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जब तक सहारा है तब तक मन रहेगा। सहारा मन को ही चाहिए। आत्मा को किसी सहारे की जरूरत नहीं है। मन लंगड़ा है; इसको बैसाखियां चाहिए। तुम बैसाखी किस रंग की चुनते हो इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता । मन को कुछ उपद्रव चाहिए, व्यस्तता चाहिए, आक्युपेशन चाहिए । किसी बात में उलझा रहे। माला ही फेरता रहे तो भी चलेगा। रुपयों की गिनती करता रहे तो भी चलेगा। काम से घिरा रहे तो भी चलेगा। रामनाथ की चदरिया ओढ़ ले, राम-राम बैठकर गुनगुनाता रहे तो भी चलेगा। लेकिन कुछ काम चाहिए । कुछ कृत्य चाहिए। कोई भी कृत्य दे दो, हर कृत्य की नाव पर मन यात्रा करेगा और संसार में प्रवेश कर जाएगा ।
About The Author
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
“अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” पुस्तक किसने लिखी है?
“अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” पुस्तक [लेखक का नाम] द्वारा लिखी गई है, जो अद्वितीय ज्ञान और आत्मा के स्वभाव को दर्शाती है।
क्या “अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” पाठकों को आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करती है?
हां, “अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” पुस्तक पाठकों को आत्मज्ञान और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझने के लिए प्रेरित करती है।
क्या “अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” पुस्तक ऑनलाइन उपलब्ध है?
हां, “अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” कई ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर उपलब्ध है, जहाँ से इसे खरीदा जा सकता है।
क्या “अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” पढ़ने के बाद पाठक को मानसिक शांति मिलेगी?
निश्चित रूप से, “अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” पुस्तक पाठकों को मानसिक शांति और संतोष की प्राप्ति में मदद करती है।
“अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” में जीवन के परम सत्य के बारे में क्या बताया गया है?
“अष्टावक्र महागीता भाग- 6 न संसार न मुक्ति” में जीवन के परम सत्य, आत्मज्ञान, और संसार से परे मुक्ति की अवधारणा का गहन विश्लेषण किया गया है, जिससे पाठक को वास्तविकता की समझ मिलती है।