जब दिल ही बनाया था, गम काहे बना डाला, ‘लखनवी ‘ क्या एक था न काफी, जो दूजा भी बना डाला, कुछ पाने निजाद-ए-गम जाते हैं इबादत को, कोई जाता है मयखाने में, गम अपने भुलाने को, दोनों का ही मकसद एक, क्यों जगह बनाई दो, इस बंटवारे का बीज, काहे को लगा डाला जब दिल ही बनाया था…
अरमां, सपने, ख्वाइशें मायूसी, गिला, शिकवा क्या इनकी जरुरत थी, बेवजह बनाने की, हवा, पानी, चंद सांसे, दरकारें जमाना थी, बाकि इन चीजों का, क्यों मजमा लगा डाला जब दिल ही बनाया था…


Dekhi Sochi Samajhi : Zindagi Ke Safar Mein Gazalen Aur Nagme (देखी सोची समझी : जिंदगी के सफर में ग़ज़लें और नग़्मे)
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जब दिल ही बनाया था, गम काहे बना डाला, ‘लखनवी ‘ क्या एक था न काफी, जो दूजा भी बना डाला, कुछ पाने निजाद-ए-गम जाते हैं इबादत को, कोई जाता है मयखाने में, गम अपने भुलाने को, दोनों का ही मकसद एक, क्यों जगह बनाई दो, इस बंटवारे का बीज, काहे को लगा डाला जब दिल ही बनाया था…
अरमां, सपने, ख्वाइशें मायूसी, गिला, शिकवा क्या इनकी जरुरत थी, बेवजह बनाने की, हवा, पानी, चंद सांसे, दरकारें जमाना थी, बाकि इन चीजों का, क्यों मजमा लगा डाला जब दिल ही बनाया था…
ISBN10-9359649279
Additional information
Author | Surendra Lucknowi |
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ISBN | 9789359649276 |
Pages | 81 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Junior Diamond |
Amazon | |
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ISBN 10 | 9359649279 |