Deenu Ki Pukaar (Hasya Vayangya) : दीनू की पुकार (हास्य व्यंग्य)
₹400.00
- About the Book
- Book Details
ओ मेरी गुलदावरी वरिष्ठ कवि बागी चाचा की लगभग 74 ग़ज़लों का एक ऐसा संग्रह है, जिसकी ग़ज़लें विशुद्ध रूप से हिन्दी की ज़मीन पर रची-बुनी गई हैं। कवि बागी चाचा चूँकि हास्य-व्यंग्य की रचनाओं के लिए जाने और पहचाने जाते हैं तो उनका यह हास्य-व्यंग्य उनकी ग़ज़लों पर भी हावी रहा है; यही कारण है कि उनकी ग़ज़लों के अश्आर कभी खिलखिला कर हँसने पर विवश करते हैं तो कभी ऐसा व्यंग्य अथवा कटाक्ष कर जाते हैं जो मन की गहराईयों तक उतरकर बहुत-कुछ सोचने-विचारने पर विवश कर देते हैं। अपनी बात को आम लोगों तक पहुँचाने के लिए कवि ने आम लोगों की भाषा का ही प्रयोग किया है और इसके लिए अनेक स्थानों पर उन्होंने ग़ज़ल की परम्परागत बहरों (छन्दों) का अतिक्रमण भी किया है।
About the Author
मूल नाम : जय किशन कौशिक
जन्म : 7 अक्टूबर, 1948
शिक्षा : बी.ए., बी.एड.
सम्मान : विद्यार्थी जीवन में चित्रकला में विशेष रूचि । कुरूक्षेत्र विश्व विद्यालय द्वारा 1970 में चित्रकला में प्रथम पुरस्कार मिला। कॉलेज का बेस्ट डिबेटर घोषित। आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के अतिरिक्त देशभर के अनेक कवि सम्मेलनों में कविता पाठ । हास्य-व्यंग्य कवि के रूप में प्रतिष्ठित |
प्रकाशित कृति : पेड़ और पुत्र, काव्य सप्तक, मुर्गासन, गजल संग्रह, ‘ओ मेरी गुलदावरी’, दीनू की पुकार ।
सम्प्रति : भारत सरकार के शहरी विकास मन्त्रालय में वरिष्ठ लेखकार के पद से सेवा निवृत ।
इमेल : [email protected]
Additional information
Author | Bagi Chacha |
---|---|
ISBN | 9789359203744 |
Pages | 96 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Junior Diamond |
Amazon | |
Flipkart | https://www.flipkart.com/deenu-ki-pukaar-hasya-vayangya/p/itmed84ae448b3ab?pid=9789359203744 |
ISBN 10 | 9359203742 |
ओ मेरी गुलदावरी वरिष्ठ कवि बागी चाचा की लगभग 74 ग़ज़लों का एक ऐसा संग्रह है, जिसकी ग़ज़लें विशुद्ध रूप से हिन्दी की ज़मीन पर रची-बुनी गई हैं। कवि बागी चाचा चूँकि हास्य-व्यंग्य की रचनाओं के लिए जाने और पहचाने जाते हैं तो उनका यह हास्य-व्यंग्य उनकी ग़ज़लों पर भी हावी रहा है; यही कारण है कि उनकी ग़ज़लों के अश्आर कभी खिलखिला कर हँसने पर विवश करते हैं तो कभी ऐसा व्यंग्य अथवा कटाक्ष कर जाते हैं जो मन की गहराईयों तक उतरकर बहुत-कुछ सोचने-विचारने पर विवश कर देते हैं। अपनी बात को आम लोगों तक पहुँचाने के लिए कवि ने आम लोगों की भाषा का ही प्रयोग किया है और इसके लिए अनेक स्थानों पर उन्होंने ग़ज़ल की परम्परागत बहरों (छन्दों) का अतिक्रमण भी किया है।
About the Author
मूल नाम : जय किशन कौशिक
जन्म : 7 अक्टूबर, 1948
शिक्षा : बी.ए., बी.एड.
सम्मान : विद्यार्थी जीवन में चित्रकला में विशेष रूचि । कुरूक्षेत्र विश्व विद्यालय द्वारा 1970 में चित्रकला में प्रथम पुरस्कार मिला। कॉलेज का बेस्ट डिबेटर घोषित। आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के अतिरिक्त देशभर के अनेक कवि सम्मेलनों में कविता पाठ । हास्य-व्यंग्य कवि के रूप में प्रतिष्ठित |
प्रकाशित कृति : पेड़ और पुत्र, काव्य सप्तक, मुर्गासन, गजल संग्रह, ‘ओ मेरी गुलदावरी’, दीनू की पुकार ।
सम्प्रति : भारत सरकार के शहरी विकास मन्त्रालय में वरिष्ठ लेखकार के पद से सेवा निवृत ।
इमेल : [email protected]
ISBN10-9359203742
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