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Antar Agni (Bhagwat Gita Ka Manovigyan) Bhag-5 अंतर-अग्नि (भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- पाँच) + Jyotish Vigyan (ज्योतिष विज्ञान)-1
Antar Agni (Bhagwat Gita Ka Manovigyan) Bhag-5 अंतर-अग्नि (भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- पाँच) + Jyotish Vigyan (ज्योतिष विज्ञान)-2
Antar Agni (Bhagwat Gita Ka Manovigyan) Bhag-5 अंतर-अग्नि (भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- पाँच) + Jyotish Vigyan (ज्योतिष विज्ञान)-2

Antar Agni (Bhagwat Gita Ka Manovigyan Bhag-5) अंतर-अग्नि (भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- पाँच) + Jyotish Vigyan (ज्योतिष विज्ञान)-in Paperback

Original price was: ₹375.00.Current price is: ₹374.00.

किताब के बारे में

अंतर-अग्नि (भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- पाँच) : शरीर के भीतर घर्षण पैदा करने की यौगिक प्रक्रियाएं हैं। इस घर्षण से दो काम लिए जा सकते हैं। अनेक बार योगी अपने शरीर को इस घर्षण से उत्पन्न अग्नि में ही समाहित करते हैं। यह एक उपयोग है। यह मृत्यु के समय उपयोग में लाया जा सकता है। एक दूसरा उपयोग है, जिसका कृष्ण प्रयोग कर रहे हैं। योगाग्नि में अपनी इंद्रियों को समाहित, अपनी इंद्रियों को समर्पित कर देते हैं। वह दूसरा उपयोग है; वह जीते-जी किया जा सकता है। उसमें और भी सूक्ष्म अग्नि पैदा करने की बात है। वह अग्नि भी भीतर पैदा हो जाती है। उस अग्नि से शरीर नहीं जलता, लेकिन शरीर के रस जल जाते हैं। उस अग्नि से शरीर नहीं जलता, लेकिन इंद्रियों के रस और आकांक्षाएं जल जाती हैं। उससे शरीर नहीं जलता, लेकिन इंद्रियों के जो सूक्ष्म तंतु हैं, वेजलजाते हैं।
ज्योतिष विज्ञान : एक, जिसे हम कहें अनिवार्य, एसेंशियल, जिसमें रत्ती भर फर्क नहीं होता। वही सर्वाधिक कठिन है उसे जानना। फिर उसके बाहर की परिधि है : नॉन-एसेंशियल, जिसमें सब परिवर्तन हो सकते हैं। मगर हम उसी को जानने को उत्सुक होते हैं। और उन दोनों के बीच में एक परिधि है – सेमी- एसेंशियल, अर्द्ध अनिवार्य, जिसमें जानने से परिवर्तन हो सकते हैं, न जानने से कभी परिवर्तन नहीं होंगे। तीन हिस्से कर लें। एसेंशियल, जो बिलकुल गहरा है, अनिवार्य, जिसमें कोई अंतर नहीं हो सकता। उसे जानने के बाद उसके साथ सहयोग करने के सिवाय कोई उपाय नहीं है। धर्मों ने इस अनिवार्य तथ्य की खोज के लिए ही ज्योतिष की ईजाद की, उस तरफ गए। उसके बाद दूसरा हिस्सा है: सेमी-एसेंशियल, अर्द्ध अनिवार्य । अगर जान लेंगे तो बदल सकते हैं, अगर नहीं जानेंगे तो नहीं बदल पाएंगे। अज्ञान रहेगा, तो जो होना है वही होगा। ज्ञान होगा, तो ऑल्टरनेटिव्स हैं, विकल्प हैं, बदलाहट हो सकती है। और तीसरा सबसे ऊपर का सरफेस, वह है: नॉन एसेंशियल । उसमें कुछ भी जरूरी नहीं है । सब सांयोगिक है।

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

अंतर-अग्नि (भगवद् गीता का मनोविज्ञान भाग- पाँच) पुस्तक का मुख्य विषय क्या है?

इस पुस्तक में ओशो ने भगवद् गीता के मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्ष पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है।

ज्योतिष विज्ञान का इसमें क्या महत्व है?

इस पुस्तक को एक गहन विज्ञान और जीवन को समझने के साधन के रूप में प्रस्तुत करती है।

ओशो का मुख्य उद्देश्य क्या है?

ओशो का मुख्य उद्देश्य लोगों को ध्यान और आध्यात्मिकता की ओर ले जाना था. वे मानते थे कि ध्यान और चेतना के ज़रिए लोग अपने अंदर के बच्चे को खोज सकते हैं और जीवन में शांति और संतुलन पा सकते हैं. ओशो ने अपने विचारों में परंपरागत धार्मिक विचारों से बाहर निकलकर आधुनिकता और आत्मा की गहरी समझ को जोड़ा है।

पैसिव मेडिटेशन कैसे करें?

निष्क्रिय ध्यान के अभ्यास के लिए, एक आरामदेह, आरामदायक मुद्रा में बैठना सबसे अच्छा है, जहाँ रीढ़ को बिना किसी परेशानी के सीधा रखा जा सकता है, एक दी गई तकनीक का पालन करते हुए । इसमें अक्सर मन को एक ही वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रशिक्षित करना शामिल होता है, उदाहरण के लिए सांस या कोई ध्वनि।

ओशो के अनुसार ध्यान की शक्ति कैसे बढ़ाएं?

किसी भी सुखासन में बैठकर प्रतिदिन सुबह, शाम और रात सोते वक्त 15 मिनट का ध्यान करें। इसकी शुरुआत में मध्यम स्वर में तीन बार ॐ का उच्चारण करते हुए आंखें बंद कर लें। ध्यान के मध्य में श्वासों के आवगम को गहराएं। ध्यान के अंत में हाथों की हथेलियों से चेहरे को स्पर्श करते हुए आंखें खोल दें।

Additional information

Weight 0.325 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.3 cm
Author

OSHO

Pages

374

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN10-: 936430506X

SKU 9789364305068 Categories , Tags ,