विदेशी महान व्यक्तित्वों में महामानव कागवा, पी. बी. शेली, सीमान्त गांधी, रोम्यां रोला, इलिया ऐहर्नवर्ग को भी इतिहास के कुछ पन्नों में ही समेटने का प्रयास किया। हिमांशुजी के यह सभी लेख ‘दैनिक हिन्दुस्तान’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। आज समय मूल्यांकन का है। आत्मचिंतन का है। इन उपेक्षित महान व्यक्तियों को हमने उचित और सम्मानजनक स्थान दिया क्या ? कितने वर्षों तक इन्हें यों ही तिरस्कृत किया जाएगा? हमें आत्ममंथन तो करना ही होगा।
इन्हीं भूले-बिसरे व्यक्तित्वों को समर्पित है यह पुस्तक ।
About the Author
हिमांशु जोशी जन्म :- 4 मई, 1935, उत्तराखंड। कृतित्व :- यशस्वी कथाकार, उपन्यासकार। लगभग साठ वर्षों तक लेखन में सक्रिय रहे। उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं- ‘अंततः तथा अन्य कहानियाँ’, ‘मनुष्य चिह्न तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जलते हुए डेने तथा अन्य कहानियाँ’, ‘तीसरा किनारा तथा अन्य कहानियाँ’, ‘अंतिम सत्य तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सागर तट के शहर, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ आदि। प्रमुख उपन्यास हैं :- ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘सुराज’। वैचारिक संस्मरणों में ‘उत्तर – पर्व’ एवं ‘आठवां सर्ग’ तथा कविता-संग्रह ‘नील नदी का वृक्ष’ उल्लेखनीय हैं। ‘यात्राएं’, ‘नार्वे : सूरज चमके आधी रात’ यात्रा-वृतांत भी विशेष चर्चा में रहे। उसी तरह काला-पानी की अनकही कहानी ‘यातना शिविर में’ भी। समस्त भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक रचनाएं अंग्रेजी, नार्वेजियन, इटालियन, चेक, जापानी, चीनी, बर्मी, नेपाली आदि भाषाओं में भी रूपांतरित होकर सराही गईं। आकाशवाणी, दूरदर्शन, रंगमंच तथा फिल्म के माध्यम से भी कुछ कृतियां सफलतापूर्वक प्रसारित एवं प्रदर्शित हुईं। बाल साहित्य की अनेक पठनीय कृतियां प्रकाशित हुईं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अनेक सम्मानों से भी अलंकृत। स्मृति शेष :- 23 नवम्बर, 2018 दिल्ली।