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भगवद्-गीता वैदिक संस्कृति का एक पवित्रा शास्त्रा है। जैसा कि सभी शास्त्रों के साथ हुआ, यह ज्ञान भी मौखिक रूप से प्रसारित होता रहा है। इसलिए संस्कृत में इसे ‘श्रुति’ कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘सुना हुआ’। भगवद्-गीता प्रायः ‘गीता’ कही जाती है। जिसका संस्कृत में निहित अर्थ है ‘पवित्रा गीत’। जहां वेद और उपनिषद अपने आप में पूरे ग्रन्थ हैं। ‘गीता’ प्रसि( हिन्दू ग्रन्थ ‘महाभारत’ का ही एक अंग है। ‘महाभारत’ को भी एक पुराण की संज्ञा दी जाती है। अतः गीता महाभारत की कहानी का एक हिस्सा ही है। परमहंस नित्यानंद ने इस पुस्तक में भगवद् गीता के रहस्यों की सटीक व्याख्या की है जो पढ़ने वालों को एक नई दिशा देती है और वे भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा को अपनाते हुए आज के युग में आनन्ददायक जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
Author | Paramahamsa Nithyananda |
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ISBN | 9789350834800 |
Pages | 24 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Jr Diamond |
ISBN 10 | 9350834804 |
भगवद्-गीता वैदिक संस्कृति का एक पवित्रा शास्त्रा है। जैसा कि सभी शास्त्रों के साथ हुआ, यह ज्ञान भी मौखिक रूप से प्रसारित होता रहा है। इसलिए संस्कृत में इसे ‘श्रुति’ कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘सुना हुआ’। भगवद्-गीता प्रायः ‘गीता’ कही जाती है। जिसका संस्कृत में निहित अर्थ है ‘पवित्रा गीत’। जहां वेद और उपनिषद अपने आप में पूरे ग्रन्थ हैं। ‘गीता’ प्रसि( हिन्दू ग्रन्थ ‘महाभारत’ का ही एक अंग है। ‘महाभारत’ को भी एक पुराण की संज्ञा दी जाती है। अतः गीता महाभारत की कहानी का एक हिस्सा ही है। परमहंस नित्यानंद ने इस पुस्तक में भगवद् गीता के रहस्यों की सटीक व्याख्या की है जो पढ़ने वालों को एक नई दिशा देती है और वे भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा को अपनाते हुए आज के युग में आनन्ददायक जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
ISBN10-9350834804
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