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अस्‍वीकृति में उठा हाथ-Ashvikrti Mein Utha Hath by osho

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मैं कोई राजनीतिज्ञ नहीं हूँ लेकिन आँखें रहते देश को रोज अंधकार में जाते हुए देखना भी असंभव है। धार्मिक आदमी की उतनी कठोरता और जड़ता में नहीं जुड़ा पाता हूँ। देश रोज-रोज, प्रतिदिन नीचे उतर रहा है। उसकी सारी नैतिकता खो रही है, उसके जीवन में जो भी श्रेष्ठ है, जो भी सुंदर है, जो भी सत्य है, वह सभी कलुषित हुआ जा रहा है। इसके पीछे जानना और समझना जरूरी है कि कौन-सी घटना काम कर रही है। और चूँकि मैंने कहा कि गाँधी के बाद नया युग प्रारंभ होता है, इसलिए गाँधी से ही विचार करना जरूरी है।

ओशो

ISBN10-8128810774

अस्‍वीकृति में उठा हाथ-0
अस्‍वीकृति में उठा हाथ-Ashvikrti Mein Utha Hath by osho
250.00 Original price was: ₹250.00.249.00Current price is: ₹249.00.

अस्वीकृति में उठा हाथ” जीवन के उस क्षण की बात करता है, जब व्यक्ति अस्वीकृति या नकार का सामना करता है। ओशो के दृष्टिकोण से, यह नकारात्मकता केवल बाहरी परिस्थितियों का परिणाम नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर के असंतुलन का प्रतीक है। ओशो ने इस विचार को विस्तार से समझाते हुए बताया है कि अस्वीकृति को हमें केवल नकारात्मक रूप से नहीं देखना चाहिए। यह आत्मविकास और आंतरिक शक्ति को खोजने का एक अवसर हो सकता है।

अस्वीकृति का महत्व: ओशो बताते हैं कि जीवन में अस्वीकृति का सामना करना हमें अपने भीतर की कमजोरियों और डर से रूबरू कराता है। यह वह क्षण होता है, जब व्यक्ति अपने अहंकार और मानसिक बंधनों से बाहर निकल सकता है। अस्वीकृति को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए, व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार और व्यक्तिगत विकास की दिशा में आगे बढ़ सकता है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण: इस पुस्तक में ओशो ने बताया है कि अस्वीकृति का अनुभव हमें हमारे भीतर की ओर देखने और हमारी मानसिकता को बदलने की दिशा में प्रेरित करता है। यह अनुभव हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और हमें आत्म-ज्ञान की ओर ले जाता है।

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About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

अस्वीकृति में उठा हाथ क्या है?

यह ओशो की एक पुस्तक है, जिसमें जीवन में अस्वीकृति के अनुभव को गहरे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझाया गया है।

ओशो ने अस्वीकृति को कैसे समझाया है?

ओशो ने अस्वीकृति को आत्मविकास का एक अवसर बताया है। उनका कहना है कि यह हमें हमारे भीतर की कमजोरियों से परिचित कराता है और हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।

यह पुस्तक क्यों पढ़नी चाहिए?

यह पुस्तक उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो जीवन में अस्वीकृति का सामना कर रहे हैं और इसे एक सकारात्मक और आध्यात्मिक रूप से समझना चाहते हैं।

अस्वीकृति और आत्म-साक्षात्कार का क्या संबंध है?

ओशो के अनुसार, अस्वीकृति हमें हमारी सीमाओं से परे देखने का अवसर देती है। यह आत्म-साक्षात्कार की दिशा में पहला कदम हो सकता है।

अस्वीकृति का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

अस्वीकृति का आध्यात्मिक महत्व यह है कि यह हमारे भीतर छिपी हुई शक्ति और आत्म-ज्ञान को जागृत करने का अवसर प्रदान करती है।

ओशो के अनुसार अस्वीकृति से कैसे निपटें?

ओशो ने बताया है कि अस्वीकृति को सकारात्मक रूप से स्वीकार करके और इसे आत्म-विकास का साधन मानकर ही हम इससे ऊपर उठ सकते हैं।

अस्वीकृति में उठा हाथ के संदेश का सार क्या है?

इस पुस्तक का मुख्य संदेश यह है कि अस्वीकृति केवल एक अनुभव है, जिसे सही दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह हमारे आंतरिक विकास का माध्यम बन सकता है।

Additional information

Weight 264 g
Dimensions 21.7 × 13.9 × 1.5 cm
Author

Osho

ISBN

8128810774

Pages

304

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128810774