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Ayurvediya Garbhsanskar (आयुर्वेदीय गर्भसंस्कार)

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आयुर्वेदीय गर्भसंस्कार पुस्तक आयुर्वेद के प्राचीन सिद्धांतों पर आधारित है, जो गर्भावस्था के दौरान माँ और शिशु दोनों के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है। इसमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आहार, योग, ध्यान और जीवनशैली के उपाय सुझाए गए हैं। यह पुस्तक न केवल गर्भावस्था के दौरान बल्कि स्वस्थ और संस्कारित संतान के जन्म के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो एक संपूर्ण परिवार के लिए सुख और समृद्धि लाने में सहायक होती है।
ISBN: 8128838326

ISBN10-8128838326

A Book Is Forever
Ayurvediya Garbhsanskar (आयुर्वेदीय गर्भसंस्कार)
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Ayurvediya Garbhsanskar (आयुर्वेदीय गर्भसंस्कार)

पुस्तक के बारे में

आयुर्वेद में एवं वैदिक साहित्य में ‘गर्भसंस्कार’ विषय पर वर्षों से अनुसंधन चल रहा है। पिछले कई दशकों से इस अनुसंधन का लाभ गर्भवती स्त्रिायां उठा रही हैं। ‘आयुर्वेदीय गर्भसंस्कार’ पुस्तक इसी अनुभव सिद्ध अनुसंधन का सार है। अपना शिशु सुंदर, बुद्धिमान और स्वस्थ होने के लिए क्या करना चाहिये, इस बारे में विस्तृत मार्गदर्शन किया गया है। गर्भावस्था का काल एक सुखदायी आनंदयात्रा हो और एक गुणवान एवं संस्कारी सन्तान को जन्म देने का अलौकिक अनुभव देने वाला हो, इसलिए हर गर्भवती और सन्तान प्राप्ति की आशा रखने वाले दम्पती इस पुस्तक को जरूर पढ़े।

लेखक के बारे में

अभय कुलकर्णी आयुर्वेदिक चिकित्सा और जीवनशैली के क्षेत्र में सबसे प्रमुख लेखकों में से एक हैं। उन्होंने आयुर्वेद के लाभों पर गुजराती में कई किताबें लिखी हैं। वह लंबे समय से डायमंड बुक्स से जुड़े हुए हैं। वर्षों से, उनकी किताबों का कई अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उनकी किताबों की पूरे भारत में एक बड़ी संख्या में पाठक हैं।

गर्भावस्था के दौरान आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाने के क्या लाभ हो सकते हैं?

आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाने से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है, जो गर्भ में शिशु के विकास के लिए एक स्वस्थ और सकारात्मक वातावरण तैयार करता है।

गर्भावस्था के दौरान ध्यान और योग का महत्व क्या है, और यह शिशु के विकास पर कैसे असर डालते हैं?

ध्यान और योग तनाव को कम करते हैं और मां व शिशु दोनों के मानसिक संतुलन को बनाए रखते हैं। यह स्वस्थ मानसिक वातावरण शिशु के सकारात्मक मानसिक विकास में सहायक होता है।

गर्भावस्था के दौरान सकारात्मक विचार और भावनाएं शिशु के विकास को कैसे प्रभावित करती हैं?

सकारात्मक विचार और भावनाएं मां के मन को शांत और स्थिर रखती हैं, जिसका प्रभाव गर्भस्थ शिशु के मानसिक और भावनात्मक विकास पर पड़ता है, जिससे शिशु में सकारात्मक गुण विकसित होते हैं।

गर्भसंस्कार के आयुर्वेदिक सिद्धांत किस प्रकार आधुनिक चिकित्सा विधियों से भिन्न हैं?

आयुर्वेदिक सिद्धांत केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास पर भी जोर देते हैं, जिससे संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है।

क्या गर्भसंस्कार का प्रभाव शिशु के जन्म के बाद भी बना रहता है?

हां, आयुर्वेद में यह माना गया है कि गर्भावस्था में प्राप्त संस्कारों का प्रभाव शिशु के पूरे जीवन पर पड़ सकता है, जो उसके मानसिक और भावनात्मक गुणों में दिखाई दे सकता है।

Additional information

Weight 310 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.38 cm
Author

Vaidya Rajshri Kulkarni

ISBN

9788128838323

Pages

24

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Jr. Diamond

Amazon

https://amzn.to/38UOAYm

ISBN 10

8128838326

ISBN : 9788128838323 SKU 9788128838323 Categories , , Tags ,

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