Dharti Mera Ghar (धरती मेरा घर)

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जब मयकदे से निकला मैं राह के किनारे, मुझ से पुकार बोला प्याला वहां पड़ा था, है कुछ दिनों की गर्दिश धोखा नहीं है लेकिन इस पुल से न डरना, इसमें सदा सह…. मैं हार देखता था वीरान आसमाँ को बोले सभी नमी मुझसे नहीं टक तू है कुछ दिनों की गर्दिश धोखा नहीं है लेकिन जो आँधियों ने फिर से अपना जुनूँ उभारा।
रांगेय राघव हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता, तथा रिपोतांज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। आगरा में १७ जनवरी, १९२३ में जन्मे रांगेय राघव का मूल नाम तिरूमल्लै नम्याकम वीर राघव आचार्य था। राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी इन्होने बहुत से उपन्यास लिखे है। धरती मेरा घर नामक उपन्यास स्वयं को महाराणा प्रताप का वंशज मानने वाले गाड़िये लुहारों के जीवन चरित्र पर आधारित है। आज के प्रगतिशील युग में भी गाड़िये लुहार आधुनिकता से कोसों दूर अपने ही सिद्धान्तों, आदशों और जीवन मूल्यों पर चलते हैं। कभी घर बनाकर न रहने वाले, खानाबदोशों की तरह जीवन यापन करने वाले और समाज से अलग रहने वाले इन गाड़िये लुहारों के जीवन के अनछुए और अनदेखे पहलुओं का जैसा सजीव वर्णन इस उपन्यास में हुआ है, वह रांगेय राघव जैसा मानव मनोभावों को समझने वाला एक बिरला लेखक ही कर सकता है।प्रतिभा के धनी रांगेय राघव का यह उपन्यास राजस्थान के जनजीवन की कलात्मक झलक प्रस्तुत करता है। राजस्थान की पृष्ठभूमि को आधार बनाकर लेखक के संवेदनशील मस्तिष्क ने अनेक कलात्मक कथानकों का सृजन किया है।

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Dharti Mera Ghar (धरती मेरा घर)
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जब मयकदे से निकला मैं राह के किनारे, मुझ से पुकार बोला प्याला वहां पड़ा था, है कुछ दिनों की गर्दिश धोखा नहीं है लेकिन इस पुल से न डरना, इसमें सदा सह…. मैं हार देखता था वीरान आसमाँ को बोले सभी नमी मुझसे नहीं टक तू है कुछ दिनों की गर्दिश धोखा नहीं है लेकिन जो आँधियों ने फिर से अपना जुनूँ उभारा।
रांगेय राघव हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता, तथा रिपोतांज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। आगरा में १७ जनवरी, १९२३ में जन्मे रांगेय राघव का मूल नाम तिरूमल्लै नम्याकम वीर राघव आचार्य था। राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी इन्होने बहुत से उपन्यास लिखे है। धरती मेरा घर नामक उपन्यास स्वयं को महाराणा प्रताप का वंशज मानने वाले गाड़िये लुहारों के जीवन चरित्र पर आधारित है। आज के प्रगतिशील युग में भी गाड़िये लुहार आधुनिकता से कोसों दूर अपने ही सिद्धान्तों, आदशों और जीवन मूल्यों पर चलते हैं। कभी घर बनाकर न रहने वाले, खानाबदोशों की तरह जीवन यापन करने वाले और समाज से अलग रहने वाले इन गाड़िये लुहारों के जीवन के अनछुए और अनदेखे पहलुओं का जैसा सजीव वर्णन इस उपन्यास में हुआ है, वह रांगेय राघव जैसा मानव मनोभावों को समझने वाला एक बिरला लेखक ही कर सकता है।प्रतिभा के धनी रांगेय राघव का यह उपन्यास राजस्थान के जनजीवन की कलात्मक झलक प्रस्तुत करता है। राजस्थान की पृष्ठभूमि को आधार बनाकर लेखक के संवेदनशील मस्तिष्क ने अनेक कलात्मक कथानकों का सृजन किया है।

Additional information

Author

Rangeya Raghav

ISBN

9789359641775

Pages

96

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9359641774

Flipkart

https://www.flipkart.com/dharti-mera-ghar-hindi/p/itm000a26a7f3a02?pid=9789359641775

ISBN 10

9359641774