नहीं है, बल्कि यह एक गहन आध्यात्मिक अनुभव है जो व्यक्ति को परमात्मा से जोड़ता है।
“ध्यान और प्रेम” का क्या संबंध है?
ओशो के अनुसार, ध्यान से प्रेम उत्पन्न होता है, और प्रेम से ध्यान की गहराई में उतरना संभव होता है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
ओशो के अनुसार प्रेम का वास्तविक रूप क्या है?
ओशो के अनुसार, प्रेम का वास्तविक रूप आत्म-ज्ञान है, जो व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है।
Additional information
Weight | 0.160 g |
---|---|
Dimensions | 19.8 × 12.9 × 0.2 cm |
Author | OSHO |
ISBN-13 | 9788128803000 |
ISBN-10 | 812880300X |
Pages | 128 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/dhyan-aur-prem/p/itmd566030aaa205?pid=9788128803000 |
प्रेम बिल्कुल अनूठी बात है, उसका बुद्धि से कोई संबंध नहीं है। प्रेम का विचार से कोई संबंध नहीं। जैसा ध्यान निर्विचार है, वैसा ही प्रेम निर्विचार है। और जैसे ध्यान बुद्धि से नहीं समझा जा सकता, वैसे ही प्रेम भी बुद्धि से नहीं समझा जा सकता।
ध्यान और प्रेम करीब-करीब एक ही अनुभव के दो नाम हैं
ISBN10- 812880300X
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