पौराणिक काल में किसी भी विपत्ति अथवा शत्राु से अपने निकटवर्ती प्रियजन की रक्षा करने के लिए ‘रक्षासूत्रा’ अथवा ‘रक्षाकवच’ बांध्ने की परंपरा थी। जब एक महाबलशाली असुर ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया और देवसेना असुर सेना से पराजित होने लगी तो देवगुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र की बांह पर रक्षासूत्रा बांध था। इस रक्षासूत्रा का बल पाकर देवराज ने असुर सेना को पराजित कर दिया था। द्वापर युग में द्रोपदी ने भगवान कृष्ण की घायल उंगली में अपनी साड़ी का एक छोटा-सा टुकड़ा पफाड़कर बांध तो भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को आजीवन रक्षा करने का वचन दिया। कालांतर में यही परंपरा भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक बन गई। अब इस परंपरा को बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध्कर रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में मनाती हैं। इस पुस्तक में रक्षाबंध्न से संबंध्ति विभिन्न पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंगों को मनोहारी चित्रों के साथ सरल एवं रोचक भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
Bharat Ke Tyohar Rakshabandhan Hindi (PB)
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पौराणिक काल में किसी भी विपत्ति अथवा शत्राु से अपने निकटवर्ती प्रियजन की रक्षा करने के लिए ‘रक्षासूत्रा’ अथवा ‘रक्षाकवच’ बांध्ने की परंपरा थी। जब एक महाबलशाली असुर ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया और देवसेना असुर सेना से पराजित होने लगी तो देवगुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र की बांह पर रक्षासूत्रा बांध था। इस रक्षासूत्रा का बल पाकर देवराज ने असुर सेना को पराजित कर दिया था। द्वापर युग में द्रोपदी ने भगवान कृष्ण की घायल उंगली में अपनी साड़ी का एक छोटा-सा टुकड़ा पफाड़कर बांध तो भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को आजीवन रक्षा करने का वचन दिया। कालांतर में यही परंपरा भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक बन गई। अब इस परंपरा को बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध्कर रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में मनाती हैं। इस पुस्तक में रक्षाबंध्न से संबंध्ति विभिन्न पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंगों को मनोहारी चित्रों के साथ सरल एवं रोचक भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
ISBN10-9381381437
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