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अष्‍टवक्र महागीता भाग 5 सन्‍नाटे की साधना-Ashtavakra Mahageeta Bhag V Sannate Ki Sadhna

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यह जो हवा में तुम्हारे आसपास उठा रहा हूँ, इसके लिए जरा तुम ऊँचे उठो! …जरा ऊँचे उठो! मैं जहाँ की खबर लाया हूँ, वहाँ की खबर लेने के लिए चिड़ बनो। थोड़े सिर को उठाओ! थोड़े सजग! मेरे साथ गुनगुनाना लो थोड़ा। जिस एक की मैं चर्चा कर रहा हूँ, उस एक की गुनगुनाहट को तुम में भी गूंज जाने दो। …और तब तुम्हें पता चलेगा कि जैसे खुल गई कोई खिड़की। और जिसे तुमने समझा था – सिर्फ एक विचार – वो विचार न था; वो ध्यान बन गया। और जिसे तुमने समझा था – सिर्फ एक सिद्धांत, एक शास्त्र – वो सिद्धांत न था, शास्त्र न था; वो सत्य बन गया। तो थोड़े उठो! थोड़े जगो! थोड़े सजग! …तुम मुझे पियो। तुम मेरे पास ऐसे रहो जैसे कोई फूल के पास रहता है। और मुझे वैसे सुनो जिसमें प्रयोजन का कोई भाव न हो। जो मुझे प्रयोजन से सुनेगा, वो चूकेगा। जो मुझे निःप्रयोजन, आनंद से सुनेगा…स्वागत: सुखाद तुलसी रघुनाथ गाथा …वही पा लेगा। उसके जीवन में धीरे-धीरे क्रांति घटनी शुरू हो जाती है। ISBN10-8184190042

ISBN10-8184190042

अष्टावक्र महागीता भाग 5: सन्नाटे की साधना” में ओशो ने अष्टावक्र और जनक के संवादों के माध्यम से शांति और मौन के महत्त्व पर गहन विचार किया है। इस भाग में ओशो ने सन्नाटे को साधना का महत्वपूर्ण साधन बताया है, जहां मौन के माध्यम से आत्मा की गहराई में प्रवेश किया जा सकता है। मौन में छिपी शक्ति और शांति को आत्मसात करके जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझा जा सकता है।

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अष्‍टवक्र महागीता भाग 5 सन्‍नाटे की साधना-Ashtavakra Mahageeta Bhag V Sannate Ki Sadhna
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अष्‍टवक्र महागीता भाग 5 सन्‍नाटे की साधना-Ashtavakra Mahageeta Bhag V Sannate Ki Sadhna

सन्नाटे की साधना: ओशो ने सन्नाटे की साधना को ध्यान की एक उच्च अवस्था के रूप में प्रस्तुत किया है। इसमें व्यक्ति बाहरी शोर से मुक्त होकर अपने भीतर की यात्रा करता है। ओशो के अनुसार, जब मन सन्नाटे में स्थित हो जाता है, तभी आत्मज्ञान संभव हो पाता है।

अष्टावक्र के मौन का महत्व: ओशो इस पुस्तक में बताते हैं कि अष्टावक्र के उपदेशों का सार भी मौन में छिपा है। यह मौन न केवल शब्दों से बल्कि मन की चंचलता से भी परे है, जो आत्मज्ञान का मार्ग खोलता है।

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

u003cstrongu003eअष्टावक्र महागीता भाग 5 क्या है?u003c/strongu003e

यह ओशो की व्याख्या है जिसमें अष्टावक्र और जनक के संवादों के माध्यम से सन्नाटे और मौन की साधना पर प्रकाश डाला गया है।

u003cstrongu003eओशो ने सन्नाटे की साधना को कैसे समझाया है?u003c/strongu003e

ओशो ने सन्नाटे को आंतरिक शांति और आत्मज्ञान का एक साधन बताया है, जिसमें व्यक्ति अपने मन को स्थिर करके आत्मा की गहराई तक पहुंचता है।

u003cstrongu003eमौन और सन्नाटे का आध्यात्मिक महत्व क्या है?u003c/strongu003e

ओशो के अनुसार, मौन और सन्नाटा आत्मज्ञान के लिए आवश्यक हैं। ये साधक को बाहरी भ्रम से मुक्त करते हैं और आत्मिक शांति प्रदान करते हैं।

u003cstrongu003eअष्टावक्र के उपदेश आज के समय में कैसे प्रासंगिक हैं?u003c/strongu003e

अष्टावक्र के उपदेश आत्मिक शांति और ध्यान के माध्यम से आज भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि ये हर युग में शांति और तृप्ति का स्रोत होते हैं

u003cstrongu003eओशो के अनुसार ध्यान और सन्नाटे में क्या संबंध है?u003c/strongu003e

ओशो का मानना है कि ध्यान के उच्च स्तर पर पहुंचने के लिए सन्नाटे का अभ्यास आवश्यक है, क्योंकि मौन में ही आत्मज्ञान प्राप्त हो सकता है।

u003cstrongu003eअष्टावक्र और जनक के संवाद का इस भाग में क्या सार है?u003c/strongu003e

इस भाग में उनके संवाद का मुख्य सार यह है कि सन्नाटे में ही वास्तविक शांति और आत्मिक तृप्ति पाई जा सकती है।

u003cstrongu003eअष्टावक्र महागीता में मौन का महत्व क्या है?u003c/strongu003e

मौन को आत्म-साक्षात्कार की प्रक्रिया में सबसे प्रमुख साधन माना गया है, जो व्यक्ति को उसकी आत्मा से जोड़ता है।

Additional information

Weight 381 g
Dimensions 20.32 × 12.7 × 1.27 cm
Author

Osho

ISBN

8184190042

Pages

318

Format

Hard Bound

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8184190042

ISBN : 9788184190045 SKU 9788184190045 Categories , , Tags ,

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