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यह पुस्तक आपके सामने है क्योंकि आप कोरोना महामारी से बच निकलने वाले भाग्यशाली लोगों में से एक हैं। क्योंकि आप जीवित हैं। शायद इसीलिए आपके लिए और भी आवश्यक हो जाता है कि आप जानें और समझें कि 2020, 2021 में दुनिया भर में क्या और क्यों हुआ था। आपकी जागरुकता ही आपको व आपके परिवार को ऐसी किसी पुनरावृत्ति (ईश्वर न करे ऐसा कुछ कभी हो) से बचा सकती है।
पूरी प्रमाणिकता के साथ कोविड के पीछे की साजिश का व्यापक विश्लेषण कर उसे बेनकाब करती अनूठी पुस्तक।
‘……अधिक महत्वपूर्ण क्या है? क्या हमारी राजनीतिक संबद्धता, आस्थाएं, धर्म और धार्मिक कट्टरता, धन और प्रतिष्ठा, सरकारी कामकाज या नीतियों पर बहस, या अहंकार; या जीवन स्वयं अधिक महत्वपूर्ण है? क्या जीवन सामान्य और सबसे महत्वपूर्ण गुण नहीं है, और बाकी सब कुछ जीवन से ही नहीं निकलता है? सबसे पहले जीवित रहना होगा – भावनाओं के लिए; प्यार करना, आनंद लेना, सोचने में सक्षम होना, लिखना, अच्छा करना, चुटकुले सुनाना, उपदेश देना, लड़ना, बुद्धिमान होना आदि सब के लिए।…..
……अगर मैं जो हो रहा है, उसे समझने में सक्षम होने (भगवान की दया) के बावजूद भी चुप रहूं और दुनिया के साथ साझा न करूं, तो मैं शायद नरसंहार की निगरानी करने वालों या नरसंहार करवाने वालों द्वारा किए जा रहे पापों से भी बड़ा पाप करूँगा।….…’
Author | Atul Kumar |
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ISBN | 9789355993694 |
Pages | 282 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
Amazon | |
Flipkart | |
ISBN 10 | 9355993692 |
यह पुस्तक आपके सामने है क्योंकि आप कोरोना महामारी से बच निकलने वाले भाग्यशाली लोगों में से एक हैं। क्योंकि आप जीवित हैं। शायद इसीलिए आपके लिए और भी आवश्यक हो जाता है कि आप जानें और समझें कि 2020, 2021 में दुनिया भर में क्या और क्यों हुआ था। आपकी जागरुकता ही आपको व आपके परिवार को ऐसी किसी पुनरावृत्ति (ईश्वर न करे ऐसा कुछ कभी हो) से बचा सकती है।
पूरी प्रमाणिकता के साथ कोविड के पीछे की साजिश का व्यापक विश्लेषण कर उसे बेनकाब करती अनूठी पुस्तक।
‘……अधिक महत्वपूर्ण क्या है? क्या हमारी राजनीतिक संबद्धता, आस्थाएं, धर्म और धार्मिक कट्टरता, धन और प्रतिष्ठा, सरकारी कामकाज या नीतियों पर बहस, या अहंकार; या जीवन स्वयं अधिक महत्वपूर्ण है? क्या जीवन सामान्य और सबसे महत्वपूर्ण गुण नहीं है, और बाकी सब कुछ जीवन से ही नहीं निकलता है? सबसे पहले जीवित रहना होगा – भावनाओं के लिए; प्यार करना, आनंद लेना, सोचने में सक्षम होना, लिखना, अच्छा करना, चुटकुले सुनाना, उपदेश देना, लड़ना, बुद्धिमान होना आदि सब के लिए।…..
……अगर मैं जो हो रहा है, उसे समझने में सक्षम होने (भगवान की दया) के बावजूद भी चुप रहूं और दुनिया के साथ साझा न करूं, तो मैं शायद नरसंहार की निगरानी करने वालों या नरसंहार करवाने वालों द्वारा किए जा रहे पापों से भी बड़ा पाप करूँगा।….…’
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