


पुस्तक के बारे में
काटूर्ननिस्ट प्राण ने एक बूढ़े सज्जन व्यत्तिफ़ की कल्पना की, जो अपनी तीव्र बुद्धिमत्ता से समस्याओं का समाधान करता हो। इस प्रकार चाचा चौधरी का उदय 1971 में हुआ। बृहस्पति ग्रह के लंबे और हट्टे-कट्टे निवासी साबू ने चाचा चौधरी का जबर्दस्त साथ दिया। बुद्धिमत्ता और बल की इस समन्वय जोड़ी ने किसी भी मुश्किल को आसान बनाने का कार्य किया। इसके लिए कहा जाने लगा, “चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है।” इस जोड़ी ने अपराधियों और चालबाजों दोनों से मुकाबला किया। प्रत्येक एपिसोड़ का अंत परिहास से होता। ये युगल जोड़ी अत्यन्त सादगी से कार्य करती। चौधरी के परिवार में शामिल थेः उस की पत्नी ‘बिनी’, जिसकी जुबान कैंची की तरह चलती थी, साबू, रॉकेट नामक कुत्ता और डैग नामक पुराना ट्रक, जो आधा आदमी और आधी मशीन था।
चाचा चौधरी भारतीय कॉमिक्स में से सबसे अधिक लोकप्रिय रही। दस लाख से अधिक पाठक नियमित रूप से इस की श्रृंखलाओं को समाचार-पत्रों और कॉमिक्स में पढ़ते रहे। भारत की दस भाषाओं में यह कॉमिक्स नियमित छपता था। ‘चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है” जैसा अत्यन्त लोकप्रिय प्रतिष्ठित वक्तव्य किसी भारतीय कॉमिक्स में देने का श्रेय ‘प्राण’ को जाता है।
चाचा चौधरी जैसा उत्कृष्ट चरित्र, प्रत्येक की बचपन की यादों में बसा हुआ है, जिसने भारत वर्ष में लाखों लोगों की भावनाओं को छुआ।
प्राण अपनी इस कॉमिक्स में स्कूल जाने वाले एक किशोर को शामिल करना चाहता था। तब उसने ‘बिल्लू’ नामक पात्र की रचना की, जिसके लंबे बालों से उसकी आंखें ढक जाती थी। बिल्लू अक्सर गलियों में अपने पालतू पप्पी ‘मोती’ को घूमाता दिखाई देता। वह और उसके अनेक मित्र ब्लॉक के पार्क में क्रिकेट खेलते और गली-मुहल्ले की खिड़कियों को अक्सर तोड़ देते।
लेखक के बारे में
प्राण ने अपने बचपन में सब्जी के एक लिफाफे पर कार्टून बना देखा। जिससे उन्हें कार्टून बनाने की प्रेरणा मिली। वह वास्तव में स्कूल में अपने ड्राईंग-अध्यापक से प्रभावित हुए, जिनका अगूंठा नहीं था, इसके बावजूद वह अत्यन्त सुंदर चित्र बनाते थे। वह दोपहर में केवल आधे घंटे की झपकी लेते थे। प्राण के सात भाई-बहन थे। उन्हें अपनी मां द्वारा चूल्हे पर पकाई जाने वाली रोटी अत्यन्त प्रिय थी। करारी और बढ़िया पकी हुई रोटी…। प्राण को भगवान पर कभी यकीन नहीं रहा। वह कभी मंदिर प्रार्थना करने या दर्शन करने के लिए नहीं गए। उन्हें केवल मानवता में भरोसा था। सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्टस् से विशेष योग्यता द्वारा डिग्री प्राप्त करने के बाद भी उन्हें किसी स्कूल में ड्राईंग अध्यापक के रूप में नौकरी नहीं मिली। इसी कारण उन्होंने कार्टून बनाना आरंभ किया और एक परंपरा का निर्माण किया। वह शायद एकमात्र ऐसे कार्टूननिस्ट रहे, जिन्होंने 20 से अधिक कार्टून चरित्रों की रचना की और उनके कार्टून की श्रृंखला प्रति सप्ताह विभिन्न समाचार-पत्रों में नियमित चलती रही। जिसे वह आसानी से निभाते रहे।
चाचा चौधरी कॉमिक्स किसके द्वारा लिखी गई हैं?
चाचा चौधरी कॉमिक्स का निर्माण प्रसिद्ध भारतीय कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा द्वारा किया गया है, जिन्होंने इसे 1970 के दशक में शुरू किया था। चाचा चौधरी की बुद्धिमानी और हाजिरजवाबी के लिए ये कॉमिक्स बहुत प्रसिद्ध हैं।
चाचा चौधरी के मुख्य किरदार कौन-कौन से हैं?
मुख्य किरदारों में चाचा चौधरी, उनके शक्तिशाली सहयोगी साबू, पत्नी चाची, और उनके कुत्ते रॉकेट शामिल हैं। चाचा चौधरी अपनी बुद्धि से और साबू अपनी ताकत से अपराधियों को सबक सिखाते हैं।
चाचा चौधरी और साबू की जोड़ी इतनी मशहूर क्यों है?
चाचा चौधरी अपनी तेज दिमागी चालों के लिए और साबू अपनी असीम शक्ति के लिए जाने जाते हैं। एक पृथ्वीवासी और एक एलियन की यह जोड़ी एक-दूसरे के पूरक हैं और मिलकर हर समस्या का समाधान करती है।
चाचा चौधरी का सबसे प्रसिद्ध संवाद क्या है?
चाचा चौधरी का सबसे प्रसिद्ध संवाद है, चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है। यह संवाद उनकी तीव्र बुद्धिमता और हाजिरजवाबी को दर्शाता है।
क्या चाचा चौधरी कॉमिक्स बच्चों के लिए ही हैं?
नहीं, चाचा चौधरी कॉमिक्स बच्चों और बड़ों दोनों के लिए हैं। उनकी कहानियाँ सरल हैं और हास्य से भरी हुई होती हैं, जो हर उम्र के पाठकों को पसंद आती हैं।