किताब के बारे में
भोज संहिता : कुंडली खण्ड सभी ग्रहों में सबसे खतरनाक ग्रह राह है। यह दैत्यराज, असराधिपति है। प्रत्येक कार्य को बिगाड़ने का श्रेय राहु को है। यह भ्रम पैदा करने वाला काल-विभाजक सूर्य का मुख है। इसका रंग काला है। इसका कोई शरीर नहीं है। सूर्य-चंद्र ग्रहण राहु के कारण ही होते हैं, यह इसका वैज्ञानिक पक्ष है। ग्रहण काल में पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव को राहु कहते हैं। यह राक्षस का सिर मात्र है। राहु शुभ और अशुभ दोनों फल देता है। बारह लग्न एवं बारह भावों में राहु की स्थिति को लेकर 144 प्रकार की जन्मकुंडलियां अकेले राहु को लेकर बनीं। इसमें राहु की अन्य ग्रहों के साथ युति को लेकर चर्चा की गई है। फलतः 144×9 ग्रहों का गुणा करने पर कुल 1,296 प्रकार से राहु की स्थिति पर फलादेश की चर्चा की गई है। पूर्वाचार्यों के सप्रमाण मत और प्रतिकूल राहु को अनुकूल बनाने के लिए। वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक, लाल किताब व अन्य अनुभूत सरल टोटके, रत्नोपचार व प्रार्थनाएं दी गई हैं, जिससे तत्त्वग्राही, प्रबुद्ध पाठकों के लिए यह पुस्तक अनमोल वरदान साबित होगी।
लेखक के बारे में
इस पुस्तक के सहलेखक पं. रमेश भोजराज द्विवेदी ने अल्प समय में ही ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंकविद्या आदि के क्षेत्र में विशेष ख्याति अर्जित की है। भारत की कई प्रसिद्ध हस्तियां, राजनेता, फिल्म सितारे, क्रिकेट खिलाड़ी द्विवेदी जी से नियमित ज्योतिषीय परामर्श व मार्गदर्शन लेते रहते हैं। रमेश जी के द्वारा की गई सार्वजनिक महत्व की भविष्यवाणियां वक़्त की कसौटी पर खरी उतर चुकी हैं।
भोज संहिता : कुंडली खण्ड पुस्तक का मुख्य विषय क्या है?
यह पुस्तक राहु ग्रह के प्रभाव, ज्योतिषीय गणनाओं और उससे बचाव के उपायों पर केंद्रित है।
भोज संहिता : कुंडली खण्ड पुस्तक के लेखक कौन हैं और उनका योगदान क्या है?
इस पुस्तक के लेखक डॉ. भोजराज द्विवेदी और सहलेखक पं. रमेश भोजराज द्विवेदी हैं, जिन्होंने ज्योतिष, वास्तुशास्त्र और अंकविद्या में विशेष ख्याति अर्जित की है।
राहु की अशुभ स्थिति के संकेत क्या हो सकते हैं?
भ्रम, मानसिक अस्थिरता, कानूनी परेशानियां, धन हानि, दुर्घटनाएं और स्वास्थ्य समस्याएं राहु के अशुभ संकेत हो सकते हैं।
राहु ग्रह को सबसे खतरनाक क्यों माना जाता है?
राहु को दैत्यराज और असराधिपति कहा जाता है, जो भ्रम, बाधा और विपत्तियां उत्पन्न करता है।
राहु का स्वरूप और विशेषताएँ क्या हैं?
राहु बिना शरीर का एक सिर मात्र है, जिसका रंग काला होता है और यह ग्रहण उत्पन्न करता है।