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Bade Ghar Ki Beti Hindi-0
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Bade Ghar Ki Beti Hindi

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Bade Ghar Ki Beti (Mansarovar 7-8) : बड़े घर की बेटी (मानसरोवर 7-8) Munshi Premchand
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Bade Ghar Ki Beti (Mansarovar 7-8) : बड़े घर की बेटी (मानसरोवर 7-8) Munshi Premchand
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पुस्तक के बारे में

बड़े घर की बेटी” मुंशी प्रेमचंद की एक महत्वपूर्ण कहानी है, जो उच्च वर्ग की एक लड़की की समस्याओं और संघर्षों को उजागर करती है। यह कहानी विवाह, पारिवारिक दबाव, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मुद्दों पर प्रकाश डालती है। प्रेमचंद ने इस रचना के माध्यम से समाज के दोहरे मानदंडों और महिलाओं की स्थिति को संवेदनशीलता से दर्शाया है। यह कहानी पाठकों को विचार करने के लिए प्रेरित करती है कि कैसे समाजिक और पारिवारिक अपेक्षाएँ एक महिला के जीवन को प्रभावित करती हैं।

लेखक के बारे में

धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

बड़े घर की बेटी किस लेखक द्वारा लिखी गई है?

यह कहानी प्रसिद्ध हिंदी लेखक मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है

इस बड़े घर की बेटी का मुख्य विषय क्या है?

कहानी का मुख्य विषय सामाजिक वर्ग, विवाह, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता है।

क्यों यह बड़े घर की बेटी महत्वपूर्ण है?

यह कहानी महिलाओं की स्थिति और सामाजिक अपेक्षाओं को समझने में मदद करती है, जो आज भी प्रासंगिक है।

बड़े घर की बेटी कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?

व्यक्तिगत स्वतंत्रता: कहानी यह सिखाती है कि व्यक्ति को अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने का हक होना चाहिए, चाहे वह सामाजिक या पारिवारिक दबाव के खिलाफ ही क्यों न हो। सामाजिक दबाव का सामना: यह कहानी दर्शाती है कि समाज की अपेक्षाएँ कभी-कभी व्यक्ति की खुशी और स्वतंत्रता को बाधित कर सकती हैं। इसके बावजूद, व्यक्ति को अपने सपनों और इच्छाओं के लिए संघर्ष करना चाहिए। महिलाओं की स्थिति: कहानी में महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों पर प्रकाश डाला गया है, जो यह दर्शाता है कि समाज में बदलाव की आवश्यकता है ताकि महिलाएँ स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जी सकें। पारिवारिक संबंध: यह सिखाती है कि पारिवारिक संबंधों को समझदारी और सहानुभूति से संभालना चाहिए। परिवार के सदस्यों के बीच संवाद और समझदारी आवश्यक है। सच्चे प्यार की अहमियत: कहानी यह भी बताती है कि सच्चा प्यार और समझ किसी भी रिश्ते में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, और ये सामाजिक मानदंडों से अधिक महत्वपूर्ण हैं।

बड़े घर की बेटी में मुंशी प्रेमचंद ने समाज की किन समस्याओं को उजागर किया है?

मुंशी प्रेमचंद ने इस कहानी में भारतीय समाज में आर्थिक असमानता, पारिवारिक तनाव, और रिश्तों में बढ़ते अहंकार जैसी समस्याओं को दर्शाया है।

Additional information

Weight 540 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.55 cm
Author

Preamchand

ISBN

9789350832882

Pages

24

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

9350832887

मानसरोवर भाग 7-8 मुंशी प्रेमचंद की सम्पूर्ण कहानियां बड़े घर की बेटी तथा अन्य कहानियां प्रेमचंद ने हिंदी कहानी को एक निश्चित परिवेश और कलात्मक आधार दिया। उन्होंने कहानी के स्वरूप को पाठकों की रुचि, कल्पना और विचार शक्ति का निर्माण करते हुए विकसित किया है। उनकी कहानियों का भाव-ज़गृत आत्मानुभूत अथवा निकट से देखा हो। साहित्यिक क्षेत्र में वह वास्तविक जगत की उपज थे। उनकी कहानी की विशिष्टता यह है कि उसमें आदर्श और यथार्थ का गंगा-जमुनी संगम है। कथा का स्वरूप घटनाओं और पात्रों के माध्यम से निरूपित होता है। यहाँ घटनाएँ चौखट और पात्र इसके अन्तः का विकास करने वाले चित्र। कथाकार के रूप में प्रेमचंद अपने जीवनकाल में ही किंवदंती बन गए थे। उन्होंने मुख्यतः ग्रामीण एवं नागर सामाजिक जीवन को कहानियों का विषय बनाया है। उनकी कथायात्रा में श्रमिक विकास के लक्ष्मण स्पष्ट हैं। यह विकास वस्तु, विचार, अनुभव तथा शैली सभी स्तरों पर अनुभव किया जा सकता है। उनका मानवतावाद अमूर्त भावात्मक नहीं, अपितु उसका आधार एक प्रकार का सुसंगत यथार्थवाद है, जो भावुकतापूर्ण आदर्शवाद प्रशंसा का पूर्णक, गद्यात्मक क्रम पाठकों के समक्ष रख सका है। उनकी कहानियों को मानसरोवर के आठ खंडों में समाहित किया गया है, जिसे डायमंड पॉकेट बुक्स ने आकर्षक आवरण में चार भागों में प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में 7 और 8 भाग को लिया गया है। हम उनकी यादगार कहानी बड़े घर की बेटी को प्रस्तुत कर रहे हैं।
ISBN10-9350832887

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