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Ashtavakra Mahageeta Bhag II Dukh Ka Mool
Ashtavakra Mahageeta Bhag II Dukh Ka Mool
osho quote and books

Ashtavakra Mahageeta Bhag 2 Dukh Ka Mool (अष्‍टवक्र महागीता भाग 2 दुख का मूल)

Original price was: ₹450.00.Current price is: ₹449.00.

अष्टावक्र महागीता भाग 2: दुख का मूल” ओशो की व्याख्या पर आधारित एक आध्यात्मिक पुस्तक है, जो अष्टावक्र और राजा जनक के बीच हुए संवाद पर आधारित है। इसमें आत्मज्ञान, दुख के मूल कारण, और मुक्ति के मार्ग पर चर्चा की गई है। यह पुस्तक ध्यान और आंतरिक शांति का महत्व समझाती है।

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लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

अष्टावक्र महागीता भाग 2: दुख का मूल किसने लिखी है?

यह पुस्तक ओशो द्वारा लिखी गई है, जिसमें अष्टावक्र गीता के गहन आध्यात्मिक श्लोकों की व्याख्या की गई है। इसमें दुख के मूल कारणों और आत्मज्ञान की दिशा में जाने के मार्ग पर चर्चा की गई है।

इस पुस्तक का मुख्य विषय क्या है?

इस पुस्तक का मुख्य विषय है दुख का मूल और उसे समाप्त करने के उपाय। ओशो ने अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद के माध्यम से बताया है कि कैसे आत्मज्ञान और ध्यान द्वारा दुख से मुक्ति पाई जा सकती है।

ओशो ने अष्टावक्र गीता की व्याख्या किस दृष्टिकोण से की है?

ओशो ने अष्टावक्र गीता की व्याख्या में ध्यान और आत्मनिरीक्षण पर जोर दिया है। उन्होंने जीवन के दुखों को समझाते हुए पाठकों को आत्मज्ञान के माध्यम से दुख से मुक्त होने का मार्ग बताया है। उनका दृष्टिकोण गहराई और सरलता दोनों को समाहित करता है

क्या यह पुस्तक जीवन में बदलाव ला सकती है?

हां, ओशो की शिक्षाएँ व्यक्ति के जीवन में गहरा बदलाव ला सकती हैं। अगर पुस्तक में दी गई बातों को सही ढंग से समझा और अमल में लाया जाए, तो यह व्यक्ति के दुखों को समाप्त करने और जीवन में आत्मिक शांति लाने में सहायक हो सकती है।

अष्टावक्र गीता का जीवन में क्या महत्व है?

अष्टावक्र गीता आत्मज्ञान का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो जीवन की गहन सच्चाइयों को उजागर करता है। यह पुस्तक दुख और माया के चंगुल से मुक्त होकर आत्मा की शुद्धता और शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है।

Additional information

Weight 442 g
Dimensions 19.8 × 12.9 × 0.2 cm
Author

Osho

ISBN

8184190018

Pages

360

Format

Hard Bound

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8184190018

अष्टावक्र की गीता को मैंने यूं ही नहीं चुना है। और जल्दी नहीं चुना है; बहुत देर करके चुना है–सोच-विचार के। दिन थे जब मैं कृष्ण की गीता पर बोला, क्योंकि भीड़-भाड़ मेरे पास थी। भीड़-भाड़ के लिए अष्टावक्र गीता का कोई अर्थ न था| बड़ी चेष्टा करके भीड़-भाड़ से छुटकारा पाया है। अब तो थोड़े-से विवेकानंद यहाँ हैं। अब तो उनसे बात करनी है, जिनकी बड़ी संभावना है। उन थोड़े-से लोगों के साथ मेहनत करनी है, जिनके साथ मेहनत का परिणाम हो सकता है। अब होरे तराजू में, कंकड़-पत्थरों पर यह छेनी खराब नहीं करनी है। इसलिए चुनी है अष्टावक्र की गीता। तुम तैयार हुए हो, इसलिए चुनी है। ISBN10-8184190018

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