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भोज संहिता: मंगल खण्ड (Bhoj Sanhita Mangal Khand) एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है जो हिंदू अनुष्ठानों, रीतियों और संस्कारों का विस्तृत विवरण प्रदान करता है। यह ग्रंथ मुख्य रूप से मंगल (शुभ) अनुष्ठानों पर केंद्रित है, जिसमें विवाह, शुभ शुरुआत और जीवन के विभिन्न अवसरों के लिए संस्कारों का विवरण है, जो वेदिक परंपराओं के अनुरूप होते हैं। भोज संहिता: मंगल खण्ड को प्राचीन हिंदू संस्कारों के विवरण में इसकी सटीकता के लिए जाना जाता है। भोज संहिता: मंगल खण्ड भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की गहरी जड़ों में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
डॉ. भोजराज दिवेदी एक विश्वविख्यात वास्तुशास्त्री एवं ज्योतिषाचार्य हैं। ‘अंतर्राष्ट्रीय वास्तु एसोसिएशन’ के संस्थापक डॉ. भोजराज जी की यशस्वी लेखनी से रचित ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंकविद्या, यंत्र-तंत्र-मंत्र विज्ञान और कर्मकाण्डों पर आधारित 400 से अधिक पुस्तकें देश-विदेश में अनेक भाषाओँ में पढ़ी जाती हैं। इस पुस्तक के सहलेखक पं. रमेश भोजराज दिवेदी ने अल्प समय में ही ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंकविद्या आदि के क्षेत्र में विशेष ख्याति अर्जित की है। भारत की कई प्रसिद्ध हस्तियां, राजनेता, फिल्म सितारे, क्रिकेट खिलाड़ी दिवेदी जी से नियमित ज्योतिषीय परामर्श व मार्गदर्शन लेते रहते हैं।
भोज संहिता का लेखन प्राचीन हिन्दू परंपरा के अनुसार हुआ था, और यह हिंदू धर्म के वैदिक ग्रंथों से जुड़ा हुआ है। यह ग्रंथ महाराज भोज द्वारा संकलित किया गया था, जो एक महान राजा और विद्वान थे। भोज संहिता में वेदिक अनुष्ठानों, शास्त्रों और धार्मिक आचारों का विवरण दिया गया है।
भोज संहिता में मुख्य रूप से 18 खंड होते हैं, जिनमें विभिन्न धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठानों, संस्कारों, और जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों से जुड़ी विधियाँ और विवरण होते हैं।
भोज संहिता भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है क्योंकि यह वेदिक परंपराओं, संस्कारों और धार्मिक अनुष्ठानों को संरक्षित करने का काम करती है। यह हिन्दू धर्म के आचारों, विवाह समारोहों, त्यौहारों, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को सही तरीके से निभाने के लिए एक मार्गदर्शिका प्रदान करती है।
भोज संहिता अन्य वेदिक ग्रंथों से अलग है क्योंकि यह विशेष रूप से हिन्दू धर्म के आचारों और अनुष्ठानों पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि वेदों में व्यापक रूप से ब्रह्मा, विश्व, आत्मा, और ईश्वर के बारे में शास्त्रों का संग्रह है। भोज संहिता संस्कार और विधियों को लेकर अधिक विशिष्ट है।
भोज संहिता में विवाह के मुख्य अनुष्ठान जैसे कन्यादान, सप्तपदी, आदि का वर्णन किया गया है, लेकिन समय और स्थान के अनुसार कुछ अनुष्ठानों में स्थानीय भिन्नताएँ हो सकती हैं। फिर भी, मुख्य विधियाँ समान रहती हैं।
Weight | 0.4 g |
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Dimensions | 21.59 × 13.97 cm |
Author | Dr. Bhojraj Dwivedi |
ISBN | 9789351655237 |
Pages | 64 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/bhoj-sanhita-mangal-khand-h-hindi/p/itme4j89zhzypw4y?pid=9789351655237 |
डॉ.भोजराज द्विवेदी मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा गया है। यह पुरुषार्थ व शक्ति का प्रतीक है। पुरुष का शुक्राणु एवं स्त्रियों का रज मंगल ग्रह के प्रभाव से बनता है। अतः संतान उत्पत्ति, दाम्पत्य सुख, परस्पर ग्रह-गुण-मेलापक में मंगल का प्रभाव सर्वोपरि है, अक्षुण्ण है। मंगलीक दोष का होना सम्पूर्ण संसार में व्यापक है। छोटे-छोटे ग्रामीण अंचल में मंगलीक दोष को लेकर मातापिता चिंतित रहते हैं तथा महानगरों, विदेशों में मंगलीक दोष निवारण के टोटके पूछते हैं। रक्त विकार एवं भाइयों का सुख भी मंगल से ही देखा जाता है। बारह लग्न एवं बारह भावों में मंगल की स्थिति को लेकर 144 प्रकार की जन्मकुण्डलियां अकेले मंगल को लेकर बनीं। इसमें मंगल की अन्य ग्रहों के साथ युति को लेकर भी चर्चा की गई है। फलतः 144X9 ग्रहों का गुणा करने पर कुल 1296 प्रकार से मंगल की स्थिति पर फलादेश की चर्चा इस ग्रंथ में मिलेगी। पूर्वाचार्यों के सप्रमाण मत के अलावा इस पुस्तक का उपचार खण्ड सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। जिसमें प्रतिकूल मंगल को अनुकूल बनाने के लिए वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक, लाल किताब व अन्य अनुभूत सरल टोटके, रत्नोपचार व प्रार्थनाएं दी गई हैं। जिससे तत्त्वग्राही, प्रबुद्ध पाठकों के लिए यह पुस्तक अनमोल हो गई। पीड़ित मानवता के कष्टों को दूर करने की श्रृंखला में लोक-कल्याण की उत्तम भावना को लेकर लिखे गए ऐसे उत्कृष्ट साहित्य को प्रकाशित करते हुए हमें गर्व का अनुभव हो रहा है। About the Author डॉ. भोजराज दिवेदी एक विश्वविख्यात वास्तुशास्त्री एवं ज्योतिषाचार्य हैं। ‘अंतर्राष्ट्रीय वास्तु एसोसिएशन’ के संस्थापक डॉ. भोजराज जी की यशस्वी लेखनी से रचित ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंकविद्या, यंत्र-तंत्र-मंत्र विज्ञान और कर्मकाण्डों पर आधारित 400 से अधिक पुस्तकें देश-विदेश में अनेक भाषाओँ में पढ़ी जाती हैं। इस पुस्तक के सहलेखक पं. रमेश भोजराज दिवेदी ने अल्प समय में ही ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंकविद्या आदि के क्षेत्र में विशेष ख्याति अर्जित की है। भारत की कई प्रसिद्ध हस्तियां, राजनेता, फिल्म सितारे, क्रिकेट खिलाड़ी दिवेदी जी से नियमित ज्योतिषीय परामर्श व मार्गदर्शन लेते रहते हैं।
ISBN10-9351655237
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