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Dhyanyog by Swami Vivekananda in Hindi (ध्यानयोग)
Dhyanyog by Swami Vivekananda in Hindi (ध्यानयोग)
Dhyanyog by Swami Vivekananda in Hindi (ध्यानयोग)

Dhyanyog by Swami Vivekananda in Hindi (ध्यानयोग)-In Paperback

Original price was: ₹175.00.Current price is: ₹174.00.

किताब के बारे में

ध्यानयोग -: स्वामी विवेकानंद के विभिन्न व्याख्यानों और लेखों से संकलित एक महत्वपूर्ण कृति है। यह पुस्तक ध्यान की अवधारणा, उसकी आवश्यकता और अभ्यास की सरल एवं प्रभावी विधियों पर प्रकाश डालती है। स्वामीजी बताते हैं कि ध्यान केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि मन को एकाग्र करने और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का एक वैज्ञानिक तरीका है।पुस्तक में मन की चंचलता को नियंत्रित करने, एकाग्रता बढ़ाने और अंततः आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ने के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया गया है। स्वामी विवेकानंद योग और वेदान्त के सिद्धांतों के आधार पर ध्यान के महत्व को स्पष्ट करते हैं और बताते हैं कि कैसे नियमित अभ्यास से व्यक्ति मानसिक शांति, स्पष्टता और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है।
यह पुस्तक उन सभी के लिए एक मूल्यवान संसाधन है जो ध्यान के मार्ग पर चलना चाहते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं। स्वामीजी की ओजस्वी वाणी और गहन ज्ञान इस पुस्तक को एक प्रेरणादायक और मार्गदर्शक कृति बनाते हैं।

लेखक के बारे में

स्वामी विवेकानंद, जिनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, इनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता उच्च न्यायालय में अटॉर्नी (वकील) थे और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र कुशाग्र बुद्धि के थे और उनकी धर्म तथा आध्यात्म में गहरी रुचि थी।शुरुआत में वे ब्रह्म समाज से जुड़े, लेकिन उन्हें वहां संतोष नहीं मिला। अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए वे कई साधु-संतों के पास गए और अंततः उन्हें रामकृष्ण परमहंस में अपना गुरु मिला। रामकृष्ण परमहंस के रहस्यमय व्यक्तित्व और शिक्षाओं ने नरेंद्र के जीवन को पूरी तरह बदल दिया।25 वर्ष की आयु में नरेंद्रनाथ ने संन्यास ले लिया और ‘विवेकानंद’ के नाम से जाने जाने लगे। उन्होंने पूरे भारतवर्ष की पैदल यात्रा की और देश की गरीबी और दुर्दशा को करीब से देखा। उनका मानना था कि ‘मेरा ईश्वर दुखी, पीड़ित हर जाति का निर्धन मनुष्य है। 1893 में, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो (अमेरिका) में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। उनके प्रभावशाली भाषण ने पश्चिमी दुनिया को भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता से परिचित कराया। उन्होंने वेदांत और योग को पश्चिमी देशों में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उन्होंने 1897 में अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की। यह मिशन शिक्षा, चिकित्सा सहायता, आपदा राहत और जनजातियों के कल्याण जैसे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से संलग्न है। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो’ का नारा दिया।वे भारतीय राष्ट्रवाद के प्रमुख प्रतीक और एक देशभक्त संत के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्मदिन 12 जनवरी को भारत में ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 4 जुलाई, 1902 को मात्र 39 वर्ष की अल्पायु में स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।

ध्यानयोग पुस्तक किसने लिखी है और इसका विषय क्या है?

यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के विभिन्न व्याख्यानों और लेखों का संकलन है, जिसमें ध्यान की विधियों और महत्व पर चर्चा की गई है।

ध्यानयोग को स्वामी विवेकानंद ने किस रूप में प्रस्तुत किया है?

उन्होंने ध्यान को वैज्ञानिक और व्यावहारिक अभ्यास के रूप में प्रस्तुत किया है, न कि केवल धार्मिक अनुष्ठान के रूप में।

ध्यानयोग पुस्तक में कौन-कौन सी ध्यान विधियों का उल्लेख किया गया है?

जैसे: श्वास पर ध्यान, मानसिक छवियों का ध्यान, मंत्र-जप आदि।

स्वामी विवेकानंद ने ध्यान को वेदांत और योग से कैसे जोड़ा है?

उन्होंने ध्यान को वेदांत के आत्मज्ञान सिद्धांत और राजयोग के अभ्यासों से जोड़कर उसकी गहराई को समझाया है।

स्वामी विवेकानंद का ध्यान और योग में विश्वास कैसे बना?

गहन आध्यात्मिक जिज्ञासा, रामकृष्ण परमहंस के सान्निध्य और जीवन अनुभवों के माध्यम से।

Additional information

Weight 0.150 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.4 cm
Author

Swami Vivekanand

Pages

144

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN10-: 9363274624

SKU 9789363274624 Category Tags ,