Chacha Chaudhary, Billo, Pinki 3 Comics (चाचा चौधरी, बिल्लो, पिंकी 3 कॉमिक्स) Hindi
₹150.00 Original price was: ₹150.00.₹149.00Current price is: ₹149.00.
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भारत का सबसे अधिक बिकने वाला कॉमिक्स चाचा चौधरी
काटूर्ननिस्ट प्राण ने एक बूढ़े सज्जन व्यत्तिफ़ की कल्पना की, जो अपनी तीव्र बुद्धिमत्ता से समस्याओं का समाधान करता हो। इस प्रकार चाचा चौधरी का उदय 1971 में हुआ। बृहस्पति ग्रह के लंबे और हट्टे-कट्टे निवासी साबू ने चाचा चौधरी का जबर्दस्त साथ दिया। बुद्धिमत्ता और बल की इस समन्वय जोड़ी ने किसी भी मुश्किल को आसान बनाने का कार्य किया। इसके लिए कहा जाने लगा, “चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है।” इस जोड़ी ने अपराधियों और चालबाजों दोनों से मुकाबला किया। प्रत्येक एपिसोड़ का अंत परिहास से होता। ये युगल जोड़ी अत्यन्त सादगी से कार्य करती। चौधरी के परिवार में शामिल थेः उस की पत्नी ‘बिनी’, जिसकी जुबान कैंची की तरह चलती थी, साबू, रॉकेट नामक कुत्ता और डैग नामक पुराना ट्रक, जो आधा आदमी और आधी मशीन था।
चाचा चौधरी भारतीय कॉमिक्स में से सबसे अधिक लोकप्रिय रही। दस लाख से अधिक पाठक नियमित रूप से इस की श्रृंखलाओं को समाचार-पत्रों और कॉमिक्स में पढ़ते रहे। भारत की दस भाषाओं में यह कॉमिक्स नियमित छपता था। ‘चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है” जैसा अत्यन्त लोकप्रिय प्रतिष्ठित वक्तव्य किसी भारतीय कॉमिक्स में देने का श्रेय ‘प्राण’ को जाता है।
चाचा चौधरी जैसा उत्कृष्ट चरित्र, प्रत्येक की बचपन की यादों में बसा हुआ है, जिसने भारत वर्ष में लाखों लोगों की भावनाओं को छुआ।
प्राण अपनी इस कॉमिक्स में स्कूल जाने वाले एक किशोर को शामिल करना चाहता था। तब उसने ‘बिल्लू’ नामक पात्र की रचना की, जिसके लंबे बालों से उसकी आंखें ढक जाती थी। बिल्लू अक्सर गलियों में अपने पालतू पप्पी ‘मोती’ को घूमाता दिखाई देता। वह और उसके अनेक मित्र ब्लॉक के पार्क में क्रिकेट खेलते और गली-मुहल्ले की खिड़कियों को अक्सर तोड़ देते।
पिंकी के चरित्र का निर्माण कार्टूननिस्ट प्राण कुमार शर्मा ने वर्ष 1978 में किया। पिंकी आमतौर पर अपनी पालतू गिलहरी कुटकुट के साथ ही दिखाई देती थी। इस कॉमिक्स के अन्य उल्लेखनीय पात्र उसके पड़ोसी झटपटजी, उसके मित्र भीखू और चम्पू रहे।
कार्टूननिस्ट प्राण के बारे में तथ्यः
