बाल कहानियों में सबसे बड़ा तत्व मनोरंजन का होता है। किंतु यदि मनोरंजन के साथ-साथ कहानी के माध्यम से कोई शिक्षा या संदेश भी बच्चों तक संप्रेषित हो जाए तो कहानी सार्थक हो जाती है। किंतु यह शिक्षा या संदेश बिलकुल अप्रत्यक्ष रूप से होनी चाहिए, इस तरह कि ग्रहण करने वाले को आभास भी न हो सके कि उसे न हो सके कि उसे कुछ सिखलाया जा रहा है। शिक्षा के लिए तो स्कूल की किताबें होती ही हैं, यदि कहानियों में भी शिक्षा दिखाई पड़ने लगे तो बच्चे उनकी ओर आकर्षित होने के बजाय उनसे दूर भागेंगे।
About the Author
16 कहानी संग्रह, 13 उपन्यास, 2 व्यंग्य संग्रह और 29 चित्र कथाएं और प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में 1150 से अधिक कहानियां एवं व्यंग्य प्रकाशित।
प्रमुख पुरस्कार:
1. भारत सरकार का प्रतिष्ठित ‘भारतेन्दु हरिशचन्द्र पुरस्कार’ रिकार्ड दो बार (वर्ष 2005 एवं 2010)
2. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सूर – पुरस्कार (वर्ष 2005). पं. सोहन लाल द्विवेदी पुरस्कार (वर्ष 2010) तथा अमृत लाल नागर कथा सम्मान-2013
3. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का दो लाख रूपये का ‘बाल साहित्य – भारती पुरस्कार-2018
4. रेल मंत्रालय का प्रेमचंद पुरस्कार 2015
5. शब्द निष्ठा सम्मान-2019
6. सी. बी. टी. द्वारा आयोजित अ.भा. लेखन प्रतियोगिता – 2016 में वैज्ञानिक उपन्यास रेडसन के एलियन को प्रथम पुरस्कार
7. अखिल भारतीय स्तर की कई कहानी प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार
8 यूनीसेफ और सी.बी. टी. द्वारा कई रचनाएं प्रकाशित व सम्मानित
9. रेडियो एवं टी.वी. पर कई कहानियां, नाटक एवं भेंटवार्ताएं प्रसारित
10. कई अन्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित
अनुवाद:
1. उपन्यास होगी जीत हमारी का भारत सरकार द्वारा 15 भाषाओं में प्रकाशन |
2. चित्र कथा ‘वह हंस दिया का विश्व की 148 भाषाओं में अनुवाद |
3. पुस्तक ‘चंदा गिनती भूल गया का 8 भाषाओं में प्रकाशन |
4. पुस्तक ‘सूरज की गुस्सा, चंदामामा और ‘टूटा पंख’ का 10 भाषाओं में प्रकाशन।
5. उपन्यास ‘डूबा हुआ किला’ का 4 भाषाओं में अनुवाद |
सम्प्रति:
पूर्व आई.आर.पी.एस. अधिकारी, आर.डी.एस.ओ. (भारत सरकार)/ लखनऊ से निर्देशक के पद से सेवानिवृत्ति |