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Alka (अलका)-7504

Alka (अलका)

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इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जन साधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है। पृष्ठभूमि में स्वाधीनता आन्दोलन का वह चरण है जब प्रथमत विश्व यद्ध के बाद गांधीजी ने आन्दोलन की बागडोर अपने हाथों में ली थी। यही समय था जब शिक्षित और संपन्न समाज के अनेक लोग आन्दोलन में कूद पड़े। जिनमें वकील-बेरिस्टर और पूंजीपति तबके के नेता प्रमुख रूप से शामिल थे। इस नेतृत्व का एक हिस्सा किसानों-मजदूरों के आन्दोलन को भर देने के पक्ष में नहीं था। निराला ने इस उपन्यास में इस निहित वर्गीय स्वार्थ का स्पष्ट उल्लेख किया है।

About the Author

सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) में माघ शुक्ल ११, संवत् १९५५, तदनुसार २१ फरवरी, सन् १८९९ में हुआ था। वसंत पंचमी पर उनका जन्मदिन मनाने की परंपरा १९३० में प्रारंभ हुई। निराला की शक्ति यह है कि वे चमत्कार के भरोसे अकर्मण्य नहीं बैठ जाते और संघर्ष की वास्तविक चुनौती से आँखें नहीं चुराते। कहीं-कहीं रहस्यवाद के फेर में निराला वास्तविक जीवन-अनुभवों के विपरीत चलते हैं। हर ओर प्रकाश फैला है, जीवन आलोकमय महासागर में डूब गया है, इत्यादि ऐसी ही बातें हैं। लेकिन यह रहस्यवाद निराला के भावबोध में स्थायी नहीं रहता, वह क्षणभंगुर ही साबित होता है। अनेक बार निराला शब्दों, ध्वनियों आदि को लेकर खिलवाड़ करते हैं। इन खिलवाड़ों को कला की संज्ञा देना कठिन काम है। लेकिन सामान्यत: वे इन खिलवाड़ों के माध्यम से बड़े चमत्कारपूर्ण कलात्मक प्रयोग करते हैं। इन प्रयोगों की विशेषता यह है कि ये विषय या भाव को अधिक प्रभावशाली रूप में व्यक्त करने में सहायक होते हैं। निराला के प्रयोगों में एक विशेष प्रकार के साहस और सजगता के दर्शन होते हैं। यह साहस और सजगता ही निराला को अपने युग के कवियों में अलग और विशिष्ट बनाती है।

Additional information

Author

Suryakant Tripathi 'Nirala'

ISBN

9789355990570

Pages

48

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

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https://www.amazon.in/dp/935599057X

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ISBN 10

935599057X

इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जन साधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है। पृष्ठभूमि में स्वाधीनता आन्दोलन का वह चरण है जब प्रथमत विश्व यद्ध के बाद गांधीजी ने आन्दोलन की बागडोर अपने हाथों में ली थी। यही समय था जब शिक्षित और संपन्न समाज के अनेक लोग आन्दोलन में कूद पड़े। जिनमें वकील-बेरिस्टर और पूंजीपति तबके के नेता प्रमुख रूप से शामिल थे। इस नेतृत्व का एक हिस्सा किसानों-मजदूरों के आन्दोलन को भर देने के पक्ष में नहीं था। निराला ने इस उपन्यास में इस निहित वर्गीय स्वार्थ का स्पष्ट उल्लेख किया है।

About the Author

सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) में माघ शुक्ल ११, संवत् १९५५, तदनुसार २१ फरवरी, सन् १८९९ में हुआ था। वसंत पंचमी पर उनका जन्मदिन मनाने की परंपरा १९३० में प्रारंभ हुई। निराला की शक्ति यह है कि वे चमत्कार के भरोसे अकर्मण्य नहीं बैठ जाते और संघर्ष की वास्तविक चुनौती से आँखें नहीं चुराते। कहीं-कहीं रहस्यवाद के फेर में निराला वास्तविक जीवन-अनुभवों के विपरीत चलते हैं। हर ओर प्रकाश फैला है, जीवन आलोकमय महासागर में डूब गया है, इत्यादि ऐसी ही बातें हैं। लेकिन यह रहस्यवाद निराला के भावबोध में स्थायी नहीं रहता, वह क्षणभंगुर ही साबित होता है। अनेक बार निराला शब्दों, ध्वनियों आदि को लेकर खिलवाड़ करते हैं। इन खिलवाड़ों को कला की संज्ञा देना कठिन काम है। लेकिन सामान्यत: वे इन खिलवाड़ों के माध्यम से बड़े चमत्कारपूर्ण कलात्मक प्रयोग करते हैं। इन प्रयोगों की विशेषता यह है कि ये विषय या भाव को अधिक प्रभावशाली रूप में व्यक्त करने में सहायक होते हैं। निराला के प्रयोगों में एक विशेष प्रकार के साहस और सजगता के दर्शन होते हैं। यह साहस और सजगता ही निराला को अपने युग के कवियों में अलग और विशिष्ट बनाती है।

ISBN10-935599057X

SKU 9789355990570 Categories , Tags ,