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Aathato Bhakti Jigayasa Bhag 1 (अथातो भक्ति जिज्ञासा भाग- एक)

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“ये अपरंपार सूत्र हैं। शब्दिल को सुन कर तुममें प्यास जागे, इसलिए इन सूत्रों की व्याख्या कर रहा हूं। ज्ञान न जमा लेना। ज्ञान जमा लिया, चूक गए। प्यास जगाना। तुम्हारे भीतर गहरा आकाश उठे, अपारता उठे, एक लपट बन जाए कि पाकर रहूं, कि इस अनुभव को जान कर रहूं, कि इस अनुभव को जाने बिना जीवन अधूरा है। ऐसी ज्वलंत आग तुम्हारे भीतर पैदा हो जाए तो दूर नहीं है तत्वज्ञान। उसी आग में अहंकार जल जाता है। उसी आग में बीज झरते हैं। और तुम्हारे भीतर जन्मों-जन्मों से छिपी हुई सुप्त मुक्ति आकांक्षा में विलीन हो जाती है। ऐसे मोक्ष को कहो, निर्वाण कहो, जो नाम देना चाहो दो—उसका कोई नाम नहीं है।”** ISBN10-8184193297

Osho Quote
Aathato Bhakti Jigayasa Bhag 1 (अथातो भक्ति जिज्ञासा भाग- एक)
A Book Is Forever
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Osho
Aathato Bhakti Jigayasa Bhag 1 (अथातो भक्ति जिज्ञासा भाग- एक)

पुस्तक के बारे में

अथातो भक्ति जिज्ञासा भाग- एक” भक्ति और आध्यात्म के गूढ़ रहस्यों पर केंद्रित पुस्तक है। यह भक्ति मार्ग की गहनता, इसके रूप, और साधना के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को समझाने के

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

अथातो ब्रह्म जिज्ञासा क्या है?

“अथातो ब्रह्म जिज्ञासा” वेदांत दर्शन का एक महत्वपूर्ण सूत्र है, जो ब्रह्मसूत्र के पहले श्लोक से लिया गया है। इसका अर्थ है “अब ब्रह्म की जिज्ञासा करें।” इसका तात्पर्य यह है कि जब जीवन के अन्य सांसारिक कार्यों और कर्तव्यों से संतोष प्राप्त हो जाता है, तब आत्मा की उच्चतम वास्तविकता, जिसे ‘ब्रह्म’ कहा जाता है, की खोज की जानी चाहिए। यह श्लोक अद्वैत वेदांत का आधार है, जो आत्मा और ब्रह्म की एकता को समझाने का प्रयास करता है।

भक्ति ज्ञान क्या है?

भक्ति ज्ञान का अर्थ है वह ज्ञान जो भक्ति के माध्यम से प्राप्त होता है। भक्ति में व्यक्ति भगवान के प्रति समर्पण करता है, और इस समर्पण और प्रेम के द्वारा उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। भक्ति ज्ञान में तर्क और विश्लेषण की अपेक्षा, भगवान के प्रति पूर्ण श्रद्धा और प्रेम महत्वपूर्ण होते हैं। यह ज्ञान व्यक्ति को अपने अहंकार से मुक्त कर, उसे ईश्वर के साथ एकाकार कर देता है।

ओशो की भक्ति पर दृष्टिकोण क्या है?

ओशो के अनुसार, भक्ति एक ऐसा साधन है जो हमें अपने भीतर के परमात्मा से जोड़ता है, और यह साधना का एक अनिवार्य हिस्सा है।

क्या इस पुस्तक में धार्मिक ग्रंथों का उल्लेख है?

हां, ओशो ने शास्त्रों और धार्मिक संदर्भों का उपयोग करते हुए भक्ति के अर्थ को समझाया है।

ब्रह्म ज्ञान का मतलब क्या होता है?

ब्रह्म ज्ञान का मतलब उस परम सत्य या परमात्मा (ब्रह्म) की जानकारी और अनुभूति से है जो संपूर्ण सृष्टि का स्रोत है। यह ज्ञान अद्वैत वेदांत का एक प्रमुख तत्व है, जिसमें व्यक्ति यह समझता है कि आत्मा (आत्मा) और ब्रह्म एक ही हैं।
ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करने का अर्थ है इस भौतिक जगत के मोह-माया से ऊपर उठकर उस शाश्वत, अजर-अमर सत्य को पहचानना, जो सभी जीवों के अंदर विद्यमान है। इसे प्राप्त करने से व्यक्ति आत्मज्ञान, मोक्ष, और अंततः शाश्वत शांति की ओर अग्रसर होता है।

Additional information

Weight 839 g
Dimensions 19.8 × 12.9 × 0.2 cm
Author

Osho

ISBN

8184193297

Pages

296

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8184193297