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ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंध्ति दस्तावेजों में गांध्ी का उल्लेख होना स्वाध्ीनता की लड़ाई में उनके जन-मानस पर प्रभाव को रेखांकित करता है। जहां एक ओर क्रांतिकारियों का दल अंग्रेजों के साथ बल का प्रयोग कर रहा था वहीं पर शब्दों को अस्त्रा बनाकर अनेक लघु पुस्तक व पुस्तिकाएं अंग्रेजों के खिलापफ प्रकाशित कर वैचारिक क्रान्ति का शंखनाद हो रहा था। इस ग्रंथ में लोक साहित्य की विभिन्न विधओं का संचयन किया गया है। यह ग्रंथ स्वाध्ीनता संग्राम का जीवन्त दस्तावेज है, जिस मेहनत के साथ संपादक राकेश पाण्डेय ने उन दस्तावेजों को शिनाख्त किया है, उस कामयाब कोशिश ने यकीनन इस पुस्तक को इस बेशकीमती संदर्भ का एक प्रामाणिक दस्तावेज बना दिया है। जिज्ञासु पाठकों और शोधर्थियों के लिए इस किताब की कालजयी उपयोगिता और चिरंजीविता असंदिग्ध् ळें
Author | Rakesh Pandey |
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ISBN | 9789352619740 |
Pages | 144 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9352619749 |
ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंध्ति दस्तावेजों में गांध्ी का उल्लेख होना स्वाध्ीनता की लड़ाई में उनके जन-मानस पर प्रभाव को रेखांकित करता है। जहां एक ओर क्रांतिकारियों का दल अंग्रेजों के साथ बल का प्रयोग कर रहा था वहीं पर शब्दों को अस्त्रा बनाकर अनेक लघु पुस्तक व पुस्तिकाएं अंग्रेजों के खिलापफ प्रकाशित कर वैचारिक क्रान्ति का शंखनाद हो रहा था। इस ग्रंथ में लोक साहित्य की विभिन्न विधओं का संचयन किया गया है। यह ग्रंथ स्वाध्ीनता संग्राम का जीवन्त दस्तावेज है, जिस मेहनत के साथ संपादक राकेश पाण्डेय ने उन दस्तावेजों को शिनाख्त किया है, उस कामयाब कोशिश ने यकीनन इस पुस्तक को इस बेशकीमती संदर्भ का एक प्रामाणिक दस्तावेज बना दिया है। जिज्ञासु पाठकों और शोधर्थियों के लिए इस किताब की कालजयी उपयोगिता और चिरंजीविता असंदिग्ध् ळें ISBN10-9352619749