Ahankar Patan Ka Andhkup Kaise Bachen? in hindi (अहंकार पतन का अंधकूप कैसे बचें?) Self help book-In Paperback
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किताब के बारे में
अहंकार पतन का अंधकूप कैसे बचें ? अहंकार के नकारात्मक प्रभावों और इससे बचने के उपायों पर केंद्रित एक प्रेरणादायक पुस्तक है। अहंकार चाहे धन-संपदा का हो, पद-प्रतिष्ठा का हो, ज्ञान-विद्वता का हो, वर्ण, जाति या कुल का हो या फिर अपने धर्म का, पतन का कारण बनता ही है। प्रस्तुत पुस्तक ‘अहंकार पतन का अंधकूप – कैसे बचें?’ में अहंकार क्यों है? लगातार इसमें बढ़ोतरी क्यों होती जा रही है, इस पर गहराई से चिंतन, मनन और अध्ययन किया गया है, साथ ही अहंकाररूपी इस ज्वलंत समस्या का समाधान कैसे हो सकता है, इस हेतु जाँचे-परखे और व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें अमल में लाकर व्यक्ति सहज रूप से अहंकार के अंधकूप से बच कर सुखी, सफल एवं सम्मानजनक जीवन जी सकता है।
लेखक के बारे में
डॉ. एच.एल. माहेश्वरी मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में प्रोफेसर एवं प्राचार्य के रूप में सेवा दे चुके डॉ. एच.एल. माहेश्वरी ने 42 वर्षों तक स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों को अध्यापन कराया। साथ ही आपके निर्देशन में कई छात्र-छात्राओं ने पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख और शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं।
अहंकार पतन का अंधकूप कैसे बचें ? यह पुस्तक किस विषय पर आधारित है?
अहंकार पतन का अंधकूप कैसे बचें ? यह पुस्तक अहंकार के नकारात्मक प्रभावों और इससे बचने के उपायों पर केंद्रित है।
अहंकार का स्रोत क्या है?
अहंकार का अस्तित्व चीज़ों और रूपों, ख़ास तौर पर विचार रूपों के साथ उसकी पहचान में निहित है। यह ख़तरनाक है क्योंकि सभी चीज़ें/रूप क्षणभंगुर और अनित्य हैं। यह अहसास ही अहंकार के भीतर असुरक्षा की भावना को लगातार पैदा करता है (भले ही वह बाहरी तौर पर आत्मविश्वासी दिखाई दे)
मानव में अहंकार कब आ जाता है?
अहंकार वह भावना है जब कोई स्वयं को हर रूप से सर्वसंपन्न समझने लगता है। अहंकार तब उतपन्न होता है जब कोई सीखना बंध कर देता है और विनम्रता की भावना भूल जाता है। अहंकार और गर्व में विचारधारा के साथ साथ दृष्टिकोण का अंतर है।
अहंकार और क्रोध को कैसे नियंत्रित करें?
अहंकार पतन का अंधकूप कैसे बचें एक ऐसी प्रेरणादायक पुस्तक है जो पाठकों को अहंकार के नकारात्मक प्रभावों को समझने और इससे बचने के व्यावहारिक उपाय प्रदान करती है।
गीता के अनुसार अहंकार क्या होता है?
गीता के अनुसार अहंकार क्या होता है? गीता के अनुसार, अहंकार का अर्थ है “मैं” और “मेरा” की भावना। यह वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने आप को शरीर, मन, और इंद्रियों के साथ तादात्म्य स्थापित करता है और सोचता है कि यह सब वही है। अहंकार का मुख्य रूप से आत्मा की वास्तविकता से अज्ञान और भौतिक संसार के प्रति आसक्ति से संबंध है।
Additional information
Weight | 0.100 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 0.7 cm |
Author | Dr. H. L. Maheshwari |
Pages | 112 |
Format | Paperback |
Language | English |
Publisher | Diamond Books |
ISBN10-: 9359647160