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मेरा संदेश है: संसार को इतना प्रेम करो कि संसार में परमात्मा को पा सको । कहीं और कोई परमात्मा नहीं है। अपने को अंगीकार करो। अपने को अस्वीकार मत करो। तुम जैसे हो भले हो। उसके हस्ताक्षर तुम्हारे ऊपर हैं। तुम उसकी निर्मिति हो इसलिए जीवन का परम स्वीकार है मेरा संदेश।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
अभिनव धर्म पुस्तक में धर्म को केवल परंपरागत धार्मिक रीति-रिवाजों से परे ले जाकर एक नए दृष्टिकोण से देखा गया है, जो अधिक प्रगतिशील और समकालीन है।
हां, अभिनव धर्म पुस्तक में आध्यात्मिकता का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, और इसे आधुनिक जीवन के साथ जोड़ने के लिए नए तरीके सुझाए गए हैं।
अभिनव धर्म पुस्तक उन लोगों के लिए है जो धर्म और आध्यात्मिकता को नए दृष्टिकोण से समझना चाहते हैं और उन्हें अपने जीवन में आधुनिक तरीके से लागू करना चाहते हैं।
अभिनव धर्म पुस्तक के लेखक का दृष्टिकोण यह है कि धर्म और आध्यात्मिकता को समय के साथ विकसित होना चाहिए और इन्हें समाज की बदलती जरूरतों के अनुसार ढालना चाहिए।
अभिनव धर्म पुस्तक में आधुनिक समाज के धर्म से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे, जैसे सामाजिक न्याय, नैतिकता, और धार्मिक सहिष्णुता पर चर्चा की गई है।
Weight | 120 g |
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Dimensions | 17.78 × 12.7 × 0.75 cm |
Author | Osho |
ISBN | 9790000000000 |
Pages | 264 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128822136 |
अभिनव धर्म एक अद्वितीय पुस्तक है, जो प्राचीन धार्मिक मूल्यों और आधुनिक जीवन के बीच संतुलन स्थापित करती है। इसमें धर्म की नई व्याख्या प्रस्तुत की गई है, जो आत्मिक विकास और जीवन की चुनौतियों का समाधान देने में सक्षम है। यह कृति आध्यात्मिक जागरूकता और आत्मज्ञान के नए आयामों की ओर प्रेरित करती है। यह पुस्तक उन पाठकों के लिए है, जो धर्म और जीवन के बीच एक नए दृष्टिकोण की तलाश में हैं, जो जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने में सहायक हो।
ISBN: 8128822136 ISBN10-8128822136
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