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Bhagwad Geeta Part-II (Hindi)

350.00

भगवद्-गीता वैदिक संस्कृति का एक पवित्रा शास्त्रा है। जैसा कि सभी शास्त्रों के साथ हुआ, यह ज्ञान भी मौखिक रूप से प्रसारित होता रहा है। इसलिए संस्कृत में इसे ‘श्रुति’ कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘सुना हुआ’। भगवद्-गीता प्रायः ‘गीता’ कही जाती है। जिसका संस्कृत में निहित अर्थ है ‘पवित्रा गीत’। जहां वेद और उपनिषद अपने आप में पूरे ग्रन्थ हैं। ‘गीता’ प्रसि( हिन्दू ग्रन्थ ‘महाभारत’ का ही एक अंग है। ‘महाभारत’ को भी एक पुराण की संज्ञा दी जाती है। अतः गीता महाभारत की कहानी का एक हिस्सा ही है। परमहंस नित्यानंद ने इस पुस्तक में भगवद् गीता के रहस्यों की सटीक व्याख्या की है जो पढ़ने वालों को एक नई दिशा देती है और वे भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा को अपनाते हुए आज के युग में आनन्ददायक जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

ISBN10-9350834804

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भगवद्-गीता वैदिक संस्कृति का एक पवित्रा शास्त्रा है। जैसा कि सभी शास्त्रों के साथ हुआ, यह ज्ञान भी मौखिक रूप से प्रसारित होता रहा है। इसलिए संस्कृत में इसे ‘श्रुति’ कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘सुना हुआ’। भगवद्-गीता प्रायः ‘गीता’ कही जाती है। जिसका संस्कृत में निहित अर्थ है ‘पवित्रा गीत’। जहां वेद और उपनिषद अपने आप में पूरे ग्रन्थ हैं। ‘गीता’ प्रसि( हिन्दू ग्रन्थ ‘महाभारत’ का ही एक अंग है। ‘महाभारत’ को भी एक पुराण की संज्ञा दी जाती है। अतः गीता महाभारत की कहानी का एक हिस्सा ही है। परमहंस नित्यानंद ने इस पुस्तक में भगवद् गीता के रहस्यों की सटीक व्याख्या की है जो पढ़ने वालों को एक नई दिशा देती है और वे भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा को अपनाते हुए आज के युग में आनन्ददायक जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

Additional information

Author

Paramahamsa Nithyananda

ISBN

9789350834800

Pages

24

Format

Paper Back

Language

Hindi

Publisher

Jr Diamond

ISBN 10

9350834804

SKU 9789350834800 Categories ,