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Devangna in hindi (देवांगना)-In Hardcover

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ISBN10-: 9355993463

किताब के बारे में

देवांगना उपन्यास बारहवीं शताब्दी के अन्तिम चरण की घटनाओं पर आधारित है। इस समय विक्रमशिला-उदन्तपुरी-वज्रासन और नालन्दा विश्वविद्यालय वज्रायन और सहजयान सम्प्रदायों के केन्द्र स्थली हो रहे थे तथा उनके प्रभाव से भारतीय हिन्दू-शैव-शाक्त भी वाममार्ग में फँस रहे थे। इस प्रकार धर्म के नाम पर अधर्म और नीति के नाम पर अनीति का ही बोलबाला था। इस उपन्यास में उसी काल की पूर्वी भारतीय जीवन की कथा उपस्थित है।
यह उपन्यास एक बौद्ध भिक्षु दिवोदास के विद्रोह की कहानी है जो धर्म के नाम पर होने वाले दुराचारों के खिलाफ खड़ा हो जाता है। उसे पागल कहकर, कारागार में डाल दिया जाता है। वह देवदासी और सेवक के माध्यम से धर्म के नाम पर होने वाले अत्याचारों का भंडाफोड़ करता है।

लेखक के बारे में

आचार्य चतुरसेन जी साहित्य की किसी एक विशिष्ट विधा तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने किशोरावस्था में कहानी और गीतिकाव्य लिखना शुरू किया, बाद में उनका साहित्य-क्षितिज फैला और वे जीवनी, संस्मरण, इतिहास, उपन्यास, नाटक तथा धार्मिक विषयों पर लिखने लगे।शास्त्रीजी साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक कुशल चिकित्सक आचाय चतुरसन भी थे। वैद्य होने पर भी उनकी साहित्य-सर्जन में गहरी रुचि थी। उन्होंने राजनीति, धर्मशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास और युगबोध जैसे विभिन्न विषयों पर लिखा। ‘वैशाली की नगरवधू’, ‘वयं रक्षाम’ और ‘सोमनाथ’, ‘गोली’, ‘सोना औरखून’ (तीन खंड), ‘रत्तफ की प्यास’, ‘हृदय की प्यास’, ‘अमर अभिलाषा’, ‘नरमेघ’, ‘अपराजिता’, ‘धर्मपुत्र’ सबसे ज्यादा चर्चित कृतियाँ हैं।

देवांगना उपन्यास किसकी रचना है ?

देवांगना हिन्दी भाषा के महान उपन्यासकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री की रचना है।

आचार्य चतुरसेन जी के मुख्य उपन्यास कौन-कौन से है?

उनकी बहुप्रशंसित एवं क्लासिक स्तर की रचनाओं में वैशाली की नगरवधू’, ‘वयं रक्षामः’, ‘सोना और खून’, ‘गोली’, ‘सोमनाथ’, ‘आरोग्य शास्त्र’ आदि प्रमुख हैं।

देवांगना उपन्यास किन घटनाओं पर आधारित है ?

देवांगना उपन्यास बारहवीं शताब्दी के अन्तिम चरण की घटनाओं पर आधारित है।

देवांगना उपन्यास कौनसे जीवन काल की कथा उपस्थित है

देवांगना उपन्यास बारहवीं शताब्दी काल की पूर्वी भारतीय जीवन की कथा उपस्थित है।

देवांगना उपन्यास किस बारे में है?

यह उपन्यास साहस, संघर्ष और मानवीय संवेदनाओं पर आधारित है। यह उपन्यास एक बौद्ध भिक्षु दिवोदास के विद्रोह की कहानी है जो धर्म के नाम पर होने वाले दुराचारों के खिलाफ खड़ा हो जाता है। उसे पागल कहकर, कारागार में डाल दिया जाता है। वह देवदासी और सेवक के माध्यम से धर्म के नाम पर होने वाले अत्याचारों का भंडाफोड़ करता है।

Additional information

Weight 0.220 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 0.8 cm
Author

Acharya Chatursen

Pages

112

Format

Hardcover

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books