कुशवाहा कान्त हिन्दी उपन्यास जगत पर पिछले 40 वर्षों में छाये हुए हैं। उनकी सरल सश्क्त लेखनी ने हिन्दी उपन्यास जगत में हलचल मचा दी थी। उनके उपन्यासों में जहां श्रंगार रस का अनूठा समन्वय है, वहीं क्रांतिकारी लेखनी व जासूसी कृतियों में भी उनका कोई सानी नहीं है। उनका प्रत्येक उपन्यास पढ़कर पाठक उनके पूरे उपन्यास पढ़ना चाहता है। क्रांतिकारी और जासूसी कृतियों से लबरेज कुशवाहा कान्त का सनसनीखेज उपन्यास ‘अपना पराया ’ आपके हाथों में है।
ISBN10-9352780094