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आत्‍म पूजा उपनिषद पार्ट-1 -Aatam Pooja Upnishad Part-I

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बुद्धत्व की प्रवाहमान धारा में ओशो एक नया प्रारंभ हैं, वे अतीत की किसी भी धार्मिक परंपरा या श्रृंखला की कड़ी नहीं हैं। ओशो से एक नये युग का शुभारंभ होता है और उनके साथ ही समय दो स्पष्ट खंडों में विभाजित होता है: ओशो पूर्व तथा ओशो पश्चात। ओशो के आगमन से एक नये मनुष्य का, एक नये जमात का, एक नये युग का सृजन हुआ है, जिसकी आधारशिला अतीत के किसी धर्म में नहीं है, किसी दार्शनिक विचार-पद्धति में नहीं है। ओशो सधे: स्नात धार्मिकता के प्रथम पुरुष हैं, सर्वथा अनूठे संबंध रहस्यदर्शी हैं।
ISBN10-8171826113

आत्म-पूजा उपनिषद (भाग-1)
आत्‍म पूजा उपनिषद पार्ट-1 -Aatam Pooja Upnishad Part-I
250.00 Original price was: ₹250.00.249.00Current price is: ₹249.00.

आत्म पूजा उपनिषद पार्ट-1 आत्म-साक्षात्कार के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में समझाता है। यह ग्रंथ ध्यान, भक्ति और आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन देता है, जिससे साधक आत्मज्ञान की ओर अग्रसर हो सकता है।

आत्म-पूजा उपनिषद (भाग-1)
आत्‍म पूजा उपनिषद पार्ट-1 -Aatam Pooja Upnishad Part-I
आत्म-पूजा उपनिषद (भाग-1)
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आत्म-पूजा उपनिषद (भाग-1)
आत्‍म पूजा उपनिषद पार्ट-1 -Aatam Pooja Upnishad Part-I
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आत्‍म पूजा उपनिषद पार्ट-1 -Aatam Pooja Upnishad Part-I

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

आत्म पूजा उपनिषद क्या है?

यह एक महत्वपूर्ण उपनिषद है जो आत्म-साक्षात्कार और ध्यान की गहरी व्याख्या करता है।

उपनिषद के अनुसार आत्मा क्या है?

उपनिषदों के अनुसार, आत्मा (आत्मन्) परम सत्य, शाश्वत, और अविनाशी चेतना का प्रतीक है। इसे एक ऐसी अदृश्य सत्ता माना जाता है जो शरीर, मन, और बुद्धि से परे होती है। आत्मा सभी प्राणियों के भीतर व्याप्त है और इसका मूल स्वरूप दिव्यता, शांति, और आनंद है। इसे ब्रह्म का अंश कहा गया है, जो संपूर्ण सृष्टि का स्रोत और अंत है।
उपनिषदों में आत्मा को नित्य, शुद्ध, बुद्ध, मुक्त और अद्वितीय कहा गया है। इसका अर्थ है कि आत्मा न तो जन्म लेती है और न मरती है; यह शुद्ध, ज्ञान से पूर्ण, और बंधन मुक्त है।
उपनिषद का प्रसिद्ध कथन “तत्त्वमसि” (तू वही है) इस बात को दर्शाता है कि प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा और ब्रह्म (सर्वोच्च सत्ता) एक ही हैं। आत्मा को जानने के लिए ध्यान, तपस्या, और स्वाध्याय को महत्वपूर्ण माना गया है, और आत्म-साक्षात्कार को मोक्ष का मार्ग बताया गया है।
इस प्रकार, आत्मा न केवल मानव अस्तित्व का आधार है, बल्कि यह हर जीव और पदार्थ की मूल सत्ता का प्रतिनिधित्व करती है।

इस पुस्तक में आत्म-साक्षात्कार का क्या महत्व है?

आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से आत्मा की गहन अनुभूति और शांति प्राप्त की जा सकती है।

आत्म पूजा उपनिषद कौन पढ़ सकता है?

यह पुस्तक ध्यान, भक्ति, और आत्मज्ञान में रुचि रखने वाले हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त है।

क्या यह पुस्तक भक्ति के महत्व को बताती है?

हां, यह ग्रंथ भक्ति के माध्यम से आत्मा की पूजा और आत्मज्ञान प्राप्ति पर जोर देता है।

आत्म पूजा उपनिषद किस भाषा में है?

यह मूल रूप से संस्कृत में लिखा गया है, लेकिन इसके कई भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध हैं।

Additional information

Weight 550 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.97 cm
Author

Osho

ISBN

8171826113

Pages

184

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171826113