प्राण ने अपने बचपन में सब्जी के एक लिफाफे पर कार्टून बना देखा। जिससे उन्हें कार्टून बनाने की प्रेरणा मिली। वह वास्तव में स्कूल में अपने ड्राईंग-अध्यापक से प्रभावित हुए, जिनका अगूंठा नहीं था, इसके बावजूद वह अत्यन्त सुंदर चित्र बनाते थे। वह दोपहर में केवल आधे घंटे की झपकी लेते थे। प्राण के सात भाई-बहन थे। उन्हें अपनी मां द्वारा चूल्हे पर पकाई जाने वाली रोटी अत्यन्त प्रिय थी। करारी और बढ़िया पकी हुई रोटी…। प्राण को भगवान पर कभी यकीन नहीं रहा। वह कभी मंदिर प्रार्थना करने या दर्शन करने के लिए नहीं गए। उन्हें केवल मानवता में भरोसा था। सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्टस् से विशेष योग्यता द्वारा डिग्री प्राप्त करने के बाद भी उन्हें किसी स्कूल में ड्राईंग अध्यापक के रूप में नौकरी नहीं मिली। इसी कारण उन्होंने कार्टून बनाना आरंभ किया और एक परंपरा का निर्माण किया। वह शायद एकमात्र ऐसे कार्टूननिस्ट रहे, जिन्होंने 20 से अधिक कार्टून चरित्रों की रचना की और उनके कार्टून की श्रृंखला प्रति सप्ताह विभिन्न समाचार-पत्रों में नियमित चलती रही। जिसे वह आसानी से निभाते रहे।
साबू
साबू एलियन है, जो बृहस्पति ग्रह से आया है, जो चाचा के प्रति सदा वफादार रहा। उसने प्रत्येक मुसीबत के समय चाचा की शारीरिक-तौर पर सहायता की। वह अत्यन्त विशाल और बलवान है। छह फुट साबू के बारे में कहा गया, ‘जब साबू को गुस्सा आता है तो कहीं ज्वालामुखी फटता है। पन्द्रह फुट लंबे बृहस्पति का एलिय न कभी-कभार ही अपना आपा खोता है। परन्तु जब कभी ऐसा हो जाए तो उसके भीतर से ज्वालामुखी ही फूटता और अगले ही पल दुश्मन पर घूसों का वार शुरू हो जाता।
पिंकी
पांच वर्षीय पिंकी की हरकतों से उसके पड़ोसी अत्यन्त घबराए रहते, (किसी न किसी खतरे की आशंका से अधिक भयभीत रहते)। पिंकी के साथ होती, उसकी पालतू गिलहरी कुटकुट। जब वह अपने पड़ोसी झटपटजी की कोई सहायता करने की कोशिश करती, तब हमेशा ही गड़बड कर देती, जिस कारण उसके पड़ोसी उसकी हरकतों से भयभीत रहते। पिंकी चाचा चौधरी और बिल्लू की कॉमिक पुस्तकों में भी दिखाई देती है। इसके अलावा उल्लेखनीय चरित्र उसका पड़ोसी झटपटजी और उसके दोस्त भीखू और चम्पू हैं।
बिल्लू
कार्टूननिस्ट ने अपने कॉमिक्स में स्कूल में पढ़ने वाले एक किशोर की रचना की। जिसके लंबे बाल, हमेशा उसकी आंखों पर पड़ते रहते। उस चरित्र का नाम बिल्लू रखा गया। बिल्लू कभी-कभार अपने पप्पी मोती को गलियों में घूमाता रहता और कभी अपने दोस्तों के संग या अपनी क्रिकेट टीम के साथ और अधिकतर जोजी के साथ दिखाई देता। जब वह घर में होता तो हमेशा टी. वी. से चिपका रहता। बिल्लू और उसके दोस्तों की टोली में गब्डू, जोजी, मोनू, बिशम्बर आदि और मूर्ख बंजरगी शामिल थे।
चाचा चौधरी की मजेदार बातें:
• चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है!
