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Bonsai Nahin Bargad Hun Main (बोनसाई नहीं बरगद हूँ मैं)

300.00

कवयित्री शारदा का यह काव्य-संग्रह जीवन के विविधागामी अनुभवों को हृदय- सीप से उमड़े मोतियों की तरह पिरोए है जो नकली मशीनी मोतियों की तरह एक सी आभा लिए नहीं अपितु उन मानकों को तरासे हुऐ है जिनमें कहीं मां-पापा के वात्सल्य का आलोड़न है , तो कहीं रिश्तों में रोमांस और रोमांच दोनों के ही पल सिमटे हैं, समाज की बदलती परिस्थितियों के हकीकी जख्म और विद्रूपताएँ भी हैं, झूठे सेवाकर्मियों पर व्यंग के छींटे भी खूब हैं, राजनीति के संत्रास भी हैं। कहीं प्रदूषण में खोई प्रकृति का चित्रण है तो कहीं वृद्धाश्रमों में तड़पती ममता है याने जीवन के सतरंगी रंगों में पिरोए ये स्वप्न अपनी गहन प्रतिच्छाया से सम्पूर्ण संग्रह को समेटे हैं।
शिल्प की दृष्टि से भी काव्य विविधागामी है इसमें रसों की नदियां नहीं, अपितु भावों के छींटे हैं जो कहीं-कहीं तो तपते लोहे पर पड़ी ठंडी बूंद से चटक कर मन की आक्रोशाग्नि को प्रज्वलित करते हैं, तो कहीं चंदन मिट्टी बूंद से मन को शीतल सुरभित भी बनाते हैं। कवयित्री की भाषा पर भी अप्रतिम पकड़ है। सटीक शब्द और उनके सुगढ़ पर्यायवाची चंद पंक्तियों में ही भावों की अथाह पीड़ा को साकार करने में सक्षम हुए हैं। मुक्त छंद की मस्त धारा में प्रवाहित यह काव्य वास्तव में अद्वितीय है यथार्थ में मां सरस्वती की अपूर्व अनुकंपा है कवयित्री पर। मां शारदे के नामारुप कवयित्री शारदा का काव्य अपने-आप में संपूर्ण एवं अतुलनीय है। भविष्य में भी वे और भी गहन काव्यानुभूतियों का सृजन करती रहें इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।

About the Author

शारदा मित्तल
जन्म:23 सितंबर, 1961 भिवानी
शिक्षा-स्नात्तकोतर अंग्रेजी साहित्य वाद्य संगीत में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त उत्तर भारतीय चित्रकला प्रतियोगिता में दो बार द्वितीय पुरुस्कार द्वारा सम्मानित
सम्प्रति –संस्थापक अध्यक्ष तृप्त जीवन ट्रस्ट संस्थापक यू टयूब चौनल ‘नया दौर नये मुकाम
राष्ट्रीय सचिव-महिला काव्य मंच (अंतर्राष्ट्रीय संस्था) प्रभारी कुरुक्षेत्र, अध्यक्ष पंचकुला- हरियाणा साहित्य भारती
पूर्व निदेशक :वूमन टी.वी. भारत के अधिकांश राज्यों का भ्रमण विदेश यात्रायें – अमेरिका ,आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड , चीन , यूरोप के अधिकांश देश , साउथ अफ्रीका, दक्षिणी पूर्वी एशिया के कई देश
प्रकाशित पुस्तकें-
दोहा-संग्रह : मनवा भयो फकीर
क्षणिका-संग्रह : बोनसाई नहीं… बरगद हूं मैं
काव्य-संग्रह : अनुबंध अभिव्यक्ति के छः सांझे संकलन प्रकाशित -जेनेसिस १, दुनिया गोल मटोल, वाह दोस्ती, करोना काल कवियों के झरोखे से, रक्तदान, भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी
सम्मान
संस्कृति के सारथी द्वारा हिन्दी रत्न सम्मान 2017,
साहित्य सभा कुरुक्षेत्र द्वारा महाश्वेता देवी सम्मान 2021,
भारतीय साहित्य संगम तथा ऐलिया न्यूज द्वारा विशेष सम्मान ,
प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति द्वारा इंडिया आईडल अवार्ड,
मिशन न्यूज द्वारा सूपर अचीवर अवार्ड,
श्री सनातन विद्यापीठ ट्रस्ट कुरुक्षेत्र द्वारा नारी-सशक्तीकरण सम्मान।

