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Gandhi Aur Savarkar - गांधी और सावरकर-6534

Gandhi Aur Savarkar – गांधी और सावरकर

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समय ने सिद्ध किया कि गांधी जी का ‘सत्यमेव जयते’ तभी संभव है जब सावरकर के ‘शस्त्रमेव जयते’ को प्राथमिकता दी जाएगी, ‘बुद्ध’ तभी उपयोगी हो सकते हैं जब अपने सम्मान के लिए ‘युद्ध’ की परिकल्पना को भी आवश्यक माना जाएगा। ‘सत्याग्रह’ भी तभी सफल होगा जब उसके साथ सावरकर का ‘शस्त्रग्रह’ आ जुड़ेगा।
गांधी जी सत्यमेव जयते तक टिके रहे, बुद्ध की बात करते रहे और सत्याग्रह को अपना हथियार मानते रहे। पर सावरकर सत्यमेव’ जयते से आगे ‘शस्त्रमेव जयते’ को, ‘बुद्ध की रक्षार्थ युद्ध’ को और सत्याग्रह से अधिक शस्त्रग्रह को उपयोगी मानते रहे। इन दोनों महापुरुषों में ये ही मौलिक अंतर था।
उत्तर प्रदेश के जनपद गौतम बुद्ध नगर के गाँव महावड में जन्मे पुस्तक के लेखक राकेश कुमार आर्य तीन दर्जन से अधिक पुस्तकों के लेखक व दैनिक ‘उगता भारत’ के संपादक हैं और कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं। उनके लेख देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।

About the Author

चार दर्जन पुस्तकों के लेखक डॉ. राकेश कुमार आर्य का जन्म 17 जुलाई, 1967 को ग्राम महावड़ जनपद गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश में एक आर्य समाजी परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम महाशय राजेंद्र सिंह आर्य और माता का नाम श्रीमती सत्यवती आर्या है। विधि व्यवसायी होने के साथ-साथ श्री आर्य एक प्रखर वक्ता भी हैं।
श्री आर्य को उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह द्वारा विशेष रूप से 22 जुलाई, 2015 को राजभवन राजस्थान में सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से 12 मार्च, 2019 को केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा उनकी शोध कृति “भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास” को वर्ष 2017 के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
इतिहास संबंधी शोधपूर्ण कार्य पर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय आर्य विद्यापीठ के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर श्यामसिंह शशि और संस्कृत में प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रोफेसर डॉक्टर सत्यव्रत शास्त्री विद्वानों के द्वारा डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि विगत 17 जुलाई, 2019 को उनके 53वें जन्म दिवस के अवसर पर दिल्ली में होटल अमलतास इंटरनेशनल में प्रदान की गई।
श्री आर्य को उनके उत्कृष्ट लेखन कार्य के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों व सामाजिक संस्थाओं से भी सम्मानित किया गया है। मेरठ के चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय सहित कई विश्वविद्यालयों में उनके लेक्चर विजिटर प्रोफेसर के रूप में आयोजित किए गए हैं।

Additional information

Author

Rakesh Kumar Arya

ISBN

9789352616084

Pages

122

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9352616081

Flipkart

https://www.flipkart.com/gandhi-aur-savarkar/p/itmbf22ae3733671?pid=9789352616084

ISBN 10

9352616081

समय ने सिद्ध किया कि गांधी जी का ‘सत्यमेव जयते’ तभी संभव है जब सावरकर के ‘शस्त्रमेव जयते’ को प्राथमिकता दी जाएगी, ‘बुद्ध’ तभी उपयोगी हो सकते हैं जब अपने सम्मान के लिए ‘युद्ध’ की परिकल्पना को भी आवश्यक माना जाएगा। ‘सत्याग्रह’ भी तभी सफल होगा जब उसके साथ सावरकर का ‘शस्त्रग्रह’ आ जुड़ेगा।
गांधी जी सत्यमेव जयते तक टिके रहे, बुद्ध की बात करते रहे और सत्याग्रह को अपना हथियार मानते रहे। पर सावरकर सत्यमेव’ जयते से आगे ‘शस्त्रमेव जयते’ को, ‘बुद्ध की रक्षार्थ युद्ध’ को और सत्याग्रह से अधिक शस्त्रग्रह को उपयोगी मानते रहे। इन दोनों महापुरुषों में ये ही मौलिक अंतर था।
उत्तर प्रदेश के जनपद गौतम बुद्ध नगर के गाँव महावड में जन्मे पुस्तक के लेखक राकेश कुमार आर्य तीन दर्जन से अधिक पुस्तकों के लेखक व दैनिक ‘उगता भारत’ के संपादक हैं और कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं। उनके लेख देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।

About the Author

चार दर्जन पुस्तकों के लेखक डॉ. राकेश कुमार आर्य का जन्म 17 जुलाई, 1967 को ग्राम महावड़ जनपद गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश में एक आर्य समाजी परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम महाशय राजेंद्र सिंह आर्य और माता का नाम श्रीमती सत्यवती आर्या है। विधि व्यवसायी होने के साथ-साथ श्री आर्य एक प्रखर वक्ता भी हैं।
श्री आर्य को उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह द्वारा विशेष रूप से 22 जुलाई, 2015 को राजभवन राजस्थान में सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से 12 मार्च, 2019 को केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा उनकी शोध कृति “भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास” को वर्ष 2017 के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
इतिहास संबंधी शोधपूर्ण कार्य पर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय आर्य विद्यापीठ के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर श्यामसिंह शशि और संस्कृत में प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रोफेसर डॉक्टर सत्यव्रत शास्त्री विद्वानों के द्वारा डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि विगत 17 जुलाई, 2019 को उनके 53वें जन्म दिवस के अवसर पर दिल्ली में होटल अमलतास इंटरनेशनल में प्रदान की गई।
श्री आर्य को उनके उत्कृष्ट लेखन कार्य के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों व सामाजिक संस्थाओं से भी सम्मानित किया गया है। मेरठ के चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय सहित कई विश्वविद्यालयों में उनके लेक्चर विजिटर प्रोफेसर के रूप में आयोजित किए गए हैं। ISBN10-9352616081

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