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चाचा चौधरी और प्रोफेसर बैड एक लोकप्रिय हिंदी कॉमिक है जो चाचा चौधरी के बुद्धिमान कारनामों और उनके दुश्मनों के खिलाफ उनकी सतर्कता को प्रदर्शित करती है। इस कॉमिक में प्रोफेसर बैड नामक एक खतरनाक वैज्ञानिक है, जो अपनी बुरी योजनाओं से शहर को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है। लेकिन चाचा चौधरी, जिनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है, अपनी तीव्र बुद्धि और चतुराई से प्रोफेसर बैड की हर योजना को नाकाम कर देते हैं। चाचा चौधरी के साथ उनके भरोसेमंद साथी साबू भी होते हैं, जो अपनी ताकत से हर मुश्किल का सामना करते हैं। यह कॉमिक बच्चों और बड़ों दोनों के लिए मनोरंजन से भरपूर है
प्राण ने अपने बचपन में सब्जी के एक लिफाफे पर कार्टून बना देखा। जिससे उन्हें कार्टून बनाने की प्रेरणा मिली। वह वास्तव में स्कूल में अपने ड्राईंग-अध्यापक से प्रभावित हुए, जिनका अगूंठा नहीं था, इसके बावजूद वह अत्यन्त सुंदर चित्र बनाते थे। वह दोपहर में केवल आधे घंटे की झपकी लेते थे। प्राण के सात भाई-बहन थे। उन्हें अपनी मां द्वारा चूल्हे पर पकाई जाने वाली रोटी अत्यन्त प्रिय थी। करारी और बढ़िया पकी हुई रोटी…। प्राण को भगवान पर कभी यकीन नहीं रहा। वह कभी मंदिर प्रार्थना करने या दर्शन करने के लिए नहीं गए। उन्हें केवल मानवता में भरोसा था। सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्टस् से विशेष योग्यता द्वारा डिग्री प्राप्त करने के बाद भी उन्हें किसी स्कूल में ड्राईंग अध्यापक के रूप में नौकरी नहीं मिली। इसी कारण उन्होंने कार्टून बनाना आरंभ किया और एक परंपरा का निर्माण किया। वह शायद एकमात्र ऐसे कार्टूननिस्ट रहे, जिन्होंने 20 से अधिक कार्टून चरित्रों की रचना की और उनके कार्टून की श्रृंखला प्रति सप्ताह विभिन्न समाचार-पत्रों में नियमित चलती रही। जिसे वह आसानी से निभाते रहे।
हाँ, चाचा चौधरी श्रृंखला की अन्य पुस्तकों के साथ इस पुस्तक का गहरा संबंध है। सभी कहानियाँ चाचा चौधरी के साहसिक कार्यों पर आधारित हैं, जिससे पाठक उन्हें एक निरंतरता में पढ़ सकते हैं।
चाचा चौधरी का चरित्र हमेशा से ही बुद्धिमान और निडर रहा है। इस पुस्तक में, उनकी बुद्धिमत्ता का परीक्षण होता है जब वे प्रोफेसर बैड की योजनाओं का सामना करते हैं। पाठकों को उनके साहसिक कार्यों और समस्याओं को हल करने की क्षमता को देखने का मौका मिलता है।
चाचा चौधरी की बुद्धिमत्ता कहानी में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। उनकी चतुराई और समस्या सुलझाने की क्षमता उन्हें न केवल खतरनाक परिस्थितियों से बचाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि ज्ञान और तर्क शक्ति से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
चाचा चौधरी और प्रोफेसर बैड के बीच संबंध एक प्रतिस्पर्धात्मक लेकिन सम्मानजनक आधार पर विकसित होते हैं। दोनों पात्र अपनी-अपनी क्षमताओं में श्रेष्ठता साबित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन अंततः वे एक-दूसरे की प्रतिभा का सम्मान करते हैं और सहयोग करते हैं।
चाचा चौधरी की विशेषताएँ उनकी बुद्धिमत्ता, धैर्य, और चतुराई हैं। वे हमेशा समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम होते हैं और अपने विवेक का उपयोग करके मुश्किल परिस्थितियों का सामना करते हैं। उनकी सरलता और विनम्रता उन्हें एक आदर्श नायक बनाती हैं।
हास्य तत्वों का उपयोग कहानी को मनोरंजक बनाने के लिए किया गया है। चाचा चौधरी की चतुराई और प्रोफेसर बैड की असफलताओं के बीच संवाद और स्थितियाँ हास्य पैदा करती हैं, जो पाठकों को हंसाते हुए गंभीर मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करती हैं।
Weight | 128 g |
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Dimensions | 20.32 × 12.7 × 1.27 cm |
Author | Prans |
ISBN | 9789384906597 |
Pages | 456 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Junior Diamond |
Amazon | |
ISBN 10 | 938490659X |
प्राण कुमार शर्मा जिन्हें प्राण के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय कार्टूनिस्ट थे। इनका जन्म 15 अगस्त, 1938 पंजाब के एक छोटे से कस्बे कसूर में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में स्थित है, जबकि इनका निधन 6 अगस्त 2014 को हुआ था। प्राण को प्रतिष्ठित भारतीय कॉमिक बुक कैरेक्टर ‘चाचा चौधरी’ बनाने के लिए जाना जाता है। लाल पगड़ी और सफेद मूंछों वाला एक अधेड़ उम्र का आदमी बुद्धि, बुद्धिमत्ता और समस्या को सुलझाने की क्षमता के लिए जाना जाता है। जल्द ही यह घर-घर में प्रसिद्ध हो गया। ‘चाचा चौधरी’ की लोकप्रियता को देखते हुए कई भारतीय भाषाओं में इसे प्रकाशित किया गया। प्राण ने बतौर कार्टूनिस्ट अपना करियर 1960 के दशक में शुरू किया था। शुरुआती दौर में वह दिल्ली के एक अखबार मिलाप में काम किया करते थे। बाद में उन्होंने ब्लिट्ज और इंडियन एक्सप्रेस सहित कई बड़े प्रकाशनों के लिए काम किया। साल 1971 में उन्होंने अपनी एक कॉमिक बुक सीरिज शुरू की, जिसमें श्रीमतीजी, बिल्लू और पिंकी जैसे पात्रों को शामिल किया। धीरे-धीरे भारत के हर बच्चे और व्यस्क की जुबान पर इन सभी किरदारों का नाम चढ़ गया। देश में कॉमिक्स को प्रचलित करने के योगदान के लिए प्राण को वर्ष 1999 में भारत का सबसे बड़ा नागरिक पुरुस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वह यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय कार्टूनिस्ट थे। एक कार्टूनिस्ट और हास्य पुस्तक निर्माता के रूप में प्राण की विरासत आज भी उनके पात्रों और अनगिनत पाठकों के माध्यम से जीवित है। आज भी लोग उन कॉमिक्स को पढ़कर आनंदित होते हैं। इसमें दो राय नहीं है कि भारतीय संस्कृति पर उनके महतवपूर्ण कार्यों और योगदानों का प्रभाव काफी गहरा रहा है। प्राण सदैव भारतीय इतिहास में सबसे प्रिय कार्टूनिस्ट के रूप में याद किए जाएंगे। ISBN10-938490659X
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