श्री हिमांशु जोशी देश-विदेश में बहुचर्चित साहित्यकार पत्रकार हैं। उन्होंने साहित्य और इलेक्ट्रानिक मीडिया की विभिन्न विधाओं में अनेक पुस्तकें लिखी हैं। उपन्यास, कहानी, कविता, यात्रा वृत्तांत, जीवनी, नाटक, साक्षात्कार आदि प्रकाशित पुस्तकों के अनेक विदेशी और भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी प्रकाशित हुए हैं। जो लेखक की प्रतिभा और लोकप्रियता के परिचायक हैं।
ये रेडियो रूपक साहित्य की उस नई धारा के महराब हैं जो आने वाले समय में और सशक्त होती जाएगी क्योंकि आने वाला समय इलेक्ट्रानिक मीडिया यानी प्रसारण युग की ऊंचाईयों को छूने का युग है। जन-जन से जुड़ाव की कड़ी है। आज भी करोड़ों लोग पढ़-लिख नहीं सकते, लेकिन रेडियो सुनकर अपनी प्यास बुझाते हैं और नई दुनिया से परिचित होते हैं।
श्री हिमांशु जोशी को उनकी इन रचनाओं के लिए और पाठकों के लिए उनके रचनाधर्मी व्यक्तित्व के एक और पहलू से परिचित होने के लिए बहुत-बहुत बधाई।
डॉ. वीरेंद्र गोहिल
About the Author
जन्म :- 4 मई, 1935, उत्तराखंड।
कृतित्व :- यशस्वी कथाकार, उपन्यासकार। लगभग साठ वर्षों तक लेखन में सक्रिय रहे। उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं- ‘अंततः तथा अन्य कहानियाँ’, ‘मनुष्य चिह्न तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जलते हुए डेने तथा अन्य कहानियाँ’, ‘तीसरा किनारा तथा अन्य कहानियाँ’, ‘अंतिम सत्य तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सागर तट के शहर, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ आदि।
प्रमुख उपन्यास हैं :- ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘सुराज’। वैचारिक संस्मरणों में ‘उत्तर – पर्व’ एवं ‘आठवां सर्ग’ तथा कविता-संग्रह ‘नील नदी का वृक्ष’ उल्लेखनीय हैं। ‘यात्राएं’, ‘नार्वे : सूरज चमके आधी रात’ यात्रा-वृतांत भी विशेष चर्चा में रहे। उसी तरह काला-पानी की अनकही कहानी ‘यातना शिविर में’ भी। समस्त भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक रचनाएं अंग्रेजी, नार्वेजियन, इटालियन, चेक, जापानी, चीनी, बर्मी, नेपाली आदि भाषाओं में भी रूपांतरित होकर सराही गईं। आकाशवाणी, दूरदर्शन, रंगमंच तथा फिल्म के माध्यम से भी कुछ कृतियां सफलतापूर्वक प्रसारित एवं प्रदर्शित हुईं। बाल साहित्य की अनेक पठनीय कृतियां प्रकाशित हुईं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनेक सम्मानों से भी अलंकृत।
स्मृति शेष :- 23 नवम्बर, 2018 दिल्ली।