• चाचा चौधरी ने अपने घर के दरवाजों पर कभी ताला नहीं लगाया।
• किसी भी मुसीबत के आने से पहले चाचा चौधरी के सिर या नाक में खुजली होने लगती।
• प्राण ने हमें कोई सुपर हीरो नहीं दिया परन्तु उसने हमें सुपर विलेन अवश्य दिया – राका।
• चाचा चौधरी का कुत्ता राकेट इस ग्रह का एकमात्र शाकाहारी कुत्ता है।
• चाचा चौधरी की पत्नी बिनी चोरों को अपने बेलन द्वारा ही भगा देती है।
• डैग- चाचा चौधरी का एक ट्रक और साथी है, जिसे वह अपने प्रत्येक रोमांचक सफर पर ले जाते हुए कहते हैं- चल डैग चल।
• साबू को जब गुस्सा आता है तो कहीं ज्वालामुखी फटता है।
• चाचा चौधरी छोटे से कद का और शायद हरियाणा से हैं।
• साबू हवाई-जहाज के ऊपर बैठ कर दूर विदेशों तक की यात्रा कर लेता है।
• चाचा चौधरी का दिमाग हमेशा मूर के नियम से प्रतिरक्षित रहता है।
लेखक के बारे में
प्राण कुमार शर्मा जिन्हें प्राण के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय कार्टूनिस्ट थे। इनका जन्म 15 अगस्त, 1938 पंजाब के एक छोटे से कस्बे कसूर में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में स्थित है, जबकि इनका निधन 6 अगस्त 2014 को हुआ था।
प्राण को प्रतिष्ठित भारतीय कॉमिक बुक कैरेक्टर ‘चाचा चौधरी’ बनाने के लिए जाना जाता है। लाल पगड़ी और सफेद मूंछों वाला एक अधेड़ उम्र का आदमी बुद्धि, बुद्धिमत्ता और समस्या को सुलझाने की क्षमता के लिए जाना जाता है। जल्द ही यह घर-घर में प्रसिद्ध हो गया। ‘चाचा चौधरी’ की लोकप्रियता को देखते हुए कई भारतीय भाषाओं में इसे प्रकाशित किया गया।
प्राण ने बतौर कार्टूनिस्ट अपना करियर 1960 के दशक में शुरू किया था। शुरुआती दौर में वह दिल्ली के एक अखबार मिलाप में काम किया करते थे। बाद में उन्होंने ब्लिट्ज और इंडियन एक्सप्रेस सहित कई बड़े प्रकाशनों के लिए काम किया। साल 1971 में उन्होंने अपनी एक कॉमिक बुक सीरिज शुरू की, जिसमें श्रीमतीजी, बिल्लू और पिंकी जैसे पात्रों को शामिल किया। धीरे-धीरे भारत के हर बच्चे और व्यस्क की जुबान पर इन सभी किरदारों का नाम चढ़ गया।
देश में कॉमिक्स को प्रचलित करने के योगदान के लिए प्राण को वर्ष 1999 में भारत का सबसे बड़ा नागरिक पुरुस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वह यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय कार्टूनिस्ट थे।
एक कार्टूनिस्ट और हास्य पुस्तक निर्माता के रूप में प्राण की विरासत आज भी उनके पात्रों और अनगिनत पाठकों के माध्यम से जीवित है। आज भी लोग उन कॉमिक्स को पढ़कर आनंदित होते हैं। इसमें दो राय नहीं है कि भारतीय संस्कृति पर उनके महतवपूर्ण कार्यों और योगदानों का प्रभाव काफी गहरा रहा है। प्राण सदैव भारतीय इतिहास में सबसे प्रिय कार्टूनिस्ट के रूप में याद किए जाएंगे।
चाचा चौधरी की कहानियों में क्या खास है?
चाचा चौधरी की कहानियां उनकी तेज बुद्धि, सरलता और रोचक कारनामों के लिए जानी जाती हैं।
क्या चाचा चौधरी के किरदार का कोई खास व्यक्तित्व है?
हां, चाचा चौधरी अपनी तेज बुद्धि, सरलता और हर समस्या का समाधान खोजने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
बिल्लो और पिंकी की कहानियां किस विषय पर आधारित होती हैं?
बिल्लो की कहानियां मस्ती और सामाजिक जीवन पर आधारित होती हैं, जबकि पिंकी की कहानियां शरारत और मजेदार घटनाओं से भरपूर होती हैं।
इन कॉमिक्स में चित्रों की गुणवत्ता अच्छी है?
कॉमिक्स में चित्रों की गुणवत्ता उच्च स्तर की है, जो पाठकों को आकर्षित करती है।
चाचा चौधरी का सबसे प्रसिद्ध संवाद क्या है?
चाचा चौधरी का प्रसिद्ध संवाद है – “चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है।
Additional information
Weight | 291 g |
---|---|
Dimensions | 24 × 18 × 1 cm |
Author | Prans |
ISBN | 9789352610747 |
Pages | 192 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Power Learning |
ISBN 10 | 9352610741 |
चाचा चौधरी, बिल्लो, पिंकी 3 कॉमिक्स का यह संग्रह हास्य और मनोरंजन का अनूठा खजाना है। चाचा चौधरी की तेज बुद्धि, बिल्लो की मस्ती और पिंकी की शरारतें हर उम्र के पाठकों को आकर्षित करती हैं। इन कहानियों में न केवल हंसी-मजाक है, बल्कि जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी सीखें भी हैं। यह पुस्तक बच्चों और बड़ों दोनों के लिए उपयुक्त है।
ISBN10- 9352610741
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