Apni Kavitaon Main Ashok Chakradhar (अपनी कविताओं में अशोक चक्रधर)
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अपनी कविताओं में अशोक चक्रधर
Additional information
Author | Deepa K |
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ISBN | 8128809318 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128809318 |
अशोक चक्रधर ने अपनी कृतियों में समाज के विरोधाभासपूर्ण संदर्भो, परिस्थितियों और आचरणों का मार्मिक एवं सजीव अंकन किया है। उन्होंने परिवेशजन्य विषमताओं पर तीव्र व्यंग्य-प्रहार किए है। कटु एवं सत्य प्रसंगों को उजागर किया है। वर्तमान समाज की सही विवेचना करके उसकी विरूपताओं को व्यंग्य का लक्ष्य बनाने में उन्होंने विशेष सफलता प्राप्त की है। उज्ज्वल समाज के निर्माण में उनकी रचनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
अशोक चक्रधर जी की रचनाएं श्रेष्ठ हैं, सर्वोत्कृष्ट हैं। वे विस्तृत और बहु-आयामी हैं। कथ्य और शिल्प के स्तर पर लालित्य के उत्तुंग शिखर पर विराजमान है – अशोक चक्रधर जी की रचनाएं। चक्रधर जी की कृतियों में अभिव्यक्ति प्रहार की भंगिमा अनोखी है। उनकी साहित्यिक रचानाओं में एक नई आशा का स्वर मुखरित होता है।
चक्रधरजी की संवदेनशीलता उनकी कविताओं में प्रतिबिंबित हुई है। उन्होंने व्यंग्य के अमूर्त और सूक्ष्म रूप को ‘भाषा’ के जरिए मूर्त बनाया है। उनकी व्यंग्यधर्मित रचनात्मक रूप में उपस्थित है। वह समाज को अधपतन की ओर नहीं बल्कि उत्थान की ओर ले जाती है।
चक्रधर जी ने सरल भाषा को अपनाया। उनकी कविता में वह शास्त्रीय तत्व है, जो उसे कविता का स्वरूप देताहै। अन्यथा सरलता के चक्कर में उसकी शास्त्रीयता समाप्त हो जाती है। अत चक्रधर जी की कविताओं में एक प्रवाहमयता आद्योपांत दिखाई देती है।
ISBN10-8128809318
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