चन्द्रमा सुन्दर स्त्री की तरह चंचल, चपल एवं मन में उठने वाली विभिन्न । तरंगों का प्रतीक है। चन्द्रमा ग्रहों की रानी कही गई है। यह नक्षत्रराज, तारापति है, जो कल्पना शक्ति का प्रजनक है। चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक है, अतः इसका प्रभाव मानव के मन-मस्तिष्क पर शीघ्र पड़ता है।। जन्मकुण्डली में मनः स्थिति, सोचने की प्रवृत्ति, सुन्दरता, धन की स्थिति, मां का सुख, जीवन की प्रसन्नता, शिक्षा, मनुष्य की बाल्य-अवस्था, बालारिष्ट व उत्साह सब कुछ चन्द्रमा की स्थिति से देखा जाता है। अतः प्रस्तुत पुस्तक केवल चन्द्र ग्रह को लेकर लिखी गई है। बारह लग्न एवं बारह भावों में चन्द्रमा की स्थिति को लेकर 144 प्रकार की जन्मकुण्डलियां अकेले चन्द्रमा को लेकर बनी। इसमें चन्द्रमा की अन्य ग्रहों के साथ युति को लेकर भी चर्चा की गई है। फलतः 144X9 ग्रहों का गुणा करने पर कुल 1296 प्रकार से चन्द्रमा की स्थिति पर फलादेश की चर्चा इस । ग्रन्थ में मिलेगी। पूर्वाचार्यों के सप्रमाण मत के अलावा इस पुस्तक का उपचार खण्ड सबसे महत्त्वपूर्ण है। जिसमें प्रतिकूल चन्द्रमा को अनुकूल बनाने के लिए वैदिक पौराणिक, तांत्रिक, लाल किताब व अन्य अनुभूत सरल टोटके, रत्नोपचार व प्रार्थनाएं दी गई हैं। जिसमें तत्त्वग्राही, प्रबुद्ध पाठको के लिए यह पुस्तक अनमोल हो गई। पीड़ित मानवता के कष्टों को दूर करने की श्रृंखला में लोककल्याण की उत्तम भावना को लेकर लिखे गए ऐसे उत्कृष्ट साहित्य को प्रकाशित करते हुए हमें गर्व का अनुभव हो रहा है।
Bhoj Sanhita : Chandra Khand (भोज संहिता : चन्द्र खंड)
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चन्द्रमा सुन्दर स्त्री की तरह चंचल, चपल एवं मन में उठने वाली विभिन्न । तरंगों का प्रतीक है। चन्द्रमा ग्रहों की रानी कही गई है। यह नक्षत्रराज, तारापति है, जो कल्पना शक्ति का प्रजनक है। चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक है, अतः इसका प्रभाव मानव के मन-मस्तिष्क पर शीघ्र पड़ता है।। जन्मकुण्डली में मनः स्थिति, सोचने की प्रवृत्ति, सुन्दरता, धन की स्थिति, मां का सुख, जीवन की प्रसन्नता, शिक्षा, मनुष्य की बाल्य-अवस्था, बालारिष्ट व उत्साह सब कुछ चन्द्रमा की स्थिति से देखा जाता है। अतः प्रस्तुत पुस्तक केवल चन्द्र ग्रह को लेकर लिखी गई है। बारह लग्न एवं बारह भावों में चन्द्रमा की स्थिति को लेकर 144 प्रकार की जन्मकुण्डलियां अकेले चन्द्रमा को लेकर बनी। इसमें चन्द्रमा की अन्य ग्रहों के साथ युति को लेकर भी चर्चा की गई है। फलतः 144X9 ग्रहों का गुणा करने पर कुल 1296 प्रकार से चन्द्रमा की स्थिति पर फलादेश की चर्चा इस । ग्रन्थ में मिलेगी। पूर्वाचार्यों के सप्रमाण मत के अलावा इस पुस्तक का उपचार खण्ड सबसे महत्त्वपूर्ण है। जिसमें प्रतिकूल चन्द्रमा को अनुकूल बनाने के लिए वैदिक पौराणिक, तांत्रिक, लाल किताब व अन्य अनुभूत सरल टोटके, रत्नोपचार व प्रार्थनाएं दी गई हैं। जिसमें तत्त्वग्राही, प्रबुद्ध पाठको के लिए यह पुस्तक अनमोल हो गई। पीड़ित मानवता के कष्टों को दूर करने की श्रृंखला में लोककल्याण की उत्तम भावना को लेकर लिखे गए ऐसे उत्कृष्ट साहित्य को प्रकाशित करते हुए हमें गर्व का अनुभव हो रहा है।
Additional information
Author | Dr. Dwivedi, Bhojraj |
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ISBN | 9788128810053 |
Pages | 48 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Toons |
Amazon | |
ISBN 10 | 8128810057 |