₹350.00 Original price was: ₹350.00.₹349.00Current price is: ₹349.00.
आत्म पूजा उपनिषद पार्ट-2 आत्मा की गहन व्याख्या और आंतरिक साधना की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। यह ग्रंथ आत्म-साक्षात्कार के मार्ग को विस्तार से समझाता है, जिससे व्यक्ति आत्मा की दिव्यता को पहचान सके और उसे जीवन में धारण कर सके। इसमें ध्यान, भक्ति, और आत्म-पूजा के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया है, जो आत्मा की मुक्ति और ब्रह्म से एकत्व की अनुभूति को प्रेरित करता है।
इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे आत्मा की पूजा द्वारा मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप को जान सकता है और जीवन में शांति, संतोष, और मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
उपनिषद के अनुसार आत्मा अजर, अमर और शाश्वत है, जो जीवन की मूल सत्व है।
आत्मा की पूजा मनुष्य को आत्म-साक्षात्कार और ब्रह्म से एकत्व की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन करती है।
ध्यान, भक्ति और आत्मनिरीक्षण द्वारा आत्मा की पूजा की जाती है, जो आंतरिक शांति और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाती है।
इसका उद्देश्य आत्मा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करना है।
हां, आत्म पूजा उपनिषद ध्यान और भक्ति के माध्यम से आत्मा की दिव्यता को पहचानने की प्रक्रिया को समझाता है।
हां, उपनिषदों में आत्मा और ब्रह्म को एक ही सत्य का रूप बताया गया है।
हां, यह उपनिषद ध्यान की विभिन्न विधियों और उनकी महत्ता पर विस्तार से चर्चा करता है।
Weight | 480 g |
---|---|
Dimensions | 21.59 × 13.97 × 2.25 cm |
Author | Osho |
ISBN | 8171826121 |
Pages | 204 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171826121 |
जागो, मन जागरण की बेला ! और जागरण की बेला हमेशा है। ऐसा कोई क्षण नहीं जब तुम जाग न सको। ऐसा कोई पल नहीं जब तुम पलक न खोल सको। आंख बंद किये हो, यह तुम्हारा निर्णय है। आंख खोलना चाहो, तो इसी क्षण क्रांति घट सकती है।
ISBN10- 8171826121
ISBN10-8171826121
Business and Management, Religions & Philosophy