Additional information

Author

Sharda Mittal

ISBN

9789354865534

Pages

96

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9354865534

Flipkart

https://www.flipkart.com/bonsai-nahin-bargad-hun-main/p/itmb1ff26f0600d7?pid=9789354865534

ISBN 10

9354865534

कवयित्री शारदा का यह काव्य-संग्रह जीवन के विविधागामी अनुभवों को हृदय- सीप से उमड़े मोतियों की तरह पिरोए है जो नकली मशीनी मोतियों की तरह एक सी आभा लिए नहीं अपितु उन मानकों को तरासे हुऐ है जिनमें कहीं मां-पापा के वात्सल्य का आलोड़न है , तो कहीं रिश्तों में रोमांस और रोमांच दोनों के ही पल सिमटे हैं, समाज की बदलती परिस्थितियों के हकीकी जख्म और विद्रूपताएँ भी हैं, झूठे सेवाकर्मियों पर व्यंग के छींटे भी खूब हैं, राजनीति के संत्रास भी हैं। कहीं प्रदूषण में खोई प्रकृति का चित्रण है तो कहीं वृद्धाश्रमों में तड़पती ममता है याने जीवन के सतरंगी रंगों में पिरोए ये स्वप्न अपनी गहन प्रतिच्छाया से सम्पूर्ण संग्रह को समेटे हैं।
शिल्प की दृष्टि से भी काव्य विविधागामी है इसमें रसों की नदियां नहीं, अपितु भावों के छींटे हैं जो कहीं-कहीं तो तपते लोहे पर पड़ी ठंडी बूंद से चटक कर मन की आक्रोशाग्नि को प्रज्वलित करते हैं, तो कहीं चंदन मिट्टी बूंद से मन को शीतल सुरभित भी बनाते हैं। कवयित्री की भाषा पर भी अप्रतिम पकड़ है। सटीक शब्द और उनके सुगढ़ पर्यायवाची चंद पंक्तियों में ही भावों की अथाह पीड़ा को साकार करने में सक्षम हुए हैं। मुक्त छंद की मस्त धारा में प्रवाहित यह काव्य वास्तव में अद्वितीय है यथार्थ में मां सरस्वती की अपूर्व अनुकंपा है कवयित्री पर। मां शारदे के नामारुप कवयित्री शारदा का काव्य अपने-आप में संपूर्ण एवं अतुलनीय है। भविष्य में भी वे और भी गहन काव्यानुभूतियों का सृजन करती रहें इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।

About the Author

शारदा मित्तल
जन्म:23 सितंबर, 1961 भिवानी
शिक्षा-स्नात्तकोतर अंग्रेजी साहित्य वाद्य संगीत में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त उत्तर भारतीय चित्रकला प्रतियोगिता में दो बार द्वितीय पुरुस्कार द्वारा सम्मानित
सम्प्रति –संस्थापक अध्यक्ष तृप्त जीवन ट्रस्ट संस्थापक यू टयूब चौनल ‘नया दौर नये मुकाम
राष्ट्रीय सचिव-महिला काव्य मंच (अंतर्राष्ट्रीय संस्था) प्रभारी कुरुक्षेत्र, अध्यक्ष पंचकुला- हरियाणा साहित्य भारती
पूर्व निदेशक :वूमन टी.वी. भारत के अधिकांश राज्यों का भ्रमण विदेश यात्रायें – अमेरिका ,आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड , चीन , यूरोप के अधिकांश देश , साउथ अफ्रीका, दक्षिणी पूर्वी एशिया के कई देश
प्रकाशित पुस्तकें-
दोहा-संग्रह : मनवा भयो फकीर
क्षणिका-संग्रह : बोनसाई नहीं… बरगद हूं मैं
काव्य-संग्रह : अनुबंध अभिव्यक्ति के छः सांझे संकलन प्रकाशित -जेनेसिस १, दुनिया गोल मटोल, वाह दोस्ती, करोना काल कवियों के झरोखे से, रक्तदान, भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी
सम्मान
संस्कृति के सारथी द्वारा हिन्दी रत्न सम्मान 2017,
साहित्य सभा कुरुक्षेत्र द्वारा महाश्वेता देवी सम्मान 2021,
भारतीय साहित्य संगम तथा ऐलिया न्यूज द्वारा विशेष सम्मान ,
प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति द्वारा इंडिया आईडल अवार्ड,
मिशन न्यूज द्वारा सूपर अचीवर अवार्ड,
श्री सनातन विद्यापीठ ट्रस्ट कुरुक्षेत्र द्वारा नारी-सशक्तीकरण सम्मान।

ISBN10-9354865534

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