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Balswaroop ‘Rahi’ : Sher Manpasand (बालस्वरूप ‘राही’ : शेर मनपसंद)

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हिन्दी ग़ज़ल के बारे में सोचते ही बालस्वरूप राही का नाम ज़हन में आ जाता है। ग़ज़ल उर्दू शायरी की आबरू है और राही हिन्दी ग़ज़ल की आबरू हैं। उन की हर ग़ज़ल में दिल को छूने वाले ऐसे अशआर मिल जाते हैं जो आपो-आप कंठस्थ भी हो जाते हैं। बुजुर्गों के अनुसार, अच्छी शायरी की सच्ची पहचान व सच्ची शायरी यही है ।
राही साहब से मेरी पहली मुलाकात कम-ओ-बेश चालीस बरस पहले हुई थी। तभी से हम दोस्ताना मरासिम हैं । नब्बे के दशक में हम दोनों ने मिलकर कई यादगार डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में बनाईं। फिर बेशुमार ‘रेडियो नाटक लिखे, जो बारह भाषाओं में अनूदित होकर आकाशवाणी द्वारा प्रसारित हुए और देश-भर में बड़ी दिलचस्पी से सुने जाते रहे। लेकिन ये सब तो फ़रमाशी कार्यक्रम थे। राही जी से मिलना हो तो ये उन की ग़ज़लों के द्वारा ही संभव है।

About the Author

नाम : बालस्वरूप ‘राही’
जन्म : 16 मई, 1936
जन्म-स्थान : तिमारपुर, दिल्ली
पिता का नाम : श्री देवीदयाल भटनागर
आजीविकाः दिल्ली विश्वविद्यालय में ट्यूटर, ‘सरिता’ में अंशकालिक कार्य, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में सह-संपादक (1960-1978), “प्रोब इंडिया” (इंग्लिश) के परिकल्पनाकार एवं प्रथम संपादक, भारतीय ज्ञानपीठ में सचिव (1982-1990), महाप्रबंधक, हिन्दी भवन ।
प्रकाशन : मेरा रूप तुम्हारा दर्पण (गीत-संग्रह), जो नितांत मेरी हैं (गीत-संग्रह), राग विराग (हिन्दी का प्रथम ऑपेरा), हमारे लोकप्रिय गीतकार, बालस्वरूप राही (डॉ. शेरजंग गर्ग द्वारा संपादित), राही को समझाए कौन (ग़ज़ल-संग्रह) । बालगीत संग्रह : दादी अम्मा मुझे बताओ, हम जब होंगे बड़े (हिन्दी व अंग्रेज़ी में), बंद कटोरी मीठा जल, हम सब से आगे निकलेंगे, गाल बने गुब्बारे, सूरज का रथ, सम्पूर्ण बाल कविताएं।
संपादन : भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित 8 वार्षिक चयनिकाएँ : भारतीय कविताएँ 1983, 1984, 1985, 1986, भारतीय कहानियाँ 1983, 1984, 1985, 1986.
सम्मान तथा पुरस्कार : प्रकाशवीर शास्त्री पुरस्कार, एन.सी.ई.आर.टी. का राष्ट्रीय पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार (समाज कल्याण मंत्रालय), हिन्दी अकादमी द्वारा साहित्यकार सम्मान, अक्षरम् सम्मान, उद्भव सम्मान, जै जै वन्ती सम्मान, परम्परा पुरस्कार, हिन्दू कॉलिज द्वारा अति विशिष्ट पूर्व छात्र-सम्मान, साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार।
विशेष : अनेकानेक कवि-गोष्ठियों, कवि-सम्मेलनों आदि में सक्रिय भागीदारी। रेडियो, टी.वी. में अनेक कार्यक्रम। आकाशवाणी से एकल काव्य-पाठ। आकाशवाणी के सर्वभाषा कवि-सम्मेलन में हिन्दी का प्रतिनिधित्व (2003)। टी.वी. तथा आकाशवाणी के अनेक वृत्तचित्रों, धारावाहिकों की पटकथा, आलेख, गीत-संगीत, नाटक विभाग के अनेक ध्वनि-प्रकाश कार्यक्रमों के लिए आलेख तथा गीत। दूरदर्शन द्वारा कवि पर वृत्तचित्र प्रसारण। संसदीय कार्य मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य।
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन।

