Bhoj Sanhita : Surya Khand (भोज संहिता : सूर्य खंड)

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सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है। सूर्य पुरुष व स्त्री, समस्त चराचर जगत की। आत्मा है, प्राण है। जन्मकुण्डली में सूर्य की स्थिति से परंपरागत व्यवसाय, पैतृक संपत्ति, आध्यात्मिक ज्ञान, तेजस्विता, आत्म-शक्ति, दीर्घायु, संघर्ष-शक्ति, राजकीय नौकरी, राज-सम्मान, पिता का सुख, पद-प्रतिष्ठा का पता चलता है। अतः प्रस्तुत पुस्तक केवल सूर्य ग्रह को लेकर लिखी गई है। बारह लग्न एवं बारह भावों में सूर्य की स्थिति को लेकर 144 प्रकार की। जन्मकुण्डलियां अकेले सूर्य को लेकर बनी। इसमें सूर्य की अन्य ग्रहों के साथ। युति को लेकर भी चर्चा की गई है। फलतः 144×9 ग्रहों का गुणा करने पर कुल 1296 प्रकार से सूर्य की स्थिति पर फलादेश की चर्चा इस ग्रंथ में मिलेगी। पूर्वाचार्यों के सप्रमाण मत के अलावा इस पुस्तक का उपचार खण्ड सबसे महत्त्वपूर्ण है। जिसमें प्रतिकूल सूर्य को अनुकूल बनाने के लिए वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक, लाल किताब व अन्य अनुभूत सरल टोटके, रत्नोपचार व प्रार्थनाएं दी गई हैं। जिसमें तत्त्वग्राही, प्रबुद्ध पाठकों के लिए यह पुस्तक अनमोल हो गई। पीड़ित मानवता के कष्टों को दूर करने की श्रृंखला में लोककल्याण की उत्तम भावना को लेकर लिखे गए ऐसे उत्कृष्ट साहित्य को प्रकाशित करते हुए हमें गर्व का अनुभव हो रहा है।।

Additional information

Author

Dr. Dwivedi, Bhojraj

ISBN

9788128810046

Pages

664

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Toons

Amazon

https://www.amazon.in/dp/8128810049

ISBN 10

8128810049

सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है। सूर्य पुरुष व स्त्री, समस्त चराचर जगत की। आत्मा है, प्राण है। जन्मकुण्डली में सूर्य की स्थिति से परंपरागत व्यवसाय, पैतृक संपत्ति, आध्यात्मिक ज्ञान, तेजस्विता, आत्म-शक्ति, दीर्घायु, संघर्ष-शक्ति, राजकीय नौकरी, राज-सम्मान, पिता का सुख, पद-प्रतिष्ठा का पता चलता है। अतः प्रस्तुत पुस्तक केवल सूर्य ग्रह को लेकर लिखी गई है। बारह लग्न एवं बारह भावों में सूर्य की स्थिति को लेकर 144 प्रकार की। जन्मकुण्डलियां अकेले सूर्य को लेकर बनी। इसमें सूर्य की अन्य ग्रहों के साथ। युति को लेकर भी चर्चा की गई है। फलतः 144×9 ग्रहों का गुणा करने पर कुल 1296 प्रकार से सूर्य की स्थिति पर फलादेश की चर्चा इस ग्रंथ में मिलेगी। पूर्वाचार्यों के सप्रमाण मत के अलावा इस पुस्तक का उपचार खण्ड सबसे महत्त्वपूर्ण है। जिसमें प्रतिकूल सूर्य को अनुकूल बनाने के लिए वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक, लाल किताब व अन्य अनुभूत सरल टोटके, रत्नोपचार व प्रार्थनाएं दी गई हैं। जिसमें तत्त्वग्राही, प्रबुद्ध पाठकों के लिए यह पुस्तक अनमोल हो गई। पीड़ित मानवता के कष्टों को दूर करने की श्रृंखला में लोककल्याण की उत्तम भावना को लेकर लिखे गए ऐसे उत्कृष्ट साहित्य को प्रकाशित करते हुए हमें गर्व का अनुभव हो रहा है।।

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