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भारत केवल एक भूगोल या इतिहास का अंग ही नहीं है। यह सिर्फ एक देश, एक राष्ट्र एक जमीन का टुकड़ा मात्र नहीं है। यह कुछ और भी है- एक प्रतीक, एक काव्य, कुछ अदृश्य सा-किंतु फिर भी जिसे छुआ जा सके। कुछ विशेष ऊर्जा-तरंगों से स्पंदित है यह जगह, जिसका दावा कोई और नहीं कर सकता।
भारत एक अनूठी संपदा ओशों द्वारा विभिन्न प्रश्नोत्तर प्रवचनमालाओं के उपनिषद-सूत्रों, संस्कृत-सुभाषितों एवं वेद व ॠषि वाक्यों पर दिए गए प्रश्नोत्तर प्रवचनांशों के संकलन ‘मेरा स्वर्णिम भारत में से संकलित आठ (34 से 41) प्रवचन है।
भारत एक अनूठी संपदा ओशो द्वारा भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित पुस्तक है। इस किताब में ओशो ने भारत को एक भौगोलिक राष्ट्र से कहीं अधिक एक आध्यात्मिक खजाने के रूप में देखा है। उनके अनुसार, भारत की संपदा उसकी प्राचीन धरोहर, ध्यान, योग, और साधना की परंपराओं में निहित है, जो व्यक्ति को आंतरिक शांति और मुक्ति की ओर ले जाती है। ओशो ने इस पुस्तक के माध्यम से भारतीय जीवनशैली और इसकी आध्यात्मिकता की महत्ता को सरल और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत किया है।
ओशो का दृष्टिकोण: ओशो ने भारत को ‘अनूठी संपदा’ इसलिए कहा है क्योंकि यहां का ज्ञान और आध्यात्मिकता एक ऐसी धरोहर है, जिसे दुनिया भर में अनमोल माना जाता है। उनका मानना है कि भारतीय संस्कृति में छिपी यह संपदा न केवल बाहरी भौतिक संपत्तियों से परे है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन को एक गहरे, शाश्वत अर्थ से भर देती है।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
यह पुस्तक भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के महत्व को उजागर करती है, जिसे ओशो ने एक अनमोल खजाने के रूप में प्रस्तुत किया है।
ओशो के अनुसार, भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराएं, ध्यान और योग की विधियां भारत को विशेष बनाती हैं, जो व्यक्ति को आंतरिक शांति और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाती हैं।
यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर को समझने और जीवन में अपनाने के इच्छुक हैं।
ओशो का संदेश है कि भारत की वास्तविक संपदा उसकी आध्यात्मिकता में है, जो व्यक्ति को बाहरी भौतिकता से परे आत्म-ज्ञान और मुक्ति की ओर ले जाती है।
ओशो का संदेश है कि भारत की वास्तविक संपदा उसकी आध्यात्मिकता में है, जो व्यक्ति को बाहरी भौतिकता से परे आत्म-ज्ञान और मुक्ति की ओर ले जाती है।
भारतीय जीवनशैली में योग, ध्यान, और साधना का विशेष महत्व है, जो व्यक्ति के जीवन में संतुलन और आंतरिक शांति को लाने में सहायक होती है।
Weight | 195 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 × 0.86 cm |
Author | Osho |
ISBN | 8171822355 |
Pages | 152 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171822355 |
ओशो के प्रखर विचारों ने, ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों पर, संप्रदायों पर, -मठाधीशों पर, अंधे राजनेताओं पर, जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्र-पत्रिकाओं ने छपी या तो ओशो पर चटपटी मनगढंत खबरें या उनकी निंदा की, भ्रम के बादल फैलाए। ये – भ्रम के बादल ओशो और लोगों के आगे आ गए। जैसे सूरज के आगे बादल आ जाते हैं। इससे देर हो रही है मनुष्य के सौभाग्य को मनुष्य तक पहुंचने में।
आशकरण अटल (हास्य-व्यंग्य के सुप्रसिद्ध कवि
ISBN10-8171822355
Autobiography & Memories, Books
Business and Management, Religions & Philosophy