हिन्दी ग़ज़ल के बारे में सोचते ही बालस्वरूप राही का नाम ज़हन में आ जाता है। ग़ज़ल उर्दू शायरी की आबरू है और राही हिन्दी ग़ज़ल की आबरू हैं। उन की हर ग़ज़ल में दिल को छूने वाले ऐसे अशआर मिल जाते हैं जो आपो-आप कंठस्थ भी हो जाते हैं। बुजुर्गों के अनुसार, अच्छी शायरी की सच्ची पहचान व सच्ची शायरी यही है ।
राही साहब से मेरी पहली मुलाकात कम-ओ-बेश चालीस बरस पहले हुई थी। तभी से हम दोस्ताना मरासिम हैं । नब्बे के दशक में हम दोनों ने मिलकर कई यादगार डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में बनाईं। फिर बेशुमार ‘रेडियो नाटक लिखे, जो बारह भाषाओं में अनूदित होकर आकाशवाणी द्वारा प्रसारित हुए और देश-भर में बड़ी दिलचस्पी से सुने जाते रहे। लेकिन ये सब तो फ़रमाशी कार्यक्रम थे। राही जी से मिलना हो तो ये उन की ग़ज़लों के द्वारा ही संभव है।

About the Author

नाम : बालस्वरूप ‘राही’
जन्म : 16 मई, 1936
जन्म-स्थान : तिमारपुर, दिल्ली
पिता का नाम : श्री देवीदयाल भटनागर
आजीविकाः दिल्ली विश्वविद्यालय में ट्यूटर, ‘सरिता’ में अंशकालिक कार्य, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में सह-संपादक (1960-1978), “प्रोब इंडिया” (इंग्लिश) के परिकल्पनाकार एवं प्रथम संपादक, भारतीय ज्ञानपीठ में सचिव (1982-1990), महाप्रबंधक, हिन्दी भवन ।
प्रकाशन : मेरा रूप तुम्हारा दर्पण (गीत-संग्रह), जो नितांत मेरी हैं (गीत-संग्रह), राग विराग (हिन्दी का प्रथम ऑपेरा), हमारे लोकप्रिय गीतकार, बालस्वरूप राही (डॉ. शेरजंग गर्ग द्वारा संपादित), राही को समझाए कौन (ग़ज़ल-संग्रह) । बालगीत संग्रह : दादी अम्मा मुझे बताओ, हम जब होंगे बड़े (हिन्दी व अंग्रेज़ी में), बंद कटोरी मीठा जल, हम सब से आगे निकलेंगे, गाल बने गुब्बारे, सूरज का रथ, सम्पूर्ण बाल कविताएं।
संपादन : भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित 8 वार्षिक चयनिकाएँ : भारतीय कविताएँ 1983, 1984, 1985, 1986, भारतीय कहानियाँ 1983, 1984, 1985, 1986.
सम्मान तथा पुरस्कार : प्रकाशवीर शास्त्री पुरस्कार, एन.सी.ई.आर.टी. का राष्ट्रीय पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार (समाज कल्याण मंत्रालय), हिन्दी अकादमी द्वारा साहित्यकार सम्मान, अक्षरम् सम्मान, उद्भव सम्मान, जै जै वन्ती सम्मान, परम्परा पुरस्कार, हिन्दू कॉलिज द्वारा अति विशिष्ट पूर्व छात्र-सम्मान, साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार।
विशेष : अनेकानेक कवि-गोष्ठियों, कवि-सम्मेलनों आदि में सक्रिय भागीदारी। रेडियो, टी.वी. में अनेक कार्यक्रम। आकाशवाणी से एकल काव्य-पाठ। आकाशवाणी के सर्वभाषा कवि-सम्मेलन में हिन्दी का प्रतिनिधित्व (2003)। टी.वी. तथा आकाशवाणी के अनेक वृत्तचित्रों, धारावाहिकों की पटकथा, आलेख, गीत-संगीत, नाटक विभाग के अनेक ध्वनि-प्रकाश कार्यक्रमों के लिए आलेख तथा गीत। दूरदर्शन द्वारा कवि पर वृत्तचित्र प्रसारण। संसदीय कार्य मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य।
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन।

Additional information

Author

Balswaroop 'Rahi'

ISBN

9789356844629

Pages

132

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Toons

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9356844623

Flipkart

https://www.flipkart.com/balswaroop-rahi-sher-manpasand/p/itmcc828b559b023?pid=9789356844629

ISBN 10

9356